Bareilly: सीबीएसई आईएससी और यूपी बोर्ड के इंटर का रिजल्ट डिक्लेयर हो चुका है. सिटी के प्रमुख कॉलेजेज इंटर पासआउट सभी स्टूडेंट्स के प्राइम टारगेट पर हैं. एडमिशन का जोड़-घटाव स्टार्ट हो चुका है. परंपरागत कोर्सेज पर अमूमन सभी स्टूडेंट्स की नजरें हैं. साथ ही गलाकाट कॉम्पिटिशन में वे कहीं एडमिशन से चूक न जाएं इसकी जुगत भी वे भिड़ा रहे हैं. यही रीजन है कि स्टूडेंट्स एक से ज्यादा कॉलेजेज को अपने टारगेट पर लेकर चल रहे हैं.


42 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स की रेसबरेली सिटी की ही बात करें तो इंटर के करीब 42,048 पासआउट स्टूडेंट्स हैं। इसमें यूपी बोर्ड के 36,748, सीबीएसई के करीब 4,500 और आईएससी के करीब 800 स्टूडेंट्स हैं। ये सभी एडमिशन की रेस में तो शामिल हैं ही साथ ही दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स के भी 30,000 से ज्यादा स्टूडेंट्स की निगाहें भी सिटी के कॉलेजेज पर टिकी हुई हैं.  यूनिवर्सिटी में नहीं यूजी की पढ़ाईसिटी में रुहेलखंड यूनिवर्सिटी भी है, लेकिन यहां पर यूजी कोर्सेज की पढ़ाई नहीं होती। डिस्ट्रिक्ट में आरयू से एफिलिएटेड करीब 37 डिग्री कॉलेज हैं। इसमें से करीब 29 कॉलेज ही यूजी के परंपरागत कोर्स कराते हैं। इनमें से भी 10 कॉलेज ही सिटी के हैं। बाकी दूर-दराज और रूरल एरिया में स्थापित हैं। इसी वजह से इंटर पासआउट के सभी स्टूडेंट्स की प्रॉयोरिटी में सिटी के ही चुनिंदा कॉलेजेज        ही हैं।
एक सीट पर चार दावेदार


यदि डिस्ट्रिक्ट की ही बात करें तो करीब 42,048 इंटर पासआउट स्टूडेंट्स हैं। वहीं सिटी के कॉलेजेज में करीब 11,280 सीट्स हैं। इस लिहाज से एक सीट पर करीब 4 स्टूडेंट्स अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। जबकि कंडीशन इससे भी ज्यादा एडवर्स हैं। क्योंकि दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स से भी करीब 30,000 स्टूडेंट्स एडमिशन की लाइन में हैं। सबसे ज्यादा मारामारी बीएससी कोर्स के लिए है। सिटी के कॉलेजेज में बीए की सीटें सबसे ज्यादा हैं। जबकि बीएससी और बीकॉम की सीटें करीब-करीब बराबर हैं।सिटी के कॉलेजेस में हैं 11,280 सीट्ससिटी के 10 प्रमुख कॉलेजेज में बीएससी, बीए और बीकॉम की पढ़ाई कराई जाती है। वहीं 3 कॉलेजेज में बीकॉम ऑनर्स की भी पढ़ाई होती है। बीएससी ऑनर्स की सुविधा किसी भी कॉलेज में नहीं है। बाकी कॉलेज में बीए के प्रमुख सब्जेक्ट्स और बीएससी मैथ्स व जेडबीसी की पढ़ाई होती है। इन कॉलेजेज में सभी यूजी कोर्सेज की करीब 11,280 सीट्स हैं।सिटी के प्रमुख कॉलेजों की सीटेंकॉलेज                  बीए         बीएससी  बीकॉम  बीकॉम ऑनर्सबीसीबी                  1840       1600      1040साहू राम स्वरूप         720अवंतीबाई राजकीय      540        120       120आर्य कन्या महाविद्यालय 400केसीएमटी                             240       120           60महाराजा अग्रसेन                     480       160           80सूरज भान                                         180           60जमुना प्रसाद            160        160       160खुसरो कॉलेज          1440        640       640रीजनल कॉलेज                               160              160 कॉलेजेज में है ऑनर्स कोर्सेज की कमी

सिटी के कॉलेजेज में एक तरफ परंपरागत कार्सेज की भरमार है तो दूसरी तरफ ऑनर्स की कोर्सेज की भारी कमी है। केवल बीकॉम में ही ऑनर्स कोर्स चलाए जाते हैं वे भी इक्के-दुक्के कॉलेज में। डिस्ट्रिक्ट के किसी भी कॉलेज में बीए और बीएससी ऑनर्स कोर्स नहीं चलाए जाते हैं। जिसको लेकर स्टूडेंट्स के बीच मायूसी का माहौल है। यदि सिटी के ही कॉलेजेज की बात करें तो केवल तीन कॉलेज केसीएमटी, महाराजा अग्रसेन और रीजनल कॉलेज में बीकॉम ऑनर्स के कोर्स चलाए जाते हैं। जबकि स्टूडेंट्स में बीए और बीएससी ऑनर्स कोर्सेज का सबसे ज्यादा क्रेज है। इसी वजह से अधिकांश स्टूडेंट्स दिल्ली और दूसरे प्रदेशों के कॉलेजेज का रुख कर रहे हैं।यह है बरेली के कॉलेजेस का 'पंचनामा'एडमिशन की दौड़ के बीच आई-नेक्स्ट बरेली के सभी दस प्रमुख कॉलेजों की बारीक से बारीक डिटेल से आपको रूबरू करवा रहा है। इससे आपको अपना कॉलेज चुनने में आसानी होगी। आपको यह भी जानने का मौका मिल रहा है कि आपके कॉलेज का प्लस प्वाइंट क्या है और यहां का माइनस प्वाइंट क्या है।  रीजनल कॉलेज
बरेली स्थित रीजनल कॉलेज की स्थापना 2005 में हुई। इस कॉलेज में बीकॉम, बीकॉम ऑनर्स, बीसीए और बीबीए के  कोर्स चलते हैं। कॉलेज में स्टूडेंट्स की अटेंडेंस पर खास ध्यान दिया जाता है। कॉलेज में शुरू से ही नो कोचिंग एन्वायरमेंट तैयार किया गया है। यहां स्टूडेंट्स को रेग्युलर सिलेबस के अलावा एक्स्ट्रा क्लास करने का भी ऑप्शन मौजूद रहता है। स्टूडेंट्स के रेग्युलर कॉलेज न आने पर कॉलेज की ओर से यह इंफॉर्मेशन उनके पेरेंट्स को दी जाती है।USP of Collegeशुरू से ही कॉलेज का बीकॉम ऑनर्स डिपार्टमेंट सुर्खियों में रहा है। इसकी वजह यहां तीन साल तक लगातार यूनिवर्सिटी टॉपर का होना है। इस डिपार्टमेंट की फैकल्टी भी काफी एक्सपीरिएंस्ड हैं।ईयर 2011 में कट ऑफबीकॉम          65 परसेंटबीकॉम ऑनर्स  70 परसेंट(एडमिशन फॉर्म इस वक्त मिल रहे हैं.)कॉलेज करें अवेयर
वर्तमान में यह देखने में आ रहा है कि स्टूडेंटस की फस्र्ट प्रियॉरिटी प्रोफेशनल कोर्स ही हैं। ऐसे में यह कॉलेज की जिम्मेदारी है कि वह ट्रेडिशनल कोर्सेस के बारे में स्टूडेंट्स को जानकारी दें और उन्हें यह भी बताएं कि बीए, बीएससी या बीकॉम करके भी वह भविष्य को संवार सकते हैं। वहीं सिविल सर्विसेज या बैंक आदि की जॉब में जाने के लिए भी ट्रेडिशनल कोर्सेस काफी फायदेमंद हैं। स्टूडेंट्स को चाहिए कि वह बहती हवा में जाने के बजाए ट्रेडिशनल कोर्सेस करने के  बाद सर्टिफिकेशन क रके भी फ्यूचर सिक्योर कर सकते हैं।- डॉ। संजय वाधवा, प्रिंसिपल  सूरजभान इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजीयह कॉलेज 2001 से अस्तित्व में आया है। पुराना कॉलेज होने की वजह से स्टूडेंट्स यहां एडमिशन लेते हैं। कॉलेज खुलने के बाद से ही यहां के स्टूडेंट्स के बेहतर प्रदर्शन ने कॉलेज को शहर ही नहीं वरन पूरे मंडल में पहचान दिलाई है। कॉलेज के विभिन्न डिपार्टमेंट्स से स्टूडेंट्स ने तमाम बार गोल्ड मेडल भी हासिल किए हैं। वहीं कॉलेज की फैकल्टी और एन्वायरमेंट काफी एजुकेशन फ्रेंडली है।USP of Collegeकॉलेज का बीएससी होम साइंस डिपार्टमेंट सबसे अच्छा है। यहां के एक्पीरिएंस्ड फै कल्टी की कड़ी मेहनत और वेल इक्युप्ड लैब्स की वजह से गोल्ड मेडलिस्ट भी निकले हैं। इसकी मेरिट भी काफी हाई रहती है।ईयर 2011 में कट ऑफबीएससी       60 परसेंटबीकॉम        50 परसेंट(एडमिशन फॉर्म इस वक्त मिल रहे हैं। )कम हो रहे रिसर्च स्कॉलरयह सही है कि क्लास 12 पास करने के बाद स्टूडेंट्स सबसे पहले प्रोफेशनल कोर्सेस की तरफ ही रुख करते हैं। वहीं ट्रेडिशनल कोर्सेस में जाने से पीछे हटते हैं। पर यह जरूरी नहीं कि प्रोफेशनल कोर्स में ही सफल भविष्य की संभावनाएं सबसे ज्यादा हैं। ट्रेडिशनल कोर्स में स्टूडेंट्स का इंट्रेस्ट न होने से इंडिया में रिसर्च वक्र्स में कमी आ रही है। जो कि देश हित में नहीं है। जबकि रिसर्च के क्षेत्र में भविष्य के सुनहरे अवसर मौजूद हैं। बहुतायत होने से धीरे-धीरे प्रोफेशनल कोर्स की ओर कम होगा।- डॉ। केसी जायसवाल, प्रिंसिपलसाहू रामस्वरूप महिला डिग्री कॉलेज1965 में शुरू हुआ यह कॉलेज गल्र्स के लिए शुरू किया गया। यहां के डिपार्टमेंट्स में चलने वाले सर्टिफि केट और वोकेशनल क ोर्सेस गल्र्स को कॉलेज में एडमिशन के लिए अट्रैक्ट करते हैं। बीए में ही टेक्सटाइल डिजाइनिंग, फै शन डिजाइनिंग के कोर्स कॉलेज को अन्य इंस्टीट्यूटस से अलग करते हैं। वहीं कॉलेज बरेली में पहली बार कोरियोग्राफी जैसे कोर्स भी शुरू करने जा रहा है। हालांकि यहां कत्थक का सर्टिफिकेट कोर्स चलता है।ईयर 2011 में कट ऑफबीए          45 परसेंट(एडमिशन फॉर्म इस वक्त मिल रहे हैं। )USP of Collegeकॉलेज का फाइन आर्ट डिपार्टमेंट ही कॉलेज की खासियत है। इसके अलावा कॉलेज में चलने वाले वोकेशनल कोर्सेस भी इसे सिटी के अन्य कॉलेजेज से अलग लाइन में खड़ा करते हैं।सही गाइडेंस जरूरी हैयह कहना बिल्कुल गलत है कि ट्रेडिशनल कोर्स करने के बाद करियर अपॉच्र्युनिटीज बिल्कुल खत्म हो जाती हैं। वास्तव में आईएएस, पीसीएस जैसी जॉब्स तो ट्रेडिशनल कोर्स करने के बाद करना ही अच्छा होता है। वहीं प्रेजेंट सिनेरियो में ऑन डिमांड कोर्स आर्ट डायरेक्शन, फैशन डिजाइनिंग जैसे कोर्स तो फ ाइन आट्र्स के कोर्स करने के बाद ही अच्छे से किए जा सकते हैं। इसलिए जरूरत सही गाइडेंस की है। दरअसल, सही गाइडेंस न होने पर ही हम ट्रेडिशनल कोर्सेस को नजरअंदाज कर देते हैं।- डॉ। शशिबाला राठी, प्रिंसिपल कन्या महाविद्यालय भूड़शहर में यह सबसे पुराना गल्र्स कॉलेज है। इसे नैक से बी सर्टिफिकेट भी मिल चुका है। कॉलेज में बीए और एमए के कोर्सेस चलते हैं। यहां पीएचडी की फैसिलिटी भी अवेलेबल हैं। 1960 में शुरू किए गए इस कॉलेज में गल्र्स का खास इंट्रेस्ट रहता है। पर पिछले कुछ समय से प्रोफेशनल कोर्सेस को सोसायटी में तवज्जो दिए जाने से कॉलेज की ओर कुछ क्रेज कम जरूर हुआ है पर अब भी गल्र्स की च्वाइस में यह कॉलेज रहता है। USP of Collegeकॉलेज में सबसे ज्यादा डिमांडेड म्यूजिक और ड्रॉइंग डिपार्टमेंट है। यहां एक्पीरिएंस्ड टीचर होने की वजह से गल्र्स में इन डिपार्टमेंट के प्रति खासा क्रेज दिखता है।ईयर 2011 में कट ऑफयहां सीटें खाली रहने की वजह से जितने भी आवेदन आए थे, सभी को एडमिशन दे दिया गया। (नए सत्र के लिए एडमिशन फॉर्म इस वक्त मिल रहे हैं। )यहां भी हैं करियर ऑप्शंसयह एक गलत सोच है कि कोई भी ट्रेडिशनल कोर्स करने से करियर का अंत हो जाता है। बीए, बीएससी या बीकॉम क रने के बाद भी करियर के तमाम ऑप्शंस खुले रहते हैं। सिविल सर्विसेज या एलएलबी, बैंक आदि की जॉब में ट्रेडिशनल कोर्सेस ही काफी फायदेमंद साबित होते हैं। इसके लिए जरूरी है कि इन सब्जेक्ट्स के बारे में स्टूडेंट्स को अवेयर किया जाए। यह जानकारी उन्हें क्लास 12 के दौरान भी दी जानी चाहिए। करियर काउंसलिंग लेना भी अच्छा रहता है।- डॉ। कुहू दत्त गुप्त, प्रिंसिपलमहाराजा अग्रसेन कॉलेजमहाराजा अग्रसेन कॉलेज की शुरुआत 1998 में हुई थी। इस कॉलेज में अनुशासन पर ज्यादा जोर दिया जाता है। डेली कॉलेज गोइंग स्टूडेंट्स को स्पेशल अवॉर्ड भी दिए जाते हैं। इससे स्टूडेंट्स कॉलेज में रेग्युलर रहते हैं। यहां एजुकेशन क्वालिटी पर विशेष ध्यान दिया जाता है। वहीं फैकल्टीज भी मानकों के आधार पर ही सेलेक्ट की जाती है। कॉलेज की फैकल्टीज भी काफी एक्सपीरिएंस्ड हो चुकी हैं। इसका फायदा स्टूडेंट्स को मिलता है।ईयर 2011 में कट ऑफबीएससी         56 परसेंट बीकॉम          54 परसेंट(एडमिशन फॉर्म इस वक्त मिल रहे हैं। )USP of Collegeकॉलेज के साइंस और कॉमर्स दोनों ही डिपार्टमेंट ऑन डिमांड रहते हैं पर बीएससी बायोटेक्नोलॉजी यहां का अच्छा डिपार्टमेंट है। इसकी फै कल्टीज भी काफी एक्सपीरिएंस्ड हैं। ऑन डिमांड होंगे ट्रेडिशनल कोर्सधीरे-धीरे समाज में हो रहे बदलाव के साथ यह तो देखने में आ रहा है कि ट्रेडिशनल कोर्स में स्टूडेंट्स का इंट्रेस्ट घटा है। पर यह देश हित में ठीक नहीं है। हाल ही आई एक रिसर्च रिपोर्ट में यह चिंता जताई गई है कि रिसर्चर्स की कमी होने से देश क ा डेवलपमेंंट भी प्रभावित हो रहा है। इसके लिए जरूरी है कि स्टूडेंट्स बीए, बीएससी, बीकॉम की अहमियत को समझें। यह उनके लिए भी फायदेमंद है। जब कोई ट्रेडिशनल कोर्स में इंट्रेस्टेड ही नहीं है तो धीरे-धीरे ये भी ऑन डिमांड हो जाएंगे।- डॉ। संजय गुप्ता, प्रिंसिपल

Posted By: Inextlive