Raksha Bandhan 2020 Shubh Muhurat: इस वर्ष रक्षा बंधन का पर्व 3 अगस्‍त को मनाया जाएगा। इस दिन श्रावण मास का पांचवां सोमवार होने के कारण यह पर्व और भी विशेष हो गया है। इस दिन पूर्णा तिथि उत्तराषाढ़ा श्रवण नक्षत्र प्रीति/आयुष्मान योग बन रहा है। इस दिन राखी बांधने का मुहूर्त-प्रात: काल: 9:29 से 10:46 बजे तक अपराह्न: 3:45 से सायं 7:02 बजे तक भद्रा काल: सूर्योदय से प्रात: 9:28 बजे तक है। भगवान शिव की पूजा का श्रेष्ठ समय प्रात: काल 5:50 से 7:58 बजे तक अमृत के चौघडि़या मुहूर्त में राहु काल:-प्रात: काल 7:25 से 9:05 बजे तक है।

बरेली : Raksha Bandhan 2020 Shubh Muhurat: शास्त्रों के अनुसार श्रावणी पूíणमा रक्षाबंधन पर अधिकतर भद्रा का साया देखा गया है, परन्तु श्रावणी पूíणमा पर सावन के सोमवार का संयोग होने के कारण भद्रा का अनिष्ट फल कम ही रहता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि भद्रा का जन्म भगवान शिव के शरीर से हुआ। अत: भद्रा का दोष शान्त करने के लिए भगवान शंकर की पूजा उपयुक्त उपाय है। बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं। राजीव शर्मा का कहना है कि भगवान शिव और पार्वती की उपासना से भद्रा शुभ होती है। अत: रक्षाबंधन पर भद्रा का प्रकोप सूर्योदय से प्रात: 9:28 बजे तक रहेगा, यही समय भगवान शिव की पूजा-आराधना का श्रेष्ठ समय रहेगा।

पूíणमा के दिन त्रिमुहूर्त व्यापनी

भद्रा रहित काल में रक्षाबन्धन का पर्व मनाया जाता है। इस बार रक्षाबन्धन का पर्व 3 अगस्त दिन सोमवार को है। शास्त्रीय मान्यता अनुसार भद्रा में राखी बांधना निषेध होता है, क्योंकि श्रावणी राजा को क्षति करती है। परन्तु शास्त्र के अनुसार भद्रा का निवास तीनों लोकों में होता है, जिस समय भद्रा जहां निवास करती है फल भी वहीं का देती है। भद्रा निवास विचार के अनुसार चन्द्र राशि के अनुसार मेष, वृष, मिथुन (अश्वनि नक्षत्र से पुनर्वसु के तृतीय चरण तक) तथा वृश्चिक (विशाखा के चौथे चरण से ज्येष्ठा नक्षत्र के अन्त तक) के चन्द्रमा में होने पर भद्रा का निवास स्वर्ग लोक में रहता है। इस बार भद्रा सूर्य उदय से प्रात: काल 9:28 बजे तक ही रहेगी। अत: प्रात: काल 9:28 बजे के बाद पूरे दिन त्योहार मनाया जा सकेगा। पंचाग के मुताबिक पूíणमा पूरे दिन रहकर रात्रि 9:29 बजे समाप्त होगी। इस दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र प्रात: 7:19 बजे तक रहेगा तत्पश्चात श्रवण नक्षत्र लगेगा जोकि पूरी रात रहेगा। इस दिन प्रीति योग प्रात: 6:38 बजे तक रहेगा तत्पश्चात बेहद शुभ आयुष्मान योग अगले दिन तक रहेगा।

रक्षा और स्नेह का प्रतीक पर्व

रक्षाबन्धन का पर्व रक्षा और स्नेह का प्रतीक होता है, जो व्यक्ति रक्षा सूत्र बंधवाता है, वह यह प्रण लेता है कि बांधने वाले की वह सदैव रक्षा करेगा। पुरानी मान्यताओं में भविष्य पुराण के अनुसार रक्षा बन्धन का त्यौहार बृहस्पति के निर्देश में इंद्राणी द्वारा तैयार किये गये रक्षा सूत्र को ब्राह्मणों द्वारा इन्द्र की कलाई में बांधने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि बारह वर्ष तक चले देवासुर संग्राम में इन्द्र की भीषण पराजय के बाद इन्द्र को इन्द्र लोक छोड़कर जाना पड़ा, तब देवगुरू बृहस्पति ने इन्द्र को श्रावण शुक्ल पूíणमा को रक्षा विधान करने का परामर्श दिया। इस पर इन्द्राणी ने एक रक्षा सूत्र तैयार किया और उसे ब्राह्मणों द्वारा इन्द्र की कलाई पर बंधवा दिया। इस रक्षा सूत्र के कारण इन्द्र की सेवासुर संग्राम में अनन्त: विजय हुई। इस पर्व पर पौधरोपण भी किया जाता है जिसका विशेष फल प्राप्त होता है वृक्ष परोपकार के प्रतीक है, जो बिना मांगे फल, लकड़ी, छाया और औषधि प्रदान करने के साथ जीवनदायी प्राणवायु देते है।

व्रत-पूजा-विधान

इस दिन व्रती को चाहिए कि सविधि स्नान करके देवता पितर और ऋषियों का तर्पण करें। दोपहर को सूती वस्त्र लेकर उसमें सरसो, केसर, चन्दन, अक्षत एवं दूर्वा रखकर बांधे, फिर कलश स्थापना कर उस पर रक्षा सूत्र रखकर उसका यथाविधि पूजन करें। उसके पश्चात किसी ब्राह्मण से रक्षा सूत्र को दाहिने हाथ में बंधवाना चाहिए। रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण को यह निम्नलिखित मंत्र पढना चाहिए:-

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:.तेन त्वामनुबध्नाभि रक्षे मा चल मा चल।

Happy Raksha Bandhan 2020 Wishes, Images: इन खूबसूरत मैसेज व कोट्स संग भेजें रक्षाबंधन की प्‍यार भरी शुभकामनाएं

Posted By: Inextlive