- मुंशी प्रेमचंद के साहित्य पर आधारित नाटक में कलाकारों ने अभिनय से डाल दी जान


प्रयागराज ब्यूरो । निस्वार्थ भाव और पूर्ण श्रद्धा के साथ देश हित में किए गए कार्यों को ही सच्ची राष्ट्रभक्ति कहा जाता है। जहां न तो जान की परवाह हो न धन का लोभ और न शगुन अपशगुन की चिंता। इसी जुनून में कुंवर रतन सिंह अपनी पत्नी की सुहाग की साड़ी को भी विदेशी वस्तुओं के हवन में आहुति दे देता है। क्योंकि वह साड़ी विदेशी होती है। ऐसा ही दृश्य रविवार शाम को एनसीजेडसीसी में मुंशी प्रेमचंद कृत नाटक सुहाग की साड़ी के मंचन में देखने को मिला।आंदोलन पर आधारित था नाटक
नाटक सुहाग की साड़ी स्वतंत्रता आंदोलन के समय चलाए जा रहे विदेशी सामानों के बहिष्कार आंदोलन पर आधारित था। नाटक में यह दिखाने का प्रयास किया गया कि उसूलों और सिद्धांतों के आगे किसी भी प्रकार की मान्यताओं का कोई अर्थ नही होता। नाटक की कहानी गांव के जमींदार कुंवर रतन सिंह और उनकी पत्नी गौरा के इर्द गिर्द घूमती है। रतन सिंह विदेशी सामानों के बहिष्कार आंदोलन की अगुवाई कर रहा होता है। वह बहुत ही महत्वाकांक्षी और सिद्धांतवादी हैं। एक दिन विदेशी सामानों के बहिष्कार आंदोलन के लोगों ने रतन सिंह के घर के सामने विदेशी सामानों की आहुति देने का कार्यक्रम बनाया। वह सब रतन सिंह से विदेशी सामानों को जलाने को कहते हैं। पत्नी के विचार होते हैं भिन्नरतन सिंह की पत्नी गौरा के विचार भिन्न होते हैं। उसका मानना होता है कि अपना घर फूंकने से स्वराज नही मिलने वाला। लेकिन रतन सिंह अपने उसूलों का पक्का है। उसका मानना है विलायत का एक सूत भी मेरे प्रण को भंग कर देगा। पति के बहुत कहने पर गौरा घर में रखा सारा सामान तो दे देती है लेकिन एक रेशमी साड़ी को देने से मना कर देती है। क्योंकि यह साड़ी उसकी सुहाग की है.रतन सिंह कहता है देश से बढ़ कर मैं किसी मान्यताओं को नही मानता। ऐसे दृश्यों ने दर्शकों को भाव विभोर कर दिया।अपनी भूमिका से किया प्रभावित


निर्देशक के रूप में युवा रंगकर्मी अनूप श्रीवास्तव ने कलाकारों से जीवंत अभिनय कराकर अपनी योग्यता का परिचय दिया। कुंवर रतन सिंह की भूमिका में सिद्धांत चंद्रा, गौरा की भूमिका में श्रेया सिंह, केसर महरी की भूमिका में नेहा यादव, रामटहल साईस की भूमिका में आथर्व सिंह ने नाटक में जान डाल दी। प्रकाश व्यवस्था सुबोध सिंह, संगीत परिकल्पना मनोज गुप्ता, रूप सज्जा मो। हामिद अंसारी, सेट निर्माण आरिश जमील, वस्त्र विन्यास आशी अहमद का रहा। संस्था के महासचिव जमील अहमद ने अतिथियों का स्वागत किया एवं संस्था की जानकारी दी जबकि धन्यवाद ज्ञापित संस्था के अध्यक्ष रतन दीक्षित ने किया। मंच संचालन शांता सिंह ने किया।

Posted By: Inextlive