फैसले के बाद पिछले गेट से नैनी सेंट्रल जेल ले जाया गया अतीककचहरी के सभी छह इंट्री प्वाइंट रहे सील मीडिया तक प्रवेश पर भी रोककचहरी के आसपास ऊंचाई वाले घरों पर भी तैनात रही पुलिस

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। उमेश पाल अपहरण कांड में फैसला वाले दिन मंगलवार को जनपद न्यायालय छावनी में तब्दील रहा। सुबह दस बजे से भारी संख्या में यहां सुरक्षा की दृष्टि से फोर्स तैनात कर दी गई थी। सभी गेट सील करके पुलिस सुरक्षा व जांच में जुटी रही। कोर्ट के काम से आने वाले अधिवक्ताओं व उनके मुअक्किल की भी सख्ती के साथ चेकिंग की गई। कचहरी परिसर के अंदर वकील के साथ पहुंचे हर शख्स को मेटल डिटेक्टर से चेक किया गया। अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते रहे। केस में फैसला आने के बाद पुलिस दोष सिद्ध व बरी हुए आरोपितों को पीछे के गेट से बाहर निकाला गया। हालांकि लाते वक्त कोर्ट के गेट नंबर एक से उनकी गाडिय़ों को गेट के अंदर प्रवेश दिया गया था। सुरक्षा व्यवस्था में लगे जवानों की टोका-टाकी से कई अधिवक्ताओं की पुलिस से हाट-टॉक भी हुई।

कई थानों की लगाई गई थी फोर्स
फैसले को देखते हुए अधिकारी कचहरी में सुरक्षा को लेकर सोमवार को ही प्लान तैयार कर चुके थे। प्लान के मुताबिक सुरक्षा व्यवस्था में यहां कर्नलगंज, कैंट, शाहगंज, अतरसुइया, खुल्दाबाद, जार्जटाउन, शिवकुटी, खीची, घूरपुर, थरवई, नैनी सहित कई थानों की फोर्स लगा दी गई थी। थानों के अतिरिक्त पुलिस लाइंस के जवान भी यहां सुरक्षा में तैनात कर दिए। डीसीपी नगर व एसीपी कर्नलगंज सहित कई अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था का जायजा सुबह से लेते रहे। कचहरी में प्रवेश के लिए कुल छह गेट हैं। इन सभी गेट पर भारी संख्या में फोर्स तैनात रही। कचहरी गेट के अंदर परिसर से लेकर बाहर तक पुलिस के जवान कदम ताल करते रहे। मीडिया कर्मियों व कोर्ट के काम से जाने वाले दूसरे व्यक्तियों को भी गेट के अंदर प्रवेश की इजाजत नहीं मिली। बमुश्किल अधिवक्ताओं को गेट व कोर्ट के अंदर इंट्री मिली। सुबह करीब 11.20 व 11.25 बजे अतीक और अशरफ सहित अन्य आरोपित प्रिजन गाड़ी से पहुंचे गेट नंबर एक पर अधिवक्ताओं व पब्लिक की काफी भीड़ लगी हुई थी। ऐसे में प्रिजन वैन सहित आरोपितों को गेट के अंदर ले जाया गया। फैसला करीब तीन बजे कोर्ट का फैसला आने के बाद पुलिस सभी को कोर्ट परिसर में ही प्रिजन वैन में बैठा ली। इसके बाद उन्हें उस वैन में लेकर पीछे के दरवाजे से नैनी सेंट्रल जेल पहुंच गई।

फांसी दो की गूंज पर गरमाया खून
अपहरण के आरोपित अतीक अहमद सहित अन्य जब कोर्ट की बिल्डिंग में प्रवेश किए तो अंदर मौजूद कुछ अधिवक्ता नारेबाजी शुरू कर दिए। नारा लगा रहे अधिवक्ता कह रहे थे कि अधिवक्ता के हत्या को फांसी दो। फांसी की डिमांड अतीक के कानों में शूल सी चुभी। अंदर रहे अधिवक्ताओं की मानें तो अतीक नारेबाजी कर रहे वकीलों की तरफ आंख बड़ी करके देख रहा था। मतलब कि यह फांसी दो की गूंज सुन अतीक को गुस्सा आया था। मगर वक्त की नजाकत को देखते हुए वह चुप रहने में भी भलाई समझा।

जूते की माला पहनाने पहुंचे वकील
अतीक को लेकर प्रिजन वैन जब कचहरी बिल्डिंग के गेट नंबर एक में दाखिल हो रही थी, उसी वक्त कुछ अधिवक्ता शूज का माला लेकर नारा लगाते हुए दौड़ पड़े। इनका नेतृत्व कर रहे अधिवक्ता वरुण पाल ने कहा कि वह अधिवक्ता उमेश पाल की हत्या का आरोपित है। आज उमेश के अपहरण में वह शूज का माला पहना कर सजा सुने तो उनकी आत्मा को शांति मिलेगी। एक सवाल के जवाब में वरुण ने कहा कि हम पाल समाज के लोग डरते नहीं हैं। जंगलों में रहने वाली कौम भला क्या डरेगी। उमेश पाल शेर दिल था जो लंबी लड़ाई लड़कर केस को फाइल स्टेज पर पहुंचाया। आरोपित जानते थे कि सजा होगी इस लिए उमेश की हत्या कर दिए।
माफिया शब्द पर नाराज हुए अधिवक्ता
कोर्ट गेट के बाहर कटरा चौकी के सामने कुछ मीडियाकर्मी बार-बार अतीक अहमद को माफिया अतीक कह कर सम्बोधित कर रहे थे। इस पर कुछ अधिवक्ता अतीक अहमद के लिए माफिया शब्द के प्रयोग पर नाराज हो गए। कहना था कि अतीक अहमद माफिया नहीं है। उसे बार-बार माफिया क्यों कहा जा रहा है। कहना था कि वे गलत किया तो उसकी सजा उसे मिले और मिलेगी। कहना था कि इस तरह से जबरन अतीक को माफिया शब्दों से सम्बंधित करके पूरे प्रदेश में माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है।

Posted By: Inextlive