शहर में गणेशोत्सव की तैयारियां शुरू, गणपति महोत्सव के लिये होंगे कई स्थानों पर धार्मिक अनुष्ठान

ALLAHABAD: भगवान श्री गणेश जी का गणेशोत्सव प्रारंभ होते ही दस दिनों तक गजानन की महिमा का गुणगान घर-घर में होने लगता है। शहर के कई प्रमुख स्थलों में परंपरागत रूप से भगवान की प्रतिष्ठापना की जाती है। हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पूर्व भगवान गणेश का आवाहन किया जाता है। इसके बाद ही धार्मिक कार्यक्रम आरंभ होते हैं। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली बताते हैं कि गणपति आदि देव हैं। अपने भक्तों के समस्त संकटों को दूर करके उन्हें मुक्त करते हैं।

लगायें लड्डुओं का भोग

उन्होंने बताया कि गणों के स्वामी होने के कारण इन्हें गणपति कहा जाता है। प्रथम पूच्य देव के रूप में यह अपने भक्तों के पालनहार हैं। इनके बारह नामों में शामिल एकदंत, सुमुख, लंबोदर, विनायक, कपिल, गज कर्णक, विकट, विघ्न-नाश, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन तथा गणेश का स्मरण सुख एवं शांति प्रदान करने वाला होता है। उन्होंने बताया कि गंगा जल, पान, फूल, दूर्वा आदि से पूजन किया जाता है। भगवान गणेश सिंदूर चढ़ाने से प्रसन्न होते हैं। इन्हें लड्डुओं का भोग लगाना चाहिये। श्रीगणेश स्तुती, श्रीगणेश मंत्र जाप आदि का पाठ करना चाहिये।

इन बातों पर करें गौर

भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाता है

इसी दिन से गणेशोत्सव की शुरुआत होती है

इस वर्ष यह पर्व 25 अगस्त से प्रारम्भ होगा तथा 05 सितम्बर को अनन्त चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन के साथ समाप्त होगा

गणपति स्थापना 25 अगस्त को स्थिर लग्न मुहूर्त में किया जाना श्रेयकर होगा

लोकाचार में ढेलहिया चौथ के नाम से भी प्रसिद्ध इस पर्व के दिन चन्द्र दर्शन का निषेध होता है

इस दिन के चांद को कलंक का चांद कहा जाता है

यदि अनजाने में चंद्रमा दिख जाए तो गणेश चतुर्थी की कथा का श्रवण कर लेना चाहिये, अन्यथा वर्ष भर कलंक लगने का भय बना रहता है।

समय का रखना होगा ख्याल

चतुर्थी तिथि का मान 24 अगस्त की रात 09:15 बजे से प्रारम्भ होकर 25 अगस्त को रात में 09:22 बजे तक होगा। भद्रा का साया सुबह 09:11 बजे से रात में 09:22 बजे तक है। परन्तु भद्रा का वास पाताल में है अत: भद्रा का दोष नहीं लगेगा। ऐसे में पूरे दिन गणेश स्थापना हो सकती है। साथ ही राहु काल भी सुबह 10:30 से 12:00 बजे तक रहेगा। राहु काल में गजानन की स्थापना नहीं की जाती है। चित्र नक्षत्र, अमृत योगा, शुभ योग और स्थिर लग्न मुहूर्त में गणेशजी की स्थापना से कई लाभ होंगे। सुबह सूर्योदय 05:40 से 07:16 बजे तक सिंह स्थिर लग्न का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, प्लॉट-मकान सहित चल-अचल संपत्ति खरीदने से भी लाभ होगा।

गणेश ऋद्धि-सिद्धि के दाता, विघ्न विनाशक और इच्छाओं को पूर्ण करने वाले हैं। कोई कार्य पूर्ण नहीं हो रहे हों तो भक्त भादो की चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक विधि विधान से पूजन करें। उनके सभी कार्य सिद्ध हो जाएंगे।

पं। दिवाकर त्रिपाठी, निदेशक, उत्थान ज्योतिष

मान्यता है कि इन दस दिनों में यदि श्रद्धा एवं विधि-विधान से गणेश जी की पूजा की जाए तो व्यक्ति की सभी बाधाओं का अन्त हो जाता है। भगवान गणेश सौभाग्य, समृद्धि एवं सुख प्रदान करते हैं। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित किया जाता है।

आचार्य अविनाश

Posted By: Inextlive