डब्ल्यूएचओ, सीपीसीबी के साथ अन्य संस्थाएं भी दे चुकी हैं रिपोर्ट

दम घुटने के साथ ही श्वांस की बीमारियों से पीडि़त हैं लोग

शहर में जगह-जगह लगा रहता है गंदगी का अंबार

ALLAHABAD:

- 2016 डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट के अनुसार विश्व का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर है इलाहाबाद।

- मई 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ने विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों की टॉप टेन लिस्ट जारी की थी।

- लिस्ट में इलाहाबाद को भारत की राजधानी दिल्ली से भी अधिक प्रदूषित बताते हुए तीसरे पोजिशन पर शामिल किया गया था।

- मई 2016 में डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में इलाहाबाद का पीएम 2.5 170 बताया गया था, जो खतरे से कहीं ज्यादा है।

2017 सीपीसीबी रिपोर्ट - देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर है इलाहाबाद

- अक्टूबर 2017 में सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने एक रिपोर्ट जारी किया था।

- सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट में इलाहाबाद को देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बताया गया था।

- इलाहाबाद में पीएम 10 की मात्रा 320 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक और पीएम 2.5 की मात्रा 190 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक दर्ज की गई थी।

2018 ग्रीनपीस इंडिया रिपोर्ट- देश का 22वां सबसे प्रदूषित शहर है इलाहाबाद

जनवरी 2018 में ग्रीनपीस इंडिया ने सर्वे रिपोर्ट एयरपोक्लिपस जारी किया था।

- ग्रीनपीस की रिपोर्ट में इलाहाबाद की आबोहवा को खतरनाक बताते हुए देश का 22वां सबसे प्रदूषित शहर बताया गया था।

- देश के 280 शहरों में कराए गए सर्वे में इलाहाबाद में औसत पीएम10 192 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया था।

प्रदूषण बढ़ने के कारण

- शहर में चारों तरफ सड़कों की हो रही खुदाई, सड़क चौड़ीकरण के लिए हो रहे मरम्मत कार्य, नाला-नाली निर्माण कार्य आदि।

- लगातार बढ़ रही वाहनों की संख्या और उनसे निकलने वाला धुआं

- बालू और पत्थर खनन में नियमों को नजरअंदाज किया जाना

- सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम का फेल होना

- कचरा निस्तारित न होने से शहर में लगा गंदगी का ढेर

- गाडि़यों के चलने व हवा से कचरे की गंदगी घुल रही है हवा में

- शहर में हर रोड पर लग रहा भीषण जाम

इलाहाबाद में वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती चली जा रही है। जिसकी वजह से हवा में छोटे और बड़े पार्टीकल की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। जिस पर अगर अभी ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाएगा।

-प्रो। बीएन मिश्रा

पूर्व विभागाध्यक्ष भूगोल विभाग

इलाहाबाद विश्वविद्यालय

वाहन होंगे शहर से बाहर

क्या आप भी मानते हैं कि शहर में पॉल्यूशन डेंजर लेवल के करीब पहुंच गया है?

पिछले एक-दो वर्ष में डब्ल्यूएचओ के साथ ही अन्य संस्थाओं की जो रिपोर्ट आई है, वह तो यही बताती है कि इलाहाबाद की आबो हवा वाकई में जहरीली होती चली जा रही है।

पॉल्यूशन के लिए वाहनों की बढ़ती संख्या और पुराने वाहन तो नहीं हैं जिम्मेदार?

जितने भी वाहन सड़क पर दौड़ रहे हैं उनका फिटनेस सर्टिफिकेट चेक किया जाता है। जिस वाहन का सर्टिफिकेट नहीं होता है, उसका चलान किया जाता है।

शहर में चल रहे डीजल टेम्पो को बाहर करने का निर्णय लिया गया है क्या?

जी हां, पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए शहर से सभी डीजल टेम्पो को हटाया जाना है। जिसके लिए सभी टेम्पो चालकों को चेतावनी दी गई है। शहर में करीब 3000 हजार टेम्पो डीजल से चल रहे हैं। जिसमें अभी तक करीब 600 ने ही सीएनजी कीट का इस्तेमाल किया है। बाकी के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जा रही है।

रविकांत शुक्ला

एआरटीओ प्रवर्तन

Posted By: Inextlive