देहरादून के एजी आफिस में तैनात आडिटर सहित कई अब भी हैं वांछितएसटीएफ के खुलासे में इन सभी के नाम आए थे सामने तलाश अधूरीचार महीने से देहरादून एजी ऑफिस के आडिटर अमित वर्मा की तलाश अब तक पूरी नहीं हो सकी है. पिछले चार महीने से वह पुलिस की आंखों में धूल झोंककर भागा-भागा फिर रहा है. आडिटर पर साल्वर गैंग के सरगना के पास टीजीटी का पेपर भेजने के आरोप हैं. इतना ही नहीं उसके साथ पीजीटी परीक्षा में सेंध लगाने वाले और भी कई लोगों का कुछ पता नहीं है. ऐसे में पुलिस की पड़ताल और जांच पर सवाल उठ रहे हैं.


प्रयागराज (ब्यूरो)।एसटीएफ द्वारा सात अगस्त 2021 को शिवकुटी थाना क्षेत्र से साल्वर गैंग के सरगना धर्मेंद्र कुमार ङ्क्षसह उर्फ डीके निवासी सोरांव व होलागढ़ निवासी संजय पटेल को पांच गुर्गों के साथ पकड़ा गया था। अभियुक्तों के कब्जे से इलेक्ट्रानिक उपकरण, शैक्षणिक दस्तावेज, कार व नकदी बरामद हुई थी। पूछताछ में बात सामने आई थी कि धर्मेंद्र इसके पहले शिक्षक भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपित डॉ। केएल पटेल का शागिर्द था। बाद में कुछ मनमुटाव हुआ तो वह खुद का गैंग खड़ा कर लिया। एसटीएफ को मालूम चला था कि उसे देहरादून एजी आफिस का आडिटर अमित पेपर आदि मुहैया कराता था। अमित का नाम सामने आया तो पुलिस उसे वांछित कर दी थी। इसके बाद उसी दिन एसटीएफ की एक अन्य टीम ने कौशांबी से विजय शंकर मिश्रा व गोङ्क्षवद गुप्ता को दबोच लिया था। यह दोनों पकड़े गए इनके गैंग में जगतपुर निवासी कोरांव के मनीष पांडेय, संजय ङ्क्षसह कुशवाहा और कीडगंज निवासी श्यामजी पांडेय के साथ धूमनगंज में रहने वाले रेलवे इं। विनोद गुप्ता का चेहरा भी बेनकाब हो गया। इसके बाद प्रकाश में आए यह लोग भी वांछित घोषित कर दिए। वांछित इन गुर्गों व आडिटर को गिरफ्तार कर पाने में पुलिस अब तक नाकाम साबित हुई है।

Posted By: Inextlive