क्रिसमस फेस्टिवल हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस फेस्टिवल का इंतजार बड़ों से ज्यादा बच्चों को रहता है. बच्चे सबसे ज्यादा एक्साइटेड सेंटा क्लॉज को लेकर रहते हैं. बच्चों को कहानियों के जरिए यह पता होता है कि क्रिसमस पर सेंटा आते हैं और गिफ्ट बांटते हैं. इसीलिए बच्चे सेंटा की राह तकते हैं. क्रिसमस खुशियों का पर्व है और सेंटा इसके पर्याय हैं.

बरेली (ब्यूरो)। क्रिसमस फेस्टिवल हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस फेस्टिवल का इंतजार बड़ों से ज्यादा बच्चों को रहता है। बच्चे सबसे ज्यादा एक्साइटेड सेंटा क्लॉज को लेकर रहते हैं। बच्चों को कहानियों के जरिए यह पता होता है कि क्रिसमस पर सेंटा आते हैं और गिफ्ट बांटते हैं। इसीलिए बच्चे सेंटा की राह तकते हैं। क्रिसमस खुशियों का पर्व है और सेंटा इसके पर्याय हैं। सेंटा के प्रति लोगों की आस्था और प्यार का ही परिणाम है कि इस पर्व पर लोग बच्चों को सेंटा के रूप में देखना चाहते हैं। सेंटा की वेशभूषा में सजे बच्चे भी सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

सेेंटा बनना है पसंद
आदिया ने बताया कि उसे सेंटा बनना बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता है। उसने बताया कि वह दो साल से सेंटा बन रही है। क्रिसमस के अवसर पर काफी दिन पहले से ही मेरे मम्मी पापा तैयारी करने लगते है। इसके लिए बाजार से कपड़े खरीद लिए हैं। बस अब सेंटा बनने की खुशी है।

गिफ्ट में क्या-क्या देते हैं
अराधना डेविस ने बताया कि क्रिसमस के अवसर पर सेंटा बच्चों को गिफ्ट बांटते हैं तो उनके गिफ्ट भी बच्चों वाले ही होते हैं। इन गिफ्ट्स में चॉकलेट, टॉफी, पैन, डायरी, बुक्स, टॉयज आदि होते हैं। इस पर्व पर सेंटा खासकर आर्थिक तौर पर कमजारे परिवारों के बच्चों को गिफ्ट बांटते हैं।

बजट कहां से आता है
क्रिसमस का त्योहार आज के दौर में सभी लोग मनाते है। यह खूशियों से भरा पर्व होता है। डॉ। अमीत डेविस ने बताया कि क्रिसमस पर सेंटा के जरिए बच्चों को गिफ्ट बंटवाने के लिए बजट लोग आपस में मिल जुलकर ही इकट्ठा करते हैं। जो भी बजट होता है उसी अनुसार गिफ्ट आइटम खरीदे जाते हैं।

कितने घरों में जाते हैं उपहार देने
कॉलोनी में जितने घर होते हैं, उन सभी घरों में उपहार भेजते हैं। साथ ही अनाथालय में भी बच्चों को गिफ्ट भिजवाए जाते हैं। सेंटा सभी के घरों में गिफ्ट देने जाते है। अगर एक कॉलोनी में बीस घर हैं तो सभी के घर सेंटा उपहार देने जाते हैं। क्रिसमस के दिन रेड कलर के ड्रेस इसलिए पहने जाते हैं क्योकि यह कलर खुशी और प्यार का प्रतीक है।

सेंटा की हिस्ट्री
आज से करीब डेढ़ हजार साल पहले जन्मे संत निकोलस को असली सेंटा और सेंटा का जनक माना जाता है। हालांकि संत निकोलस और जीसस के जन्म का सीधा संबंध नहीं रहा है, लेकिन उनके बिना अब क्रिसमस अधूरा सा लगता है। संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी 300 एडी में जीसस की मौत के 280 साल बाद तुर्किस्तान के मायरा नामक शहर में हुआ।

गिरजाघर की हिस्ट्री
कैंट स्थित सेंट स्टीफेंस चर्च ब्रिटिश काल में बने सबसे पुराने चर्च में से एक है। चर्च इंडो-गॉथिक शैली की मिसाल है। यहां दूर-दराज से लोग आकर आराधना करते हैं। लाल ईंटों से निर्मित इस चर्च की स्थापत्य कला भी ऐतिहासिक व मनोरम है। इस चर्च को इंग्लैंड के आर्किटेक्ट ने भारतीय स्थापत्य व गॉथिक शैली के संगम से बनाया था। चर्च के पादरी अमन अभिषेक पादरी ने बताया कि सेंट स्टीफन चर्च का निर्माण सन 1858 में शुरू हुआ था और सन 1862 में इस चर्च में फस्र्ट प्रेयर की गई। खास बात यह है कि बरेली शहर के प्रथम कलेक्टर अपनी पूरी टीम के साथ इस चर्च में आराधना करने आया करते थे। उनका नाम चर्च की मुख्य वेदी पर एक ब्रास प्लेट पर अंकित है। इसके साथ साथ शहर का जीरो माइल भी इस गिरिजाघर में अंकित है।

क्रिसमस डे के उपलक्ष्य में हम लोग काफी दिन पहले से ही तैयारियों में जुट जाते हैं। यह पर्व बहुत ही खुशी भरा होता है। घरों में हम लोग अपने छोटे बच्चच्ें को सेंटा बनाते हैं। इस अवसर पर सेंटा से हर घर में उपहार दिलवाया जाता है। क्रिसमस के लिए बाजारों से भी समान खरीद कर लाए हैं।
-क्षितिज सिंह

Posted By: Inextlive