&विजया दशमी&य यानि दशहरा पर इस बार विजय मुहूर्त का विशेष संयोग बन रहा है. विजय दशर्मी आश्विन शुक्ल दशमी को अपराह्न व्यापिनी में मनाई जाती है. अपराह्न में श्रवण नक्षत्र इस तिथि के निर्णय का प्रमुख प्रयोजक है.


बरेली (ब्यूरो)। &विजया दशमी&य यानि दशहरा पर इस बार विजय मुहूर्त का विशेष संयोग बन रहा है। विजय दशर्मी आश्विन शुक्ल दशमी को अपराह्न व्यापिनी में मनाई जाती है। अपराह्न में श्रवण नक्षत्र इस तिथि के निर्णय का प्रमुख प्रयोजक है। इस वर्ष दशमी तिथि सूर्योदय से अपराह्न 3:15 बजे तक रहेगी, इसके बाद एकादशी तिथि आरम्भ होगी। आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी में विजय मुहूर्त का ही विशेष महत्व है।

खरीदारी करना रहेगा शुभ
स्कन्द पुराण के अनुसार इस पर्व के लिए श्रवण नक्षत्र युक्त, प्रदोष व्यापनी, नवमी विद्धा दशमी प्रशस्त होती है। अपरान्ह काल, श्रवण नक्षत्र तथा दशमी का आरम्भ ही विजय योग माना गया है। निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार विजय मुहूर्त 1:54 बजे से 2:37 बजे तक रहेगा। इस पर्व के प्रमुख कर्म में दुर्गा विसर्जन, अपराजिता पूजन, विजय-प्रयाण, शमी पूजन तथा नवरात्रा पारण है। आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी में विजय मुहुर्त का ही विशेष महत्व है। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं। राजीव शर्मा का कहना है कि इस दिन स्वयं सिद्ध मुहुर्त में &विजय मुहुर्त&य दोपहर 1:54 बजे से अपरान्ह 02:37 बजे तक रहेगा। स्वयं सिद्ध मुहुर्त में लग्न शुद्धि का विचार नहीं माना जाता है। इस मुहूर्त में खाता बसना कुबेर आदि का पूजन करना शुभ रहेगा। स्वयं सिद्ध मुहुर्त होने के कारण नवीन उद्योगों का आरम्भ, वाहन खरीदना, समस्त कार्यों का शुभारम्भ सफलतादायक एवं लाभदायक रहेगा।

नीकंठ के दर्शन करना शुभ
चौघडिया मुहुर्त एवं स्थिर लग्न में खाता पूजन आदि करना अत्यन्त शुभ रहेगा। दशहरा जहां बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है, वहीं यह दिन विजय की प्राप्ति हेतु पूजा उपासना के लिए बहुत शुभ है। इस दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूरा कर तथा रावण का वध कर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे। इस पर्व को भगवती के &विजया&य नाम के कारण भी विजयादशमी कहते हैं। कालिका पुराण के अनुसार महानवमी को रावण वध हुआ था, कृतज्ञता प्रकट करने के लिए देवताओं ने उस दिन देवी की सेवा में विशेष पूजन सामग्री चढ़ाई थी। विजयादशमी के दिन इन्होंने देवी को स्थापित किया था। इस दिन अबूझ मुहुर्त माना जाता है। इस दिन अमृत योग भी बन रहा है। इस दिन नीलकण्ठ नामक पक्षी के दर्शन करना अत्यन्त शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिस व्य1ित को इस दिन नीलकण्ठ का दर्शन हो जाये तो आगामी एक वर्ष आर्थिक उन्नति, समृद्धि, सम्पन्नता और आरोग्य में व्यतीत होता है। आज के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए भी शमी वृक्ष के पास जाकर विधिवत् शमीदेवी का पूजन करना चाहिए। इस दिन क्षत्रियों द्वारा शस्त्र पूजन, ब्राह्मणों द्वारा सरस्वती पूजन एवं वैश्यों द्वारा वही पूजन करने का विधान है।

कैसे मनाये विजयादशमी
इस दिन घरों में दशहरा पूजन के लिए आटे अथवा गेरू से दशहरा मांडकर उसके ऊपर जल, रोली, चावल, मोली, गुड़, दक्षिण, फूल, जौ के झंवारे अथवा मूली चढ़ायें तथा दीपक, धूप बत्ती लगाकर आरती करें, परिक्रमा करें, तत्पश्चात् दण्डवत् प्रणाम करके पूजा के बाद हाण्डी में से रुपए निकालकर उस पर जल, रोली, चावल चढ़ाकर अलमारी में रख लें। वहियों पर नवरात्र का नवांकुर भी चढ़ाएं एवं कलम-दवात का पूजन भी करें। शस्त्र, शास्त्र एवं पुस्तक पूजन भी करें।

अपराजिता पूजन
अपराजिता देवी यात्रा, कार्यों में सफलता और युद्ध प्रतिस्पद्र्धा में विजय दिलाने वाली देवी हैं। विजयदशमी पर इसकी पूजा सायंकाल की जाती है। एक थाली में चन्दन से मध्य में अपराजिता देवी, बाईं ओर उमादेवी और दायीं ओर जया देवी का चित्र बनायें, इन तीनों देवियों की पूजा करें।

शमी पूजन- अमंगल, पाप नाश हेतु, विजय एवं कल्याण के लिए शमी के वृक्ष की पूजा की जाती है।

Posted By: Inextlive