प्रश्नपत्र लीक होने के कारण रद हुई उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा यूपीटीईटी को अब 23 जनवरी को शुचितापूर्ण कराना बड़ी चुनौती है. नकलविहीन परीक्षा कराने की मंशा से पिछले दिनों उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी पीएनपी सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी के प्रस्ताव पर शासन ने परीक्षा केंद्रों के पुनरावलोकन करने का निर्देश दिया था. इसमें विश्वविद्यालय महाविद्यालयों तक को केंद्र बनाने का सुझाव दिया था. मुख्यमंत्री ने भी केंद्र चयन को लेकर हिदायत दी है. इसके बावजूद कई जिलों ने कोई बदलाव न कर पुरानी सूची को ही भेज दिया.


प्रयागराज (ब्यूरो)। दो पालियों में कराई जाने वाली इस परीक्षा में कुल 21,65,179 अभ्यर्थियों को सम्मिलित होना है। पहली पाली की प्राथमिक स्तर की परीक्षा के लिए 2532 और दूसरी पाली की उच्च प्राथमिक स्तर की परीक्षा के लिए 1733 केंद्र बनाए गए हैैं। नकलविहीन परीक्षा के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव से लेकर शासन तक की नजर परीक्षा केंद्रों पर है। इसी कारण शासन ने केंद्र निर्धारण के लिए बनाई गई समिति में जिलाधिकारी को शामिल कर जिम्मेदार बनाया। इसके बाद जिलों ने पुनरावलोकन कर परीक्षा केंद्रों की जो सूची भेजी, उसमें प्रयागराज, जौनपुर, मथुरा, कानपुर नगर सहित करीब दो दर्जन जिलों ने कोई परिवर्तन नहीं किया। यह वह जिले हैैं, जहां नकल को लेकर पहले मामले सामने आ चुके हैैं। ज्यादा परीक्षार्थियों के बैठने वाले स्थान ही बनाने थे सेंटर
केंद्र निर्धारण को लेकर पीएनपी की मंशा थी कि ज्यादा परीक्षार्थियों के बैठने की व्यवस्था वाले विद्यालयों को केंद्र बनाया जाए, ताकि छोटे केंद्र कम किए जा सकें। कई जिलों ने इस अनुरूप बदलाव किए। अयोध्या, झांसी सहित कुछ जिलों में महाविद्यालय व विश्वविद्यालय को भी केंद्र बनाया गया हैै, जहां डेढ़ से दो हजार तक अभ्यर्थी परीक्षा देंगे। प्रयागराज में जो केंद्र सबसे अधिक अभ्यर्थियों वाला है, वह सिर्फ 750 का है। ऐसी ही स्थिति कई और जिलों में हैैं। कुछ जिलों के सर्वाधिक संख्या वाले केंद्रों पर शासन की सीधी नजर है। मंगलवार को प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार ने प्रदेश के सभी जिला विद्यालय निरीक्षक और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

बाक्सकोविड खतरे के बीच परीक्षा पर सवालकोरोना की तीसरी लहर के खतरे के बीच यूपीटीईटी के आयोजन के औचित्य पर युवा मंच ने मुख्यमंत्री को ट्वीट कर प्रश्न उठाए हैैं। छात्रों से वर्चुअल संवाद कर युवा मंच अध्यक्ष अनिल सिंह ने यह परीक्षा स्थगित करने को लेकर आम राय बताई है। उनके मुताबिक अमूमन आम राय थी कि जब शिक्षक भर्ती विज्ञापन का फिलहाल अतापता नहीं है, तब युवाओं की जिंदगी को खतरे में जानबूझकर क्यों डाला जा रहा है। कहा गया कि कोविड खतरे से निपटने के लिए स्कूल, कालेज में तमाम उपाय किए जा रहे हैं, इविवि की प्रवेश प्रक्रिया तक बंद कर दी गई है, तब 20 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों के शामिल होने वाली परीक्षा में बसों, बस अड्डों आदि में कोविड गाईडलाइन का अनुपालन संभव नहीं है।

Posted By: Inextlive