साल्वर के रूप में पकड़े गए ज्यादातर युवा कर रहे थे बैंक पीओ की तैयारी

लालच और शार्टकट के चक्कर में बर्बाद कर लिया कॅरियर, पहुंचे जेल

सपना तो उन्होंने देखा था बैंक ऑफिसर बनने का। इसके लिए पढ़ाई भी की और कोचिंग भी ली। लेकिन, लालच और शार्टकट से अमीर बनने के चक्कर में न सिर्फ उन्होंने अपना कॅरियर बर्बाद किया बल्कि जेल की हवा खाने पर भी मजबूर हो गए। हाई कोर्ट के आरओ-एआरओ परीक्षा में सॉल्वर बनकर आए आरोपियों की यही कहानी है। उन्हें इस रास्ते पर ले गया दीपक जो खुद कोचिंग चलाता था। एक परीक्षा में बैठने मात्र पर एक लाख रुपए मिल जाते थे। इसी से युवाओं का मन डोल गया और वे अपराध के दलदल में फंस गए।

सभी हैं ग्रेजुएट

एसटीएफ के सूत्रों के अनुसार ग्रेजुएट दीपक हरियाणा के जींद में कोचिंग चलाता है। रविवार को पकड़े गए आरोपी जयदीप, अमित, संजय सिंह, अश्वनी, सुनील, नवदीप, रवि और सुनील कुमार जाट स्नातक कर चुके हैं। सभी छात्र गिरोह के सरगना दीपक की कोचिंग में बैंक पीओ की तैयारी कर रहे थे। मध्यमवर्गीय परिवारों के इन छात्रों को कोचिंग में गणित व रीजनिंग भी पढ़ाई जाती थी। पूछताछ में सामने आया कि कुछ छात्रों की मुलाकात दीपक से पूर्व में हिसार में संचालित एक कोचिंग सेंटर में हुई थी। दीपक ने नवदीप के जरिए अन्य छात्रों को रुपयों का लालच देकर सॉल्वर गैंग से जोड़ने का काम किया।

दोस्त तलाशता था शिकार

पुलिस के मुताबिक पकड़ा गया सीआरपीएफ का सिपाही गौरव कुमार दिल्ली में वर्ष 2007 में 12वीं का छात्र था। दीपक भी गौरव के साथ पढ़ता था और तभी से दोनों की गहरी दोस्ती है। गौरव वर्ष 2010 में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। आरोपी अमित निजी कंपनी में काम करता है। वह गौरव के जरिए दीपक से जुड़ा था। गौरव व अमित परीक्षा के लिए कंडीडेट दीपक को उपलब्ध कराते थे। इसके बदले दीपक उन्हें प्रति कंडीडेट के लिए 50 हजार से एक लाख रुपये देता था। जबकि, दीपक अभ्यर्थियों के संपर्क में आने के बाद उन्हें सॉल्वर उपलब्ध कराने के लिए आठ से 10 लाख रुपये लेता था।

एसटीएफ भी हो गई है सक्रिय

हाईकोर्ट के आरओ परीक्षा के दौरान सिस्टम को धता बताने की कोशिश करने वाले ज्यादातर लोगों को जीआरपी ने पकड़ा था। इसी के चलते उसे प्रेस कांफ्रेंस करके अपनी पीठ थपथपा लेने का मौका दे दिया गया। लेकिन, दीपक और उसके नेटवर्क तक पहुंचना जीआरपी के लिए आलमोस्ट नामुमकिन काम है। इसी के चलते इस पार्ट पर एसटीएफ ने फोकस कर दिया है।

ऐसे होती थी डील

मास्टरमाइंड दीपक 'शिकार' लाने वाले को एक परीक्षा के लिए एक लाख रुपये का भुगतान करता था

एडवांस के तौर पर 40 हजार रुपए दिए जाते थे

परीक्षा सकुशल निबट जाने के बाद उन्हें 60 हजार रुपये की दूसरी किश्त दी जाती थी

अभ्यर्थियों से आठ से दस लाख रुपए में डील करता था

Posted By: Inextlive