हत्या के वक्त थे पास में थे डेढ़ लाख रुपये, ब्याज पर बांटते थे पैसा

नगर निगम से नहीं है कोई नाता, परिजनों को किसी करीबी पर है शक

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ALLAHABAD: गोली मार कर गुरुवार की रात मौत के घाट उतारे गए आदर्शनगर भावापुर निवासी पंकज पोरवाल नगर निगम के ठेकेदार नहीं थे। वे सुलभ शौचालय बनवाने वाली एक संस्था से जुड़े थे और लोगों को ब्याज पर पैसा देते थे। रेलवे, रोडवेज, नगर निगम सहित कई विभागों के फोर्थ क्लास इम्प्लाई उनकी टच में थे। इनकी वे मदद किया करते थे। जिस दिन मर्डर हुआ, उस दिन उनके पास डेढ़ लाख रुपए थे। परिजनों की मानें तो पैसे के लिए ही उनके साथ रहने वाले या लेन-देन करने वाले किसी व्यक्ति ने घटना को अंजाम दिया है। 'दैनिक जागरण आईनेक्स्ट' रिपोर्टर ने शनिवार को जब मामले की तफ्तीश की तो सामने आई कई जानकारियों ने चौंका दिया।

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को देते थे कर्ज

पंकज पोरवाल को नगर निगम का ठेकेदार बताए जाने से नगर निगम के ठेकेदारों व अधिकारियों में खलबली थी। क्योंकि इस नाम का कोई भी व्यक्ति नगर निगम से नहीं जुड़ा था। इनवेस्टीगेशन में पता चला कि पंकज पोरवाल शहर में सार्वजनिक शौचालय बनवाने वाली एक संस्था के संचालक इंजीनियर राजेश सिंह के साथ काम करते थे। इंजीनियर राजेश सिंह ने बताया कि पंकज का छोटा भाई उनके छोटे भाई के साथ पढ़ता था। दो साल पहले पंकज उनके साथ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर सुपरवाइजर के रूप में काम करता था। करीब दो- ढाई साल बाद, दस दिन पहले पंकज काम के लिए आया था। उन्होंने कहा था कि शौचालय का काम मिलने वाला है, मिल जाएगा तो बताऊंगा। बातचीत में राजेश ने बताया कि न वह ठेकेदार हैं और न ही पंकज ठेकेदार थे। राजेश की मानें तो पंकज ने कुछ दिनों से ब्याज पर पैसा बांटने का काम शुरू किया था। ज्यादातर ब्याज का पैसा वे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ही देते थे।

स्थिति से अनभिज्ञ है भाई शशांक

इंजीनियर से बातचीत के बाद रिपोर्टर पंकज पोरवाल के घर आदर्शनगर भावापुर पहुंचा। घर पर दिल्ली में एक कंपनी में मैकेनिकल इंजीनियर का काम करने वाले पंकज के छोटे भाई शशांक से मुलाकात हुई। कई वर्षो से दिल्ली में ही रहने की वजह से शशांक ने कोई विशेष जानकारी होने से इंकार किया। हां, इतना जरूर कहा कि बड़े भाई अंजुल पोरवाल कुछ बता सकते हैं। लेकिन, अंजुल त्रिरात्रि की रस्म अदायगी के लिए परिवार के साथ लूकरगंज जा चुके थे।

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करबला के युवकों पर शक की सुई

वहां से रिपोर्टर लूकरंज उस स्थान पर पहुंचा, जहां परिवारीजनों के साथ अंजुल मौजूद थे। अंजुल बिशप जार्ज स्कूल में शिक्षक हैं। उन्होंने बताया कि बड़े भाई पंकज की किसी से रंजिश नहीं थी। पंकज की करबला इलाके के कई युवकों से मित्रता थी, जो अक्सर पंकज के साथ रहते थे। इंस्पेक्टर ने मोबाइल मिलने की खबर दी तो वे पहले करबला एरिया में ही पहुंचे। वहां के एक-दो युवकों के साथ पता लगाते हुए एसआरएन पहुंचे, वहां पंकज के शव को देखने के बाद वे युवक गायब हो गए। जबकि वे युवक अक्सर पंकज के साथ रहते थे। उन युवकों का इस तरह से गायब होना उन्हें शक के दायरे में लाता है।

बहन से एकाउंट में मंगाया था पैसा

पंकज पोरवाल को जिस दिन मौत के घाट उतारा गया। उसके एक दिन पहले उन्होंने गोरखपुर में रहने वाली छोटी बहन शिक्षक पारुल पोरवाल से इमर्जेसी बता कर ढाई लाख रुपया कैश मांगा था। साथ ही इस बाबत किसी को बताने से बहन को मना भी किया था। बड़े भाई की मदद में बहन ने ही एकाउंट में डेढ़ लाख रुपये ट्रांसफर किए थे। घटना वाले दिन ही पंकज के एकाउंट में पैसा पहुंचा था।

छोटे भाई अंजुल ने उठाए सवाल

पंकज को अचानक डेढ़ दो लाख की जरूरत क्यों पड़ी?

ऐसी वह कौन सी इमर्जेसी थी जो उन्हें छोटी बहन से पैसा लेना पड़ा?

किसी को पैसा देने के लिए ही उन्होंने बहन से पैसा मांगा होगा?

शक जताया कि पैसा लेने के बाद किसी ने उन्हें मौत के घाट उतारा होगा?

Posted By: Inextlive