-आयुर्वेद के डॉक्टर्स को सर्जरी की परमिशन दिए जाने पर आईएमए ने शुरू किया विरोध, आठ दिसंबर को विरोध में होगी स्ट्राइक

PRAYAGRAJ: पांच हजार साल पुरानी आयुर्वेद चिकित्सा के डॉक्टरों को सर्जरी की परमिशन मिली तो एलोपैथी डॉक्टर्स ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि बिना प्रॉपर टीचिंग और ट्रेनिंग के वह सर्जरी करेंगे तो स्टूडेंट्स एमबीबीएस और एमएस की पढ़ाई में दस साल खर्च क्यों करेंगे। जबकि आयुर्वेद चिकित्सकों का कहना है कि आयुर्वेद के जनक सुश्रुत को फादर आफ सर्जरी कहा जाता है और उन्होंने सर्जरी की शुरुआत की थी। ऐसे में आयुर्वेद के डॉक्टर्स को सर्जरी की परमिशन देकर काउंसिल ने सही कदम उठाया है।

इस बात पर है आईएमए को विरोध

-आईएमए के सदस्यों का कहना है कि एलोपैथी में एक डॉक्टर को बेसिक ट्रेनिंग लेने में दस साल लग जाते हैं।

-एलाइड वाले आसानी से क्रैक कर लेते हैं। अगर उनको सर्जरी करने की परमिशन मिल गई तो फिर एलोपैथी के कठिन रास्ते से कौन जाएगा।

-यह तो एक तरह से शार्टकट से एंट्री देने का काम हो गया। जिसका विरोध किया जा रहा है।

-आईएमए के सदस्यों का कहना है कि प्राइवेट कॉलेजों में कैपिटेशन फीस लाखों में होती है और पढ़ाई में टाइम लगता है।

-यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट की एलाइड वालों से तुलना ही नहीं हो सकती।

-इससे बेहतर होगा कि एलाइड मेडिसिन के डॉक्टर्स अल्टरनेटिव थेरेपी को प्रमोट करने का काम करें।

आयुर्वेदिक डॉक्टर्स का यह है पक्ष

-आयुर्वेदिक डॉक्टर्स का कहना है कि यह नई चीज नहीं है। पहले भी हमलोग सर्जरी करते थे।

-आयुर्वेद के जनक सुश्रुत को फादर आफ सर्जरी कहा जाता है।

-उनके अष्टांग संग्रह में आठवें अध्याय में सर्जरी के बारे में बताया गया है।

-हमें यूनिवर्सिटी टीचिंग और ट्रेनिंग के साथ डिग्री देती है।

-कई राज्यों में आयुर्वेद के डॉक्टर्स अंग्रेजी दवाएं लिखते हैं। जबकि एलोपैथी के डॉक्टर्स को आयुर्वेद की दवाएं लिखने की परमिशन नहीं है। इसलिए वह नाराज हो रहे हैं।

-यूपी में बीएएमएस में मॉडर्न मेडिसिन के बारे में भी पढ़ाया जाता है। इसलिए हमें सर्जरी की परमिशन मिलने से मरीजों का काफी फायदा होगा।

जोरदार विरोध होगा

उधर, आईएमए का कहना है कि सेंट्रल काउंसिल आफ इंडियन मेडिसिन के इस निर्देश का पुरजोर विरोध किया जाएगा। आईएमए की ओर से रविवार को मीटिंग कर गाइडलाइन जारी की गई है और जिसके तहत आठ दिसंबर को देशव्यापी हड़ताल होनी है। प्रयागराज में एएमए की ओर से डॉक्टर्स मरीज नहीं देखेंगे। अगर काउंसिल ने परमिशन दे दी है तो सरकार भी जल्द ही इस पर अपनी मुहर लगा देगी। यही वजह है कि हमारी ओर से विरोध शुरू कर दिया गया है। हम आयुर्वेद के डॉक्टर्स की एलोपैथी में लेटरल एंट्री का विरोध करते हैं।

किसी की नहीं होती तकनीक, जो चाहे यूज करे

एएमए के विरोध से मोर्चा लेने के लिए नीमा भी खुलकर सामने आ गया है। नीमा के सदस्यों का कहना है कि तकनीक किसी एक की नहीं होती। कोई भी उसका यूज कर सकता है। फिर चाहे वह पैथोलाजी जांच हो या रेडियोलाजी सेंटर। सरकार ने कोविड संक्रमण के दौरान आयुर्वेद की ताकत को जाना है और यही कारण है कि हमे सर्जरी की परमिशन दी जा रही है। कर्नाटका, महाराष्ट्र और यूपी में मॉडर्न मेडिसिन पढ़ाई जा रही है। अगर हम सर्जरी करेंगे तो खासकर रूरल एरियाज के मरीजों को काफी सहूलियत मिलेगी।

अगर आयुर्वेद के डॉक्टर्स सर्जरी करने के बाद एलोपैथी की दवाएं देंगे तो उनमें और हमारे बीच अंतर क्या रह जाएगा? यह तो लैटरल एंट्री हो गई। इसी प्वॉइंट पर आईएमए विरोध कर रहा है।

-डॉ। अशोक अग्रवाल, पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आईएमए

आईएमए का आरोप गलत है। हमारी टीचिंग और ट्रेनिंग दोनों हाई लेवल की है। आदेश में लिखा है कि एमएस आयुर्वेदिक वाले सर्जरी कर सकते हैं। हालांकि इसकी लिमिटेशंस भी तय की गई हैं।

-डॉ। एसके राय, अध्यक्ष, नीमा

हम पहले भी सर्जरी करते थे और आज भी जरूरत पड़ने पर करेंगे। हमें सर्जरी सिखाई जाती है। यूनिवर्सिटी इस पर आधारित हमें बीएएमएस की डिग्री देती है। आयुर्वेद दुनिया की सबसे पुरातन चिकित्सा पद्धति है।

-डॉ। संजय त्रिपाठी, आयुर्वेदाचार्य

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सुदूर स्थानों पर सामान्य शल्य चिकित्सकों की भारी कमी है। आयुर्वेद चिकित्सकों की आधुनिक प्रणाली के साथ सर्जरी की ट्रेनिंग देकर इसे दूर किया जा सकता है। इसलिए इस निर्णय का स्वागत करना चाहिए ।

-वैद्य नरेंद्र कुमार पांडेय, बीएएमएस, पीजीपीपी

कायाकल्प आयुर्वेदिक चिकित्सा एवं अनुसंधान केंद्र, सिविल लाइंस

अभी भी होमियोपैथी और आयुर्वेद में बहुत अच्छे डॉक्टर्स हैं। लेकिन सर्जरी करने के लिए जो योग्यता और पढ़ाई चाहिए वह केवल एलोपैथी के डॉक्टर्स के पास होती है। इसलिए सरकार को फैसले पर मुहर नहीं लगानी चाहिए।

-डॉ। एमके मदनानी, अध्यक्ष, एएमए

हमारी मांग नहीं मांगी गई तो आंदोलन लंबा चलेगा। नीट क्रैक करना और फिर सर्जरी की पढ़ाई करना आसान नहीं है। जो ऐसा करता है उसे वरीयता दी जानी चाहिए। हमारे पास सर्जरी के एडवांस तकनीक मौजूद है।

-डॉ। राजेश मौर्या, सचिव, एएमए

Posted By: Inextlive