व्यवसाय को बढ़ाने के लिए पेड़ों पर बेलौस लगा देते हैं बोर्ड और बैनर. बीएसए ऑफिस में भी पेड़ को छलनी कर किया जा रहा अपना गुणगान

बरेली(ब्यूरो)। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में शासन की ओर से तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग का खतरा विश्व पर मंडरा रहा है। इससे बचने के लिए अधिक से अधिक पौधे लगाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए हर साल सरकार की ओर से बड़ी रकम भी प्रचार-प्रसार और पौधों को लगाने पर खर्च की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ शहर के लोग इस सब पर पानी फेरने में लगे हैं। यहां के कई व्यवसायियों द्वारा व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए होर्र्डिंस लगवाने के लिए इन पेडों का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। होर्डिंग लगाने के लिए वे बेधडक़ होकर पेड़ों के सीने को कीलों से छलनी कर रहे हैं। हैैरत की बात है कि जिम्मेदार भी इसको लेकर गंभीर नजर नहीं आते। यह कुछ देखते हुए भी आंखें मंूद ली जाती हैं।
वन विभाग के चीफ कंजर्वेटर ललित वर्मा का कहना है कि पेड़ों पर कील ठोकने के लिए किए जाने वाले वार से उनकी छाल टूटने लगती है, जिससे उनकी ग्रोथ रुक जाती है। उसका असर यह होता है कि पेड़ पूरी तरह खत्म होने के कगार पर भी आ जाता है। यदि उसी जगह पर बोर्ड भी लगा दिया जाए तो पेड़ पूरी तरह खत्म हो जाता है।

मानवता हुई गायब
वैज्ञानिक भी मानते हैं कि पेड़ों में जान होती है। वे भी सुख-दुख आदि भावों को महसूस करते हैं। लेकिन, वर्तमान में लोगों में मानवता तार-तार हो चुकी है। हैरत की बात है कि शहर के पढ़े लिखे वर्ग में भी पेड़ों के प्रति संवेदना नजर नहीं आती। बहुत ही ऐसे कम लोग ऐसे हैं जो पेड़ो में जीवन देखते हैं। वर्तमान में ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जो पेड़ों पर चोट करने से पहले एक बार भी मंथन करते हों।

क्या है ट्री प्रोटेक्शन
उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 के तहत राज्य के 62 जिलों में निजी भूमि पर भी लगेे पांच प्रजातियों के वृक्ष आम, नीम, साल, महुआ व खैर को काटना बड़ा अपराध माना जाता है। यदि कोई इन पेड़ों को काटता है तो इसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है। ऐसे में ट्री प्रोटेक्शन के तहत घर के अंदर हो या घर के बाहर पेड़ों की सुरक्षा करना प्रत्येक मानव का धर्म होता है। ऐसे में यदि उन्हें कोई कष्ट पहुंचाता है तो वह दंड का पात्र माना जाएगा।

सीन -1
बीएसए ऑफिस
सबसे अधिक आश्चर्य और दुख रामपुर गार्डन रोड पर स्थित बीएसए ऑफिस में एक पेड़ की हालत देखकर हुआ। यहां पर बेसिक शिक्षा के उच्च अधिकारी बैठते हैं। ऑफिस के पार्क में लगे पेड़ पर पार्क की सुंदरता का श्रेय लेने के लिए उन्होंने अपना बखान करते हुए पेड़ के सीने को छलनी कर डाला। अपने गुणगान के लिए वहां पर दो प्लेट्स ठोंकी गई हैं। इस पर नीचे बीएसए का नाम भी अंकित है। ऐसे में जिम्मेदारों की जिम्मेदारी पर भी क्वेश्चन मार्क लगना तय है।

सीन -2
कैंट रोड
कैंट क्षेत्र जो हरियाली के लिए पूरे शहर में मशहूर है, लोग वहां भी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। लोग अपनी कोचिंग हो या अन्य व्यवसाय उसके प्रचार-प्रसार करने के लिए पेड़ पर बोर्ड लगा देते हैं। इसे यहां पर कोई रोकने वाला भी नहीं है, जबकि कैंट में पेड़ काटने पर पूरी तरह से पाबंदी है।

सीन -3
रामपुर रोड
मेन रोड पर लगे हुए पेड़ सरकारी संपत्ति में आते हैं। इसके बाद भी शासन के नुमाइंदे इनकी सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं हैं। रामपुर रोड पर कई ऐसे पेड़ हैं, जिन पर विभिन्न संस्थानों का प्रचार करते हुए बोर्ड लगे हुए हैं। यहां पर हमेशा पेड़ों पर बोर्ड लगे रहते हैं। लोग तो ऐसा करने से बाज नहीं आ रहे, जिम्मेदारों का भी इस पर ध्यान नहीं है। ऐसा करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती

वर्जन
शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र पर्यावरण के प्रति लोगों में प्रेम समाप्त होता जा रहा है। शहर में ज्यादातर पेड़ों पर होडिंग लगाए गए हैं। इसके लिए कार्रवाई का प्रावधान भी है। जल्द ही इसके लिए अभियान चलाने की तैयारी भी है।
ललित वर्मा, चीफ कंजर्वेटर

Posted By: Inextlive