खतरनाक केमिकल से तैयार हो रहा था नकली सेनेटाइजर

पेंट पार्कर के नाम की आड़ में चल रहा था नकली सेनेटाइजर तैयार करने का गोरखधंधा

PRAYAGRAJ: कोरोना काल के चलते कुछ नई चीजें हमारे लाइफ का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गयी हैं। मास्क और सेनेटाइजर का इसमें सबसे महत्वपूर्ण रोल है। आपदा काल में नयी बिजनेस आप्च्र्युनिटी जेनरेट हुई तो शातिरों ने धंधा ही चेंज कर डाला। पेंट बनाने का धंधा छोड़कर सेनेटाइजर मैन्युफैक्चर करने के बिजनेस में उतर गये। न कोई लाइसेंस और न ही कोई जीएसटीएन नंबर। सेनेटाइजर बनाने में इस्तेमाल होने वाले केमिकल का डिटेल भी किसी से शेयर नहीं किया गया। आपदा को अवसर बनाने वाला यह ग्रुप 'महारानी' के नाम से जाना जाता है। अवैध धंधा पकड़ा गया तो धौंस जमाने के लिए सपा ने जुड़ा नेता पहुंच गया। वह महारानी परिवार का ही सदस्य बताया गया है। उसका पुलिस अफसरों पर धौंस जमाने का प्रयास करना उल्टा पड़ गया। पुलिस ने उसे न सिर्फ खदेड़ा बल्कि अपनी गाड़ी में भी बैठा लिया। आपदा काल में पब्लिक की सेहत के साथ खिलवाड़ करने वाले इन लोगों के खिलाफ अफसर बड़ी कार्रवाई की तैयारी में हैं।

भनक लगते ही एक्टिव हुआ रिपोर्टर

मार्केट में धड़ल्ले से नकली सेनेटाइजर बनाकर बेचने की सूचना प्रशासन व आबकारी विभाग की टीम को लगी तो टीम शुक्रवार की देर शाम प्रयागराज के सदर तहसील के कटहुला गौसपुर में पहुंच गई। डेढ़ बीघा में बने महारानी पार्कर पेंट फैक्ट्री की आड़ में बड़े पैमाने पर सेनेटाइजर बनाने का काम चल रह था। आबकारी व प्रशासन द्वारा की जा रही बड़ी कार्रवाई की सूचना मिलते ही दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम भी मौके पर पहुंच गई। छापेमारी मारने वाली टीम के साथ प्रिमाइस में एंट्री की गई। चारों तरफ बड़ा-बड़ा ड्रम का डब्बा रखा था। उसमें सिर्फ नकली सेनेटाइजर भरा था। डेढ़ बीघा में बने फैक्ट्री के अंदर नई उम्र के लड़के इस काम में जुटे हुए थे। हर तरफ पैकिंग करने का काम चल रहा था। इस सब मंजर देख सब दंग रह गए।

हर कमरे का था अलग यूज

डेढ़ बीघा में क्षेत्रफल में स्थित फैक्ट्री के अंदर करीब एक दर्जन कमरे बने थे। हर कमरे के अंदर अलग-अलग काम हो रहा था। गेट से एंट्री करते ही लेफ्ट साइट में दो कमरा बना था। पहले कमरे में रेडी माल रखा जा रहा था। दूसरे कमरे में हिसाब-किताब करने वाले लोग बैठे थे। बाकि लगभग आधा बीघा खाली जमीन पर पचास से अधिक बड़े ड्रम रखे थे। इसमें लिक्विड भरा था। उस लिक्विड को खाली डब्बे में भरना था। थोड़ा अंदर एंट्री करने पर तीन कमरे थे। जिसमें खाली डब्बे व रेडी हो रहा माल मौजूद था। उसके बगल में पांच कमरे थे। जिसमें पानी की टंकी का यूज कर मशीन बनाया गया। जहां सिर्फ पैकिंग किया जाता था।

कोरोना काल में खोली मेडिकल शाप

बताया जाता है कि इसी परिवार के सदस्य ने कोरोना काल में ही सुलेम सराय में मेडिकल स्टोर खोला है। इस बिजनेस में इनवाल्व लगभग पूरा परिवार है। शुक्रवार की रात रेड पड़ी और गोरखधंधे का खुलासा हुआ तो सभी भाई एक-दूसरे पर आरोप लगाने लगे। जो भाई यह बता रहा था कि उसका इस बिजनेस से कोई लेना-देना नहीं है उसका भी बेटा मौके पर मिला। हालांकि, इस पर उनकी तरफ से सफाई आयी कि वह छापे की सूचना पर मौके पर पहुंचा था।

सरकारी रेट

200 एमएल सेनेटाइजर 100 रुपये

50 एमएल सेनेटाइजर 25 रुपये

पांच लीटर सैनिटाइजर 2500 रुपये

बगैर लाइसेंस के चल रहा था काम

बगैर किसी वैध लाइसेंस के कोविड से संबंधित सेनेटाइजर, हैण्ड्वॉश सहित अन्य प्रोडक्ट मैन्युफैक्चर किये जा रहे थे

खतरनाक केमिकल के साथ मेथनॉल का यूज हो रहा था सेनेटाइजर बनाने में

जांच के लिए हर लिक्विड का सिंपल भेजा जाएगा लैब

फैक्ट्री से बरामद सभी माल की कीमत एक करोड़ से है अधिक

अधिकारियों की माने तो कोरोना काल से लेकर अब तक करोड़ों का बेचा जा चुका है माल

सेनेटाइजर खरीदते समय बरतें सावधानी

मेडिकल स्टोर या किसी अन्य दुकान से सेनेटाइजर खरीदते समय उसका बिल जरूर लें।

सेनेटाइजर की बोतल पर कंपनी का लाइसेंस नंबर, बैच नंबर, और एक्सपाइरी डेट जरूर चेक करें

शीशी, बोलत या गैलन पर लाइसेंस और बैच नंबर नहीं है तो ऐसे सेनेटाइजर की क्वालिटी खराब हो सकती है। इसे खरीदने से बचें

इस समय त्वचा रोगियों की संख्या चार गुना बढ़ गई है। नकली सेनेटाइजर लगाकर धूप में निकलने पर अल्ट्रा वॉयलेट रेज स्किन कैंसर तक का रोगी बना सकती हैं। इस समय हाथों पर काले चकत्ते, दाद, खाज व खुजली की शिकायत बढ़ी है। इसलिए मरीजों को साबुन से हाथ धोने की सलाह दी जाती है। साबुन पानी के साथ सफाई करने से हाथ साफ हो जाता है। इससे हाथों पर जमे कीटाणु खत्म हो जाते हैं। सेनेटाइजर लंबे समय तक हाथ पर बना रहता है।

अरुण गुप्ता

त्वचा रोग विशेषज्ञ

सेनेटाइजर असली है या नकली इसकी पहचान नमूने की जांच से ही होती है। नकली सेनेटाइजर की बिक्री पर लगाम कसने के लिए अभियान शुरू कर दिया गया है। किसी भी कीमत पर नकली सेनेटाइजर का व्यापार नहीं करने दिया जाएगा।

अजय गुप्ता

नायाब तहसीलदार सदर, प्रयागराज

नियमों की अनदेखी करके नकली फैक्ट्री के जरिए सरकारी राजस्व को भी करोड़ो का नुकसान पहुंचाया जा चुका है। जिस जगह पर यह नकली सेनेटाइजर फैक्ट्री चल रही थी, पहले वहां महारानी पार्कर के नाम से पेंट बनाने का काम किया जाता था। फैक्ट्री के अंदर से मशीनें भी बरामद की गई हैं। आगे की कार्रवाई की जा रही है।

इंद्रजीत गर्ग

आबकारी निरीक्षक

हो गया खेल, छूट गए दो लोग

क्कक्त्रन्ङ्घन्द्दक्त्रन्छ्व: शुक्रवार देर शाम फैक्ट्री पर छापेमारी की कार्रवाई के दौरान स्थानीय पुलिस व आबकारी की टीम ने चार लोगों को मौके से पकड़ा था। एक दिन पूछताछ करने के बाद पुलिस ने दो लोगों को छोड़ दिया। यह कार्रवाई पूरे दिन चर्चा का विषय बनी रही। सूत्रों की मानें तो छोड़े गये लोगों में से एक ने ले-देकर मामल सैटिल्ड करने का ऑफर किया था। इस पर पुलिस ने उसे डपट भी किया था। इंस्पेक्टर इंद्रजीत गर्ग ने बताया कि डेढ़ बीघा में बने फैक्ट्री की दीवारों पर महारानी पार्कर, महारानी नगर कटौला गौसपुर अंकित पाया गया। इसके साथ ही सेनेटाइजर पर छपे कस्टमर केयर नंबर 8887588029 पर कॉल कर नरेश केशरवानी के बुलाया गया। उन्होंने अस्पताल में होने का हवाला देते हुये अपने बेटे को फैक्ट्री भेज दिया। पुलिस का कहना है कि जिनकी जमीन पर कारोबार चल रहा था। उनको और उसके बेटे के खिलाफ 419 और 420 का मुकदमा दर्ज कराया गया है। दीवार व सेनटाइजर पर अंकित नंबर को चेक करने पर पाया कि वह नंबर महारानी पेंट्स सुलेम सराय के नाम से सेव किया गया है।

Posted By: Inextlive