शहर से 36 लाख पौधे गायब
शहर से 36 लाख पौधे गायब
यह भी जानें 2019 में पूरा करना था लक्ष्य, अब खुली पोल 18 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य शहर में नगर निगम को मिला था। 12 लाख का बजट भी शासन ने विभागों को जारी किया था। ----- योगी सरकार का एलान - 25 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे इस साल, रिपब्लिक डे पर यूपी के वन एवं पर्यावरण मंत्री दारा सिंह चौहान का ऐलान - 22 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य साल 2019 में रखा गया था, दावे हुए फेल - इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट की रिपोर्ट में सामने आई हकीकत - जनवरी से दिसंबर तक करना था सभी विभागों को पौधरोपणअंकित चौहान, बरेली : ग्रीन पीस की रिपोर्ट के तहत सबसे प्रदूषित शहरों की टॉप टेन की लिस्ट में बरेली यूं ही छठे नंबर पर नहीं है, बल्कि इसके पीछे विभागों की घोर लापरवाही शामिल है। दरअसल, 36 लाख पौधे लगाने का जो लक्ष्य तय किया गया था, उसे बरेली पूरा ही नहीं कर पाया। हैरत की बात तो यह है कि ऐसा दो साल से चल रहा है। नतीजतन, प्रदूषण पर लगाम कसी ही नहीं जा सकी। हालत तो यह हो गई कि बीते तीन महीनों में शहर का एक्यूआई 500 के जानलेवा स्तर तक तीन बार पहुंचा। आइए जानते हैं क्या कहती है आईएसएफ की रिपोर्ट।
न ग्रीन, न क्लीन बरेली इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट (आईएसएफ) के अनुसार बरेली में ग्रीनरी का ग्राफ जीरो है। अब ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि वर्ष 2019 में शासन ने शहर में जो पौधरोपण कराने का लक्ष्य तय किया था, वह पौधे कहां लगाए गए। जबकि रिपोर्ट में एक फीसदी की भी ग्रोथ दर्ज नहीं है। 2017 से नहीं लगे पौधे इंडियन स्टेट फॉरेस्ट की वर्ष 2017 की रिपोर्ट के सापेक्ष वर्ष 2019 की रिपोर्ट में हरियाली का ग्राफ नहीं बढ़ा। इससे साफ होता है कि शहर में जिम्मेदार विभागों ने जो भी पौधरोपण किया है। वह सिर्फ कागजों पर है। निगम सबसे ज्यादा लापरवाह हर वर्ष शहर में हरियाली बढ़ाने के लिए वन विभाग और नगर निगम को पौधरोपण का लक्ष्य भेजा जाता है। निगम को पौधरोपण कर वन विभाग को रिपोर्ट सौंपनी होती है। शहर में पौधरोपण करने की जिम्मेदारी निगम की होती है लेकिन दो साल से निगम ने कहां पौधरोपण कराया, इसकी रिपोर्ट तक वन विभाग को नहीं सौंपी गई है। फोटो करनी थी अपलोडशहर के अधिकांश सरकारी विभागों को अपने परिसर में ही पौधरोपण कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। पौधरोपण कर प्लांटेशन मॉनीटरिंग सिस्टम यानि पीएमएस पर पौधरोपण वाले स्थान की फोटो अपलोड करनी थी, लेकिन विभागों ने जब पौधरोपण ही नहीं किया तो फोटो कहां से अपलोड करते।
36 लाख का था लक्ष्य शहर को हरा-भरा बनाने के लिए वर्ष 2019 में जनवरी माह में 36 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य दिया था। लेकिन तीन विभागों ने तय लक्ष्य के आधार पर पौधरोपण कर रिपोर्ट वन विभाग को सौंपी इसके अलावा किसी विभाग ने भी इस ओर ध्यान नही दिया। वहीं, शहर में नगर निगम को 18 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य मिला था। इसके लिए 12 लाख का बजट भी शासन ने संबंधित विभागों को जारी किया था। वर्जन -- आईएसएफआर विभाग की रिपोर्ट मिली है। इस वर्ष पौधरोपण का ग्राफ बढ़ाया जाएगा, जिसके लिए कार्य योजना तैयार की जाएगी। वहीं, जो भी विभाग रिपोर्ट सौपेंगे इसकी जमीनी हकीकत की भी पड़ताल की जाएगी। भारत लाल, डीएफओ। आईएसएफ की रिपोर्ट काफी गंभीर है। इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। इसके साथ ही बरेली को हरा-भरा बनाने के लिए मॉडल ग्रीन रोड योजना की शुरुआत की जाएगीे। संजीव प्रधान, पर्यावरण अभियंता, नगर निगम। ------ ग्राउंड रियलिटी कुछ औरनासा के अनुसार, पृथ्वी 20 साल पहले की तुलना में अब 5 फीसद ज्यादा ग्रीनरी है यानी दुनिया में हरियाली धीरे ही सही, पर पहले की तुलना में बढ़ी है। इसकी बड़ी वजह है दुनिया भर में की गई खेती। साथ ही अफ्रीका, भारत और चीन में शुरू हुए व्यापक वृक्षारोपण कार्यक्रम। लेकिन बरेली में जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग ही दिख रही है।
टेंशन कम करती है हरियाली इन्वायरनमेंट साइंस एण्ड टेक्नॉलजी पत्रिका में छपी रिसर्च के मुताबिक शहरों में हरियाली वाली जगहों पर रहने वाले लोगों में टेंशन और स्ट्रेस के लक्षण काफी कम देखे गए। अगर टेंशन का स्तर कम होता है, तो आप ज्यादा सही फैसले लेते हैं और बेहतर तरीके से अपनी बात कह पाते हैं। शहर बन रहे हीट आइलैंड शहरों में पेड़ काटे जाने, इमारतें बढ़ने और तमाम तरह के निर्माण के कारण तापमान बढ़ रहा है। ऐसे में शहर को अब अर्बन हीट आइलैंड या फिर हीट आइलैंड कहा जाने लगा है। अगर हवा की गति कम है तो शहरों को अर्बन हीट आइलैंड बनते आसानी से देखा जा सकता है। ग्रीन बिल्डिंग्स में 65 लाख जॉब्सअंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का अनुमान है कि ग्रीन बिल्डिंग्स बनाने के लिए 2030 तक 65 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी। आने वाले दशकों में पर्यावरण संरक्षण से जुड़े क्षेत्रों में यह ऊर्जा के बाद दूसरा सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला सेक्टर होगा। ग्रीन बिल्डिंग्स बनाते समय हरियाली और ऊर्जा की बचत का ध्यान रखा जाता है।