आज से सावन माह की शुरुआत, शिवमंदिरों में पूजा पाठ के लिए पहुंचेंगे भक्त, व्यवस्था में जुटा रहा प्रबंधतंत्र

रोक के चलते नहीं दिखेगा कांवरियों का जत्था, पूजा पाठ के लिए शिव भक्त तैयार

PRAYAGRAJ: भगवान शिव की स्तुति का पावन माह सावन आज यानी रविवार से शुरू हो गया है। शिव मंदिरों में पूजा पाठ की तैयारी शनिवार से ही शुरू हो गई थी। इस बार सावन का महीना 22 अगस्त तक का होगा। ऐसा कर्मकाण्डी पुरोहित कहते हैं। सावन माह में सच्ची श्रद्धा व विश्वास से शिव की पूजा करने वाले भक्तों को विशेष फल प्राप्त होते हैं। यही वजह है कि सावन माह का शिव भक्तों को बेसब्री से इंतजार रहता है। इस बार बाबा के भक्त कांवर लेकर जलाभिषेक नहीं कर सकेंगे। क्योंकि कोरोना महामारी को देखते हुए कांवर यात्रा पर सरकारी रोक लगी हुई है। शनिवार शाम शिव मंदिरों में दिव्य सजावट में भक्त व महंत जुटे रहे।

सावन में इस बार चार सोमवार

मनकामेश्वर, गंगोली शिवालय, शिव कचहरी, दशाश्वमेध, पंडि़ला महादेव सहित अन्य शिवालयों में लाभिषेक व शिव पूजन के लिए जबरदस्त भीड़ रहती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पुरोहित कहते हैं कि सावन के महीने में ही मां पार्वती ने व्रत रखकर शिव को पाया था। यही वजह है कि महिलाएं व युवतियां सावन माह में शिव भक्ति में विशेष रुचि लेती हैं। व्रत रखने वाली महिलाएं कुशलता वैवाहिक जीवन व सुख-समृद्धि के लिए शिव की आराधना करती हैं। जबकि युवतियां मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए शिव आराधना करती हैं।

बारह ज्योतिर्लिगों के दर्शन का लें फल

पुरोहित बताते हैं कि सावन माह में यम-नियम से भगवान भोलेनाथ की आराधना विशेष फलदाई होती है। ऐसा करने वाले व्यक्ति को 12 ज्योतिर्लिगों के दर्शन करने के समान फल मिलता है। शिव व्रत रखने व शिव अनुष्ठान कराने वालों को मन ही मन 'ऊं नम: शिवाय' व महामृत्युंजय के मंत्रों का जाप करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने वाले भक्त पर शिव की कृपा जल्द बनती है.पूजन सामग्री अर्पित करने के बाद शिव चालीसा व आरती का पाठ करना चाहिए। सावन में रुद्राभिषेक का पुरोहित विशेष महत्व बताते हैं। कहते हैं कि रोज न सही पर सावन में एक बार रुद्राभिषेक यथा शक्ति जरूर करवाना चाहिए।

रुद्राभिषेक और उसका पूर्ण लाभ

-शर्करा (चीनी या गुड़ के रस) से रुद्राभिषेक करने से सुख-समृद्धि व धन की प्राप्ति होती है।

-दही से रुद्राभिषेक करने पर पशु पालन की मनोवृत्त की प्रप्ति होती है।

-शहद से रुद्राभिषेक करने पर धन की प्राप्ति होती है।

-तीर्थ के जल से रुद्राभिषेक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

-गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करने से धन की प्राप्ति होती।

-गाय के दूध से रुद्राभिषेक करने से सुख-समृद्धि व संतान की प्राप्ति होती है।

-कुष मिश्रित गंगाजल से रुद्राभिषेक करने से समस्त रोगों से मुक्ति मिलती है।

-पंचामृत से रुद्राभिषेक करने से समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है।

-सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करने से शत्रु पराजय की कामना पूरी होती है।

-इत्र मिले जल से रुद्राभिषेक करने से बिगड़े काम बनेंगे।

लगाएं मास्क बनाएं सोशल डिस्टेंस

सावन के पहले दिन शिवालयों में लाखों भक्तों के पहुंचने की संभावना है। इस संभावना के मद्देनजर शांति व सुरक्षा को लेकर अधिकारी भी पुख्ता रणनीति बना चुके हैं। शिवालयों के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे। यह जिम्मेदारी सम्बंधित थाना प्रभारियों को सौंपी गई है। भक्तजन कतार नियम से डिस्टेंस बनाकर दर्शन व पूजन करेंगे। अफसरों ने अपील किया कि दर्शन के लिए शिवालयों में आने वाले भक्तजन मास्क और सोशल डिस्टेंस का प्रयोग जरूर करें।

सावन माह में शिव आराधना के विशेष फल जातक को मिलते हैं। यह महीना शिव आराधना के लिए उत्तम माना गया है। इस बार सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं।

पं। मनोज तिवारी, ज्योतिषाचार्य रसूलाबाद

Posted By: Inextlive