- 4 लाख रुपये से अधिक राजस्व मिला ए कैटेगरी के नंबरों के लिए

- 15 हजार रुपये अधिकतम कीमत वाले वीआईपी नंबरों को पाने की दिखी चाहत

- 01 लाख रुपये में बिके 5555, 0009 जैसे ए कैटेगरी के वीआईपी नंबर

- 9.5 लाख रुपये से अधिक की हुई विभाग को एक सीरीज से आमदनी

- आरटीओ को 80 फैंसी व वीआईपी नंबरों को सेल करके मिले करीब 10 लाख रुपये

- लॉकडाउन में भी विभाग को ए क्लास ने बनाया मालामाल

PRAYAGRAJ: कोरोना महामारी के कारण व्यापार से लेकर तमाम विभाग को पिछले कई माह से नुकसान हो रहा है वहीं दूसरी ओर परिवहन विभाग फैंसी नंबरों के जरिए लाखों रुपये का राजस्व बटोरने में जुटा है। एक सीरीज के नंबर से करीब दस लाख रुपये की कमाई कर रहा है। इसका प्रमाण विभाग का एक महीने का डाटा दे रहा है। एक तरफ मार्केट में भले ही व्हीकल खरीदने वालों की संख्या जरूर कम हुई है, लेकिन विभाग की माने तो फैंसी व वीआईपी नंबर लेने वालों का क्रेज कम नहीं हुआ है।

फैंसी नंबर करा रहा मालामाल

जुलाई मंथ में इस योजना के तहत 80 के करीब नंबरों की नीलामी से ही विभाग को 9.8 लाख रुपये से अधिक राजस्व मिला है। इस लॉकडाउन में योजना के तहत सबसे अधिक ए कैटेगरी के नंबरों के लिए बोली लगी। जिससे विभाग को चार लाख रुपये के आसपास का राजस्व प्राप्त हुआ है।

लाखों के नंबर कतार में

जुलाई महीने में एफजे (FJ) सीरीज खोला गया था। 15 दिनों में ही फैंसी व वीआईपी नंबर बुक हो गये, जिसके कारण हजारों आवेदकों को मनपंसद नंबर नहीं मिल पाया। अब वे लोग अगले सीरीज के खुलने का इंतजार कर रहे हैं। विभाग की माने तो फैंसी व वीआईपी नंबर बुक कराने के लिए हजारों लोग कतार में है। इस सीरीज में बुक हुए सैकड़ों नंबर ऐसे हैं जिनके लिए वाहन मालिक लाखों खर्च करने को तैयार हैं। ऐसे में विभाग को अगस्त माह भी फैंसी व वीआईपी नंबर से दस लाख रुपये से अधिक आमदनी की उम्मीद है।

वीआईपी नंबर की डिमांड

0001

0007

1111

5555

0009

सेकेंड नंबर पर डिमांड वाले नंबर

1555

2999

3111

4999

4141

8080

ऑनलाइन प्रक्रिया मुख्यालय स्तर से जारी की जाती है। इसमें वाहन मालिक खुद ही अपने स्तर पर बोली लगाता है। इससे विभाग को फायदा हो रहा है और आवेदक को अपनी पसंद का नंबर भी मिल रहा है। लॉकडाउन में भी बुकिंग धड़ल्ले से हो रही है।

डा। सियाराम वर्मा, एआरटीओ प्रशासन

Posted By: Inextlive