Allahabad: वैसे तो अपने शहर में कोई जू नहीं है. सुमित्रा नंदन पंत पार्क और मदन मोहन मालवीय पार्क में पशु-पक्षियों के रहने के लिए पिंजरा तो बना है लेकिन ले-देकर बचे हैं कुछ ही पक्षी. मजेदार यह देखने को मिला कि पिंजरे पर लिखा कुछ और है और पक्षी किसी और प्रजाति का मौजूद है. पक्षियों की दशा और उन्हें रखने वाले स्थान को देखकर किसी को भी दया आ जाएगी. लेकिन सिस्टम को कोई फर्क नहीं पड़ता. यहां कुछ पक्षी बचे भी हैं तो भाग्य भरोसे.

नाम कुछ और रहते कुछ और हैं

सुमित्रा नंदन पंत उद्यान घूमने आए हैं तो रंग-बिरंगे और स्टाइलिश पक्षियों को देखकर ज्ञान बांटने की जरूरत नहीं है। बच्चे साथ हैं तो उन्हें वहां रहने वाले पक्षियों को दिखाइए और चलते बनिक। दरअसल, यहां पर पक्षी के पिंजड़े पर जो नाम लिखा है हो सकता है असल में वह उस नाम का पक्षी ही न हो। यहां नए पक्षी तो लाए जाते हैं लेकिन केवल वही जो बच्चों को इंटरटेन कर सकें। इससे कोई मतलब नहीं है कि वह किस प्रजाति के हैं और मूल रूप से किस देश में पाए जाते हैं।

आते हैं हर साल लाखों tourist

टूरिस्ट डिपार्टमेंट के अनुसार इलाहाबाद में हर साल लाखों टूरिस्ट आते हैं। इलाहाबाद संगम नगरी के साथ साथ टूरिस्ट प्लेसेस के लिए भी फेमस है। इसके बावजूद यहां पर जानवरों और पक्षियों के लिए एक भी जू नहीं है। पशु-पक्षियों के नाम पर सिटी में हाथी पार्क यानि सुमित्रा नंदन पंत पार्क और मदन मोहन मालवीय उद्यान को जाना जाता है। दोनों स्थानों पर पिंजरे तो बने हैं लेकिन पशु एक भी नहीं देखने को मिलेगा। हां कुछ पक्षी जरूर हैं लेकिन जरूरी नहीं है जो टैग पर लिखा है वही पक्षी पिंजरे के भीतर भी हो।

देखरेख के लिए दिया गया ठेका

सुमित्रा नंदन पंत पार्क में रोज करीब तीन सौ से ज्यादा पर्यटक आते हैं। छुट्टियों में यह संख्या पांच सौ के आंकड़े को पार कर जाती है। यहां के कर्मचारियों ने बताया कि पक्षियों की देखरेख का ठेका नखाशकोना के पक्षी व्यापारी लाल मोहम्मद को दिया गया है। वही पक्षियों को ले जाता है और दूसरी दे जाता है। इन दिनों यहां पर लव बर्ड, आस्ट्रेलियन बाजीगर, फैंसी कबूतर, लक्का कबूतर, गिनी पिग, सिल्वर फिजेंट, बत्तख आदि मौजूद हैं। ये पिजरे के बाहर लगे टाइटल पर लिखा है। असल में ये पक्षी कौन हैं? यह देखभाल करने वाले कर्मचारियों को भी पता नहीं है।

 जल्द ही स्थापित होगा zoo

डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर अशोक दीक्षित की मानें तो इलाहाबाद में जू के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। मेजा में काले हिरन कई बार देखे गए हैं। ऐसे में इस एरिया को अभ्यारण के तौर पर डेवलप करने पर काम करने की योजना है। इसे मंजूरी भी मिल चुकी है। लेकिन, इसे डेवलप होने में अभी वक्त लगेगा। उनका कहना है कि यह प्रयास सफल रहा तो यहां दूसरे जानवर लाने का प्रयास किया जाएगा। इलाहाबाद में बंदरों का आतंक है। इसके लिए वानर पुनस्र्थापना योजना बनाई गई है।

 

Posted By: Inextlive