तीन असलहों का लाइसेंस जारी हुआ था अतीक की पत्नी के नाम

प्रयागराज ब्यूरो । अतीक और अशरफ के साम्राज्य पर शासन और प्रशासन की तरफ से की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद इस गैंग को अतीक की पत्नी शाइस्ता अब हैंडिल कर रही है। इस तरह के संकेत आने के साथ ही अब यह चर्चा भी मार्केट में आ गयी है कि शाइस्ता प्रयागराज की पहली लेडी डान बनने की राह पर है। उसके खिलाफ 25 हजार रुपये का इनाम घोषित हो चुका है। पिछले 37 दिन से वह एसटीएफ से लेकर कमिश्नरेट प्रयागराज के लिए चुनौती बनी हुई है। उसके अधिवक्ता की तरफ से कोर्ट में अर्जी दाखिल की जा रही है। कोर्ट की प्रक्रिया भी पूरी हो रही है। इसके बाद भी उसकी तरफ से अभी तक सरेंडर की भर्ती नहीं दी गयी है।

उमेश हत्याकांड में है नामजद
शाइस्ता परवीन का नाम उमेश पाल हत्याकांड में उछला है। उमेश की पत्नी जया पाल की तरफ से दर्ज करायी गयी रिपोर्ट में भी शाइस्ता को तीसरे नंबर पर रखा गया है। वह इस केस में कितना इनवाल्व है, यह तो उससे पूछताछ के बाद ही पता चल पायेगा लेकिन पुलिस के पास सीसीटीवी फुटेज व अन्य से हुई पूछताछ में जो पता चला है उससे संकेत है कि उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम देने वालों के वह सम्पर्क में थी। इसी से आशंका जताई जा रही है कि उसे इस घटना के बारे में सब कुछ पता था। अब इससे एक कदम आगे बढऩे की बात हो रही है कि पति की गैर मौजूदगी में वही इस गैंग के गुर्गों को मैनेज कर रही थी। उमेश पाल हत्याकांड वाले दिन यानी 24 फरवरी से ही वह गायब है। एसटीएफ, सर्विलांस, लोकल पुलिस उसकी तलाश में लगी हुईं हैं लेकिन वह गायब है। उसके बारे में कोई ठोस सुराग मिल चुका है? ऐसा कोई संकेत भी पुलिस अफसरों की तरफ से नहीं आया है। यह सब कुछ बताता है कि वह हत्याकांड से पहले ही पूरी तैयारी में थी। तभी उसने अपने गायब होने का प्लान इस तरह से तैयार किया कि किसी को खोजने पर भी न मिले।

दाखिल कर रही है अग्रिम जमानत याचिका
उमेश पाल हत्याकांड के बाद गायब शाइस्ता परवीन कानूनी दांव पेंच से भी खेल रही है। उसके अधिवक्ता की तरफ से कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की जा चुकी है। इस पर कोर्ट एक अप्रैल को अपना फैसला सुना सकती है। इसके अलावा उसकी तरफ से अधिवक्ता ने कोर्ट में अतीक के दोनों नाबालिक बच्चों को लेकर याचिका भी दाखिल कर रखी है। यह मामला भी निर्णायक मोड़ पर आकर खड़ा हो गया है। दोनों बच्चों को किसकी सिपुर्दगी में दिया जायेगा? इस पर भी बात होने लगी है। हालांकि, इस तरह का कुछ भी तभी होगा जब कोर्ट से सीधा आदेश जारी किया जायेगा।
छह साल से अतीक है जेल में
बता दें कि माफिया अतीक अहमद पिछले छह साल से जेल में है। शुआट्स कांड के बाद उसे नैनी जेल में रखा गया था। यहां से वह देवरिया जेल भेजा गया था। देवरिया जेल कांड सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उसे गुजरात की साबरमती जेल में रखा गया है। अतीक का भाई अशरफ भी करीब तीन साल पहले गिरफ्तार किया जा चुका है। करीब दो साल से वह बरेली जेल में है। अतीक और शाइस्ता का बड़ा बेटा उमर देवरिया जेल कांड में जेल में है तो दूसरे नंबर का बेटा अली प्रयागराज जेल में बंद है। उसे गुंडा टैक्स मांगने में जेल भेजा गया था। परिवार के सभी जिम्मेदारों के जेल जाने के बाद शाइस्ता पर बड़ी जिम्मेदारी परिवार की देखरेख की थी तो अपना रसूख बचाए रखने के लिए अतीक के गुर्गों पर भी नियंत्रण रखने की जिम्मेदारी आ गयी थी। इसी से शक जताया जा रहा है कि वह भी अपराध के दलदल में प्रवेश कर चुकी है।

करीबियों के घर पर होने की आंशका
गुरुवार को पुलिस टीम को सूचना मिली कि शाइस्ता परवीन कहीं दूर नहीं बल्कि जिले के अंदर अपने करीबियों के यहां रुकी हुई है। इसी सूचना के आधार पुलिस की दो टीमों ने अतीक के करीबियों के यहां नवाबगंज, गद्दोपुर से लेकर कसारी-मसारी तक छापेमारी की। पुलिस टीमों ने कई लोगों से शाइस्ता के बारे में पूछताछ की। शाइस्ता की तलाश में एक टीम मेरठ में छापेमारी कर रही है। मेरठ में अतीक की बहन का घर है। वहां पहले भी छापेमारी हुई थी। अतीक की बहन के परिवार वालों से पूछताछ के बाद टीमों ने मेरठ में एक और घर में दबिश दी। हालांकि वहां भी शाइस्ता परवीन नहीं मिली। गुरुवार को भी एसटीएफ की एक टीम ने मरियाडीह से दो युवकों को उठाया है। इन लोगों से असद के बारे में पूछताछ की जा रही है।

मार्च गुजर गया फिर भी हाथ खाली
उमेश पाल हत्याकांड में हत्या आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से पुलिस कमिश्नरेट पर सवाल खड़ा हो रहा है। जबकि माना जा रहा था कि कमिश्नरेट बनने के बाद पुलिस तंत्र और मौजूद हो जायेगा। उमेश पाल हत्या कांड को बीते एक महीने से ऊपर का समय हो चुका है। उसके बाद भी पुलिस के हाथ खाली है। पूरा मार्च का महीना बीत ही चुका है। फिर भी पुलिस के हाथ मुख्य शूटर हाथ नहीं आए हैं। सवाल यह ही उठता है कि इनको आसमान निगल गया या जमीन खा गई। यह सब शूटर कहां गए जिन तक कानून के लम्बे हाथ नहीं पहुंच पा रहे हैं। उमेश पाल हत्याकांड में कोई अपडेट पूछने पर अधिकारी मुंह तक नहीं खोलते।


माफिया अतीक अब कैदी नंबर 17052, जेल में करेगा काम


-साबरमती जेल प्रशासन ने नंबर किया आवंटित
-जेल मैनुअल के अनुसार काम की सूची
जासं, प्रयागराज : उमेश पाल हत्याकांड में आजीवन सश्रम कारावास की सजा पाने वाला माफिया अतीक अब सलाखों के पीछे कैदी नंबर 17052 बन गया है। अब वह दूसरे कैदियों की तरह जेल की वर्दी पहनेगा और काम करेगा। सलाखों के पीछे वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। बताया गया है कि साबरमती जेल प्रशासन की ओर से सजायाफ्ता कैदी नंबर और वर्दी आवंटित किए जाने के बाद अतीक के हावभाव बदल गए हैं। उसे जेल मैनुअल के अनुसार काम की सूची सौंपी गई है, ताकि उसकी अवस्था के अनुसार काम लिया जा सके।
पिछले कई साल से सलाखों के पीछे कथित रूप से आराम करने वाले अतीक के लिए जेल का माहौल पहले जैसा नहीं रहेगा। पुकार लगाने पर उसका नाम लेने की बजाय कैदी नंबर बुलाया जाएगा। दूसरे कैदियों की तरह अतीक भी लाइन में खड़ा होकर खाना लेगा और काम करेगा। जानकारों का कहना है कि अतीक नैनी, देवरिया, बरेली सहित कई जेलों में रह चुका है, लेकिन उसके शौक कम नहीं होते थे। अपनी हनक और दूसरे कारणों से वह जेल अधिकारियों और कर्मचारियों पर प्रभाव जमाता रहा है। देवरिया जेल में लखनऊ के बिल्डर और प्रयागराज के प्रापर्टी डीलर की बेरहमी से पिटाई भी की थी। साबरमती जेल में रहते हुए उसने एक शख्स को फोन करके धमकी दी थी तो दूसरे से रंगदारी मांगी थी। उमेश पाल और उनके दो सरकारी गनर की हत्या की तफ्तीश में यह बात सामने आई थी कि अतीक आइफोन पर फेस टाइम एप के जरिए गुर्गों से संपर्क में था। मगर अब वह सजायाफ्ता कैदी हो गया है तो उसकी हनक भी कम होने की बात कही जा रही है। उधर, नैनी जेल में बंद अतीक के वकील खान सौलत हनीफ व दिनेश पासी को भी एक सप्ताह में कैदी नंबर आवंटित कर दिया जाएगा और उनसे काम भी लिया जाएगा। इनको भी सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

तीन लाइसेंस जारी हुए थे असलहे के
बताया जाता है कि अतीक के परिवार के नाम पर कुछ आठ असलहों के लाइसेंस जारी किये गये थे। घरेलू महिला की छवि रखने वाली शाइस्ता परवीन के नाम भी तीन असलहों के लाइसेंस जारी थे। जिसका बाहरी दुनिया से कोई नाता नहीं, उसके नाम पर लाइसेंस जारी होना बयां करता है कि अतीक का रसूख किस स्तर का था। बता दें कि लाइसेंस के लिए आवेदन के पीछे शर्त होती है, सुरक्षा के लिए। यह भी देखा जाता है कि आवेदक को खतरा कितना है। ऐसे में सवाल उठता है कि शाइस्ता परवीन को घर में क्या खतरा था कि तीन लाइसेंस स्वीकृत हो गए थे।

Posted By: Inextlive