- रोटरी भवन में जीएसटी पर हुए वर्कशॉप में हुआ खुलासा

BAREILLY:

कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से रोटरी भवन में जीएसटी पर हुए एक वर्कशॉप में थर्सडे को एक बड़ा खुलासा हुआ। इस दौरान पता चला कि 90 फीसदी व्यापारियों ने ट्रान-1 फार्म नहीं भरा है। व्यापारी जीएसटी लागू होने से पहले के करीब 100 करोड़ रुपए के माल का हिसाब सरकार को नहीं दे पा रहे हैं। वर्कशॉप में कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट के ऑफिसर, एडवोकेट, किराना, दवा, मर्चेट, कागज, कपड़ा सहित अन्य सेक्टर से जुड़े व्यापारी मौजूद रहे।

माल खरीद-बिक्री का हिसाब नहीं

देश में 1 जुलाई को जीएसटी लागू हुई थी। स्टॉक में पड़े माल पर व्यापारियों को नुकसान न हो इसके लिए सरकार ने इनपुट टैक्स क्रेडिट की बात कही थी। ताकि व्यापारी स्टॉक में पड़े माल को जीएसटी के आधार पर बेच सकें और बाकी रुपया इनपुट क्रेडिट हो जाएगा। इसके लिए 5 व 12 परसेंट टैक्स वाले आइटम पर 40 परसेंट और 18 से 28 परसेंट आइटम वाले सामान पर 60 परसेंट रुपए इनपुट क्रेडिट में आना था, लेकिन 90 फीसदी व्यापारियों ने ट्रान-1 फॉर्म भरे ही नही हैं। जिनके पास जीएसटी लागू होने से पहले करीब 100 करोड़ रुपए का स्टॉक था। जीएसटी लागू होने के 5 महीने बाद भी मात्र 10 फीसदी व्यापारियों ने ही ट्रान-1 फार्म भरकर करीब 20 करोड़ रुपए स्टॉक की जानकारी सरकार को दी है।

29 दिसम्बर है ट्रान-1 भरने की लास्ट डेट

दरअसल, व्यापारियों को ट्रान-1 फार्म भर कर कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट को देने हैं। ट्रान-1 का मतलब व्यापारियों के पास 1 जुलाई से पहले का जो भी स्टॉक पड़ा था उसकी डिटेल देनी थी। मसलन माल कहां से मंगाया, कंपनी कौन सी है, कब आया, कितने आइटम मंगाए, माल कितने का है सहित अन्य जानकारी देनी होती है। वैट वाले माल भी जीएसटी के आधार पर बेचने थे, लेकिन व्यापारियों ने माल की कोई जानकारी ही नहीं दी। जबकि, ट्रान-1 फार्म भरने की लास्ट डेट 29 दिसम्बर 2017 है। यदि, डेटलाइन के अंदर व्यापारी ट्रान-1 फार्म भर कर जमा नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।

व्यापारियों की यह हैं समस्याएं

वर्कशॉप में मौजूद एडवोकेट और व्यापारियों ने कई समस्याएं एक्सपर्ट के सामने रखीं। एडवोकेट मोहन रस्तोगी का कहना था कि रिटर्न भरने पर एक ही एप्लीकेशन रिफरेंस नम्बर (एआरएन) जनरेट होता है, कागज व्यापारी मनप्रीत के सवाल थे कि क्या सेल्फ की गाड़ी होने पर बिल्टी कट सकती है, किराना एसोसिएशन के अध्यक्ष त्रिलोक का कहना था कि क्या मंडी समिति टेक्सेबल है। कई जगहों पर मंडी समिति शुल्क नहीं है हमारा बिल मंडी समिति का सॉफ्टवेयर एक्सेप्ट नहीं करता। क्योंकि प्रदेश में लखनऊ, गाजियाबाद सहित कई जगहों पर मंडी समिति शुल्क नहीं है। इस वजह से बरेली में समस्या हो रही है। इसके अलावा दवा व्यापारी योगेंद्र सहित अन्य व्यापारियों ने भी अपनी समस्याएं एक्सपर्ट के आगे रखीं। जिसका समाधान उन्होंने किया।

एक्सपर्ट के तौर पर यह रहे मौजूद

वर्कशॉप में एक्सपर्ट के तौर पर कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट के एडिशनल कमिश्नर एके गुप्ता, ज्वॉइंट कमिश्नर दीनानाथ, डिप्टी कमिश्नर एडमिनिस्ट्रेशन गौरी शंकर, डिप्टी कमिश्नर विमलेश कुमार, जिलाजीत, रामनारायण, अशोक चौधरी, शिव कुमार, असिस्टेंट कमिश्नर अभिषेक चतुर्वेदी, मनीष श्रीवास्तव और नागेंद्र त्रिपाठी मौजूद रहे। इस मौके पर यूपी उद्योग व्यापार मंडल के महानगर अध्यक्ष राजेंद्र गुप्ता, युवा अध्यक्ष राजेश जसोरिया, श्यामकृष्ण, विजय मूल चंदानी, अनिल कुमार, त्रिलोकी नाथ गुप्ता, आशुतोष गोयल, संदीप देसाई और आशीष अग्रवाल सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive