Bareilly : यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन यूजीसी ने सभी कॉलेजेज के लिए नेशनल असेस्मेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल नैक द्वारा असेस्मेंट कराना कंपलसरी कर दिया है. सभी कॉलेजेज को ग्रेडिंग कराना अब जरूरी है. लेकिन डिग्री कॉलेजेज खासकर प्राइवेट इंस्टीट्यूशन के लिए यह नैक हौŽवा बन गया है. कॉलेजेज को यह डर सता रहा है कि नैक की इंस्पेक्शन कराई तो कहीं उनके इंफ्रास्ट्रक्चर की पोल ना खुल जाए. कॉलेज की बिल्डिंग के अंदर की खोखली कागजी सच्चाई सबके सामने ना आ जाए. यही वजह है कि कॉलेजेज नैक की ग्रेडिंग के लिए दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. आरयू ने 31 जनवरी को तीन दिनों का वर्कशॉप ऑर्गनाइज किया था. जिसमें नैक के लिए अप्लाई कैसे किया जाए और स्टैंडर्ड को कैसे मेंटेन किया जाए समेत कई मानकों के बारे में बताया. लेकिन पहले ही दिन महज 30 कॉलेजेज के प्रतिनिधियों ने ही इसमें शिरकत की. बाकी दो दिनों का हाल तो और बुरा था.


ग्रेडिंग नहीं तो फंड नहींयूजीसी कॉलेजेज और यूनिवर्सिटी को कई तरह के प्रोजेक्ट्स के लिए फंड प्रोवाइड कराती है। डिपार्टमेंट में लैब समेत अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने, रिसर्च को बढ़ावा देने समेत कई एकेडमिक प्रोजेक्ट्स के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट प्रोवाइड कराती है। यह ग्रांट लाखों रुपयों से लेकर करोड़ों में होती है। सेमिनार ऑर्गनाइज करने के लिए भी फंड प्रोवाइड किया जाता है। निरंतर क्वालिटी एजूकेशन का स्तर गिरने की वजह से यूजीसी ने इस बार से सभी के लिए ग्रेडिंग कंपलसरी कर दी है। यूजीसी ने यह अल्टीमेटम दिया है जो नैक की ग्रेडिंग से युक्त नहीं होगा उसे नेक्स्ट ईयर से किसी भी प्रकार का फंड प्रोवाइड नहीं कराया जाएगा। यूजीसी ने इसके लिए इस वर्ष 1 जून तक सभी को नैक के लिए अप्लाई करने का अल्टीमेटम भी दिया है।कहीं खुल ना जाए 'खेलÓ


नैक की ग्रेडिंग के लिए कॉलेजेज का इंट्रेस्ट ना दिखाने के पीछे अलग ही कहानी है। एक्सपट्र्स की मानें तो हाल ही में कुक्कुरमुत्ते की तरह कॉलेजे खुले हैं। जो बिना किसी मानक के चल रहे हैं। उनके पास ना तो इंफ्रास्ट्रक्चर हैं और ना ही एक्सपीरिएंस फैकल्टी। आरयू के नैक कोऑर्डिनेटर प्रो। वीपी सिंह ने कॉलेजेज के इंट्रेस्ट ना दिखाने को गंभीर सिचुएशन बताया। उन्होंने बताया कि कॉलेज के पास पर्याप्त टीचर्स ही नहीं हैं। जो हैं वे इनएक्सपीरिएंस और अयोग्य हैं। नैक की इंस्पेक्शन तो दूर उनका एप्लीकेशन ही रिजेक्ट हो जाएगा। जैसे-तैसे बिल्डिंग खड़ी की है। कॉलेज की पोल खुलने की डर से वे दूर भाग रहे हैं। बीएड कॉलेजेज की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। आरयू के पूर्व वीसी रहे प्रो। जाहिद हुसैन ने भी कॉलेजेज पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि एजूकेशन की क्वालिटी गिरने की वजह से ही नैक के मूल्यांकन की जरूरत पड़ी। वीसी प्रो। मुशाहिद हुसैन ने भी इस पर मुहर लगाते हुए एजूकेशन की क्वालिटी को मेंटेन करने के लिए नैक को जरूरी बताया।लेकिन नहीं दिखा रहे इंट्रेस्ट

कंपलशन के बावजूद कॉलेजेज नैक के इंस्पेक्शन के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार 2012 में आरयू से एफिलिएटेड कॉलेजेज की संख्या 214 थी और स्टूडेंट्स की संख्या करीब 3,25,000 थी। इनमें से प्राइवेट कॉलेजेज की संख्या 167 थी। तब केवल 16 कॉलेजेज के पास ही नैक की ग्रेडिंग थी। जिमसें 5 गवर्नमेंट, 9 एडेडे और केवल 2 प्रोइवेट कॉलेज थे। वर्तमान में एफिलिएटेड कॉलेज की संख्या 249 हो गई है और स्टूडेंट्स बढ़कर सवा पांच लाख के करीब हैं। लेकिन इनमें से केवल 20 से 21 कॉलेजेज के पास ही नैक की ग्रेडिंग है।

Posted By: Inextlive