-एक साल के भीतर जमीनी विवाद में जा चुकी हैं तीन जान

-कछार की जमीनों कब्जे को लेकर आपस में हो रही रंजिश

-मेले के बाद किसानों को वापस सौंप दी जाती हैं जमीनें

PRAYAGRAJ: फाफामऊ और उसके आसपास का कछार जंग का मैदान बन रहा है। जमीन के विवाद में लोगों में रंजिश जन्म ले रही और बाद में यह हत्या का कारण बन रही है। पिछले एक साल कछार के जमीनी विवाद में गई तीन जानें इसका सीधा सा उदाहरण है। ऐसा इन जमीनों की मिलकियत में घालमेल के चलते हो रहा है। मेले के आयोजन को छोड़ दें तो बाकी समय इन जमीनों को लेकर आपस में आए दिन झड़प और मारपीट की घटनाएं होती हैं।

इसलिए होता है विवाद

शहर में भले ही झूंसी, दारागंज, फाफामऊ आदि एरिया बन गए हों लेकिन आज भी गंगा किनारे के कछार सरकारी कागजों में मौजा और गांव के नाम से दर्ज हैं। बहुत से लोगों को पता ही नही है कि कछार में उनकी कहां और कितनी जमीन है। ऐसे में इन जमीनों पर लोकल लोग खेती किसानी शुरू कर देते हैं। जब मिलकियत के लिए लोग दावा करते हैं तो कागजों के अभाव में आपसी विवाद होने लगता है। इस तरह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।

आपसी मिलीभगत से दिए जाते हैं पट्टे

जिले में 111 गांव ऐसे हैं जो गंगा के कछार में बसे हैं। इनमें भी प्रधान और लेखपाल मिलकर कछार की जमीनों का पट्टा करते हैं। इससे भी विवाद की स्थिति बनती है। जमीन के दूसरे दावेदार इससे नाराज होकर विरोध पर उतर जाते हैं। तहसील में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। जब प्रधानों की मनमानी से पट्टे बांट दिए गए हैं। कछार की कई जमीने राजस्व की हैं तो कई जमीनों पर भूमिधरी भी है। संक्रमणीय भूमिधरी में किसान के नाम जमीन का बैनामा होता है तो असंक्रमणीय भूमिधरी में किसानों को प्रधान के द्वारा पट्टा कर दिया जाता है।

माघ मेले में नहीं होता अधिग्रहण, करना होता है मुआवजे का दावा

कुंभ मेले में कछार की हजारों बीघे जमीन का अधिग्रहण किया जाता है। बकायदा इसका मुआवजा भी अधिक दरों पर किसानों को दिया जाता है। लेकिन माघ मेले में ऐसा नही होता है। मेले में ओल्ड जीटी तक अधिकतम जमीन ली जाती है और मेला खत्म होने के बाद इसे किसानों को दे दिया जाता है। अगर किसी को मुआवजा चाहिए होता है तो वह अपनी खतौनी और अप्लीकेशन लेकर अप्लाई करता है। तहसील से तस्दीक के बाद 1000 से 1500 रुपए प्रति बीघे की दर से क्षतिपूर्ति दी जाती है।

कब और कितने लोगों की गई जान

कछार एरिया में अब तक जितनी भी घटनाएं हहुई हैं उनमें जमीन का विवाद सामने आया है। इसी साल नवाबगंज में हुई घटना में दो लोगों की जान गई थी और इसमें कछार की जमीन में कब्जे का विवाद सामने आया था। दो दिन पहले फाफामऊ कछार में भी एक युवक की जमीन के विवाद में ही हत्या कर दी गई। पुलिस इस मामले की अभी पड़ताल कर रही है।

कछार की जमीनों को लेकर मेरे पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। अगर पट्टे या मिल्कियत को लेकर कोई मामला आता है तो उसकी जांच जरूर की जाएगी।

-अरविंद मिश्रा, तहसीलदार सदर

Posted By: Inextlive