डॉक्टर उसकी पत्‍‌नी और दाई ने मिलकर लिखी बच्ची चुराने की स्क्रिप्ट

रामबाग रेलवे स्टेशन के पास फुटपाथ से चोरी की गयी बच्ची

PRAYAGRAJ: शहर में एक्टिव बच्चा चोर गैंग का चेहरा शनिवार को बेनकाब हो गया। पकड़े गए गैंग के गुर्गो द्वारा चुराई गई एक वर्ष की बच्ची भी बरामद कर ली गई। एक सरकारी डॉक्टर व उसकी पत्‍‌नी और दाई द्वारा पूरी स्क्रिप्ट गढ़ी गई थी। इसी के तहत 15 अक्टूबर की शाम साढ़े तीन बजे बच्ची को चुराया गया था। कीडगंज के रामबाग रेलवे स्टेशन के सामने फुटपाथ से चुराई गई इस बच्ची का सौदा 60 हजार रुपये में हुआ था। सरकारी हॉस्पिटल में काम करने वाली दाई से गुर्गो के ट‌र्म्स थे। बच्ची को चुराने के लिए दाई द्वारा गुर्गो को 35 हजार रुपये एडवांस दिए गए थे। बेटी के गायब होने से गरीब परिवार में आठ दिनों तक गम का माहौल रहा। पकड़े गए सभी पांच अभियुक्तों को कोर्ट में पेश कर पुलिस ने जेल भेज दिया है।

परेड ग्राउंड से पकड़े गए सभी

नौ दिन पूर्व चोरी हुई मासूम बच्ची का नाम सना उर्फ शहनाज है। वह जानसेनगंज निवासी ट्राली चालक रिजवान की दो बेटियों में छोटी है। सना की तीन वर्षीय बड़ी बहन का नाम खुशी है। घटना 15 अक्टूबर को सामने आयी थी। घटना वाले दिन रिजवान ट्राली चलाकर लौटा था। थक कर चूर रिजवान फूल सी बेटी सना को लेकर राम बाग रेलवे स्टेशन के सामने फुटपाथ पर लेट गया। उसे नींद आ गई और पिता के पास बच्ची खेल रही थी। इस बीच स्कूटी से पहुंचे नईम अली उर्फ बब्बू निवासी नहरपुर हंडिया व गोइयाकला थाना बरगढ़ चित्रकूट निवासी रामसूरत ने फूल सी बच्ची को चुरा लिया। खुलासा करते हुए एसएसपी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि बच्ची को चुराने के बाद दोनों झूंसी की तरफ भाग निकले। पिता की तहरीर पर पुलिस द्वारा कीडगंज थाने में बच्ची के चोरी होने का मुकदमा दर्ज हुआ। बच्ची की तलाश टीम लगाने के बाद वह स्वयं एक्टिव हो गए। आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज तलाशे गए। स्कूटी से बच्ची को ले जाते हुए शास्त्री ब्रिज तक दोनों के फुटेज मिले। इसके आगे दोनों का कुछ कोई लोकेशन नहीं मिल रहा था। सर्विलांस प्रभारी वृजेश सिंह, क्राइम ब्रांच व इंस्पेक्टर कीडगंज रोशन लाल शिद्दत से बच्ची की तलाश में जुटे थे।

प्रतापगढ़ में पोस्ट है झूंसी का डॉक्टर

एसएसपी ने बताया कि शनिवार को टीम हर्षवर्धन चौराहे पर थी। इस बीच खबर मिली कि परेड ग्राउंड पुलिया के पास पांच लोग किसी बच्ची के खरीद फरोख्त की बातें कर रहे हैं। इसके बाद टीम बगैर देर किए मौके पहुंच गई। संदिग्ध मिले जमीला पत्‍‌नी जुम्मन निवासी नहरपुर हंडिया, प्रतापगढ़ में तैनात होम्योपैथ के डॉक्टर रंजन गौतम व उनकी पत्‍‌नी बंदना गौतम निवासीगण ईडब्लूएच आवास विकास कॉलोनी झूंसी को गिरफ्तार कर लिया गया। इनके पास एक मासूम बच्ची भी टीम को मिली। कड़ाई से पूछताछ की गई तो चोरी हुई बच्ची की पूरी घटना खुलकर सामने आ गयी। जमीला ने बताया कि वह हंडिया सीएचसी में दाई का काम करती है। उसने इशारे पर बच्चा चुराने वाले स्कूटी सवार नईम अली व रामसूरत को भी पुलिस ने दबोच लिया।

इस तरह गढ़ी गई थी पूरी स्क्रिप्ट

बंदना गौतम के देवर यानी डॉ। रंजन गौतम के भाई चितरंजन गौतम की पत्‍‌नी को बच्चे नहीं हो रहे थे

बंदना देव की पत्‍‌नी का हंडिया में एक डॉक्टर से बराबर ट्रीटमेंट चल रहा था, वहीं उसकी भेंट जमीला से हुई

शातिर किस्म की जमीला सीएचसी हंडिया में बतौर दाई काम करती थी, उससे बंदना देव की पत्‍‌नी ने दर्द शेयर किया

पूरी बात सुनने के बाद जमीला ने बंदना की देवरानी के लिए बच्चे का प्रबंध करने का पक्का वादा किया

बंदना ने उससे कहा कि यदि किसी का नाजायज बच्चा होगा तो उसकी देवरानी उसे भी ले लेगी

बच्चे की तड़प देख जमीला इस तरह के तमाम केस हॉस्पिटल में आने की बात करते हुए सौदा कर बैठी

जमीला बच्चा देने के लिए बंदना गौतम से 60 हजार रुपये का प्रबंध करने के लिए कही और मोबाइल नंबर लेकर चली गई

एक दिन जमीला बंदना के पास फोन की और बच्चे का प्रबंध होने की बात कहते हुए 35 हजार रुपये की मांग की

पुलिस के मुताबिक डॉक्टर की पत्‍‌नी बंदना ने जमीला को 35 हजार रुपये दे दिये

रुपये लेकर जमीला ने टच में पहले से रहे बच्चा चोरी करने वाले गैंग के गुर्गे नईम अली व रामसूरत से संपर्क किया

जमील और रामसूरत ने 35 हजार रुपये एडवांस लेकर बच्चा चुराने के लिए शहर में रेकी करना शुरू कर दिए

15 अक्टूबर को दोनों रामबाग रेलवे स्टेशन के पास फुटपाथ पर पिता के पास खेल रही सना को ही चुरा लिए

शेष 25 हजार रुपये बंदना से लेकर कर चुराई गई बच्ची को देने के लिए उसे परेड ग्राउंड पुलिया के पास बुलाए थे

पुलिस को तहेदिल से दी दुआएं

बरामद मासूम बच्ची सना एसएसपी द्वारा उसकी आजी रेहाना बेगम को सौंपी गई। बच्ची को पाते ही नौ दिनों से सना के गम में बिलखते परिजनों के चेहरे पर मुस्कान थिरक उठी। सना के पिता की मां रेहाना बेगम की आंखें फूल सी नातिन को कलेजे से लगाते ही भर आई। नातिन को गोद में लेते हुए वह एसएसपी सहित उसे बरामद करने वाली टीम को दिल से दुआएं देने लगी। वह पुलिस अधिकारियों को जितनी दुआएं दे रही थी उससे कहीं ज्यादा बच्ची को चुराने वालों को बददुआएं भी देती रही।

पूरी टीम ने बच्ची को बरामद करने के लिए दिन रात एक कर दिया। टीम के इस कार्य की जितनी तारीफ की जाय वह कम है। इसके लिए टीम के लोगों को पुरस्कृत किया जायेगा। पब्लिक की सुरक्षा को लेकर पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है।

सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी,

एसएसपी प्रयागराज

बच्चा गोद लेने का भी था आप्शन

वर्तमान समय में प्रेग्नेंसी के लिए आईवीएफ तकनीक भी प्रचलित है। इससे खुद का बच्चा होना संभव है। इसके साथ ही प्रक्रिया पूरी करके बच्चा गोद भी लिया जा सकता है। बच्चा गोद लेने के लिए गवर्नमेंट की तरफ से पूरी प्रक्रिया घोषित की जा चुकी है। इसके बाद भी एक डाक्टर की फैमली का बच्चा एडाप्ट करने की लीगल प्रक्रिया में न जाना उन्हें गुनाहगार बना गया।

बच्चा गोद लेने के लिए इन शर्तो का पूरा होना जरूरी

इच्छुक पेरेंट हेल्थ, वेल्थ के साथ मेंटली और इमोशनल अटैचमेंट जरूरी है। उन्हें कोई जानलेवा बीमारी न हो।

बच्चा गोद लेने का इच्छुक मैरिड है दोनों की सहमति अनिवार्य है

सिंगल लेडी किसी भी जेंडर के बच्चे को गोद ले सकती है।

सिंगल पुरुष सिर्फ लड़के को ही गोद ले सकता है।

इच्छुक कपल की शादी के कम से कम दो वर्ष बीत चुके हों।

इच्छुक पेरेंट और गोद लिए जाने वाले बच्चे के बीच कम से कम 25 साल का गैप होना जरूरी है

इस नियम में छूट इस शर्त पर है कि गोद लेने के इच्छुक रिलेटिव हों

पहले से ही तीन या इससे अधिक बच्चों के पेरेंट बच्चा गोद लेने के लिए योग्य नहीं हैं। हालांकि यहां टर्म एंड कंडीशन अप्लाई होता है।

इन डाक्यूमेंट्स का होना है जरूरी

इच्छुक फैमिली की लेटेस्ट फोटोग्राफ

गोद लेने के इच्छुक व्यक्ति का पैन कार्ड

बर्थ सर्टिफिकेट या ऐसा डाक्यूमेंट जिससे संबंधित की एज वेरीफाई हो सके

रेजीडेंशियल एड्रेस (आधार कार्ड/ वोटर आईडी/ पासपोर्ट/ नवीनतम बिजली का बिल/ टेलीफ़ोन बिल)

उस साल के इनकम टैक्स रिटर्न की सर्टिफाइड कॉपी

चिकित्साधिकारी का सर्टिफिकेट जिसमें यह प्रमाणित किया जाय कि जो शख्स बच्चे को गोद लेने जा रहा है, उसे किसी तरह की कोई गंभीर नहीं है

गोद लेने के इच्छुक दंपती का मेडिकल सर्टिफिकेट

मैरिज सर्टिफिकेट (मैरिड होने की कंडीशन में)

शख्स तलाक़शुदा है तो उसका सर्टिफिकेट

गोद लेने के पक्ष में इच्छुक व्यक्ति से जुड़े दो लोगों का बयान।

इच्छुक व्यक्ति का कोई बच्चा पहले से है और उसकी उम्र पांच साल से अधिक है तो उसकी सहमति।

कैसे ले सकते हैं बच्चे को गोद

इन कागजातों के पूरे होने के बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ती है। बच्चा गोद लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है। अगस्त 2015 में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया और नियमों में कुछ संशोधन करके गोद लेने की प्रक्रिया को और आसान बनाने का प्रयास किया गया है। ये सारी योग्यताएं एक आम भारतीय नागरिक के लिए हैं। वैसे गोद लेने की प्रक्रिया एनआरआई, इंटर-स्टेट, सौतेले माता-पिता या फिर रिश्तेदारों द्वारा गोद लेना के लिए सेपरेट है। सबके रूल्स अलग हैं।

सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी का रोल

सेंट्रल गवर्नमेंट ने गोद लिये जाने वाले बच्चे का फ्यूचर सिक्योर करने के लिए सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) का गठन किया है। यह संस्था महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंडर में काम करती है। कारा मुख्य रूप से अनाथ, छोड़ दिए गए और आत्म-समर्पण करने वाले बच्चों के अडॉप्शन के लिए काम करती है। बच्चे को गोद लेना एक लंबी क़ानूनी प्रक्रिया ज़रूर है, लेकिन इसमें कहीं भी पैसे के लेन-देन का जि़क्र नहीं है। यहां तक कि गोद लेने वाले माता-पिता से नियमानुसार ये भी नहीं कहा जा सकता कि वे बच्चे के नाम पर कोई बॉन्ड लें या इनवेस्टमेंट करें।

Posted By: Inextlive