-आयुष्मान योग में करें व्यवसायिक स्थल पर दीपावली पूजन, सौभाग्य योग में करें घर पर पूजन

महालक्ष्मी पूजन मुहुर्त

 

गोधुली बेला - सायं 05:52 बजे से 06:15 बजे तक

वृश्चिक लग्न - प्रात: 07:15 बजे से 09:34 बजे तक

कुंभ लग्न (व्यावसायिक) - दोपहर 01:20 बजे से 02:47 बजे तक

वृषभ लग्न (घर पर ) - सायं 05:48 बजे से सायं 06:43 बजे तक

सिंह लग्न (सिद्धिकाल) - मध्य रात्रि 00:22 बजे से 02:39 बजे तक

चर, लाभ, अमृत का चौघडि़या - प्रात: 10:49 बजे से दोपहर 03:05 बजे तक

सर्वश्रेष्ठ समय - सायं 05:48 बजे से 06:43 बजे तक

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BAREILLY : दीपावली पर इस बार आयुष्मान और सौभाग्य योग का विशेष संयोग रहेगा। जिसमें दिवाली पूजन करना शुभ फलदायक रहेगा। बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्या पं। राजीव शर्मा ने बताया कि आयुष्मान योग में व्यवसायिक स्थल पर दिवाली पूजन करना और सौभाग्य योग में घर पर पूजन करना शुभ रहेगा। इसके साथ ही लग्न और राशि के अनुसार भी पूजन करना शुभ फलदायक रहेगा।

राशि के अनुसार समय पर करें पूजा

धनु लग्न: दीपावली के दिन बुधवार को धनु लग्न प्रात: 09:37 बजे शुरू होगी। पूजन सुबह 09:20 बजे तक लाभ एवं अमृत के चौघडि़या मुहुर्त शुभ फलदायक रहेगा।

कुम्भ लग्न: अपराह्न 01:20 से 02:47 बजे के मध्य में कुम्भ लग्न रहेगी। दिन में 01:24 बजे से 02:46 बजे तक उद्वेग का चौघडि़या मुहूर्त रहेगा। जिसके स्वामी रवि अपने स्वामी से दृष्ट हैं। श्री गणेश, लक्ष्मी, त्रिदेव, नवग्रह, बसना खाता, कलम दान पूजन करने से लाभोन्न्‌ाति होगी।

वृष लग्न: सायंकाल 05:48 बजे से सायं 06:43 बजे तक प्रदोष के समय शुारू होकर रात्रि 19:55 बजे तक रहेगी। वृष लग्न पर बुद्ध-बृहस्पति की सप्तम दृष्टि तथा मंगल की चौथी दृष्टि पडे़गी, जो विकास में लाभदायक रहेगी। रात्रि समय में उद्वेग, शुभ, अमृत और चर के चौघडि़या मुहूर्त रात्रि 12:03 मिनट तक शुभ फलदायक रहेंगे।

सिंह लग्न: यह लग्न स्थिर लग्न मानी जाती है। रात्रि 00:22 बजे से रात्रि 02:39 बजे तक लाभ के चौघडि़या मुहुर्त में यह समय साधना सिद्धि के लिए विशेष लाभदायक रहेगी। महालक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में करने का विधान है आधुनिक मुहुर्त शास्त्र की दृष्टि स्थिर लग्न में महालक्ष्मी पूजन श्रेष्ठ रहता है। परम्परा के अनुसार महालक्ष्मी पूजन कोषागार एवं पूजा कक्ष ंमें करना चाहिए।

ये रखें पूजन सामग्री

रोली, मौली, पान, सुपारी, अक्षत (साबुत चावल), गेहूं, धूप, घी का दीपक, तेल का दीपक, खील, बतासे, शंख (दक्षिणवर्ती हो, तो उत्तम), घंटी, घिसा हुआ चन्दन, लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्तियां, पान (लक्ष्मी, गणेश एवं सरस्वती का संयुक्त चित्र), दूध, दही, शहद, शर्करा, घृत, गंगाजल, सिन्दूर, नैवेद्य, इत्र, यज्ञोपवीत, श्वेतार्क के पुष्प, शमी पत्र, दुर्वा, सर्वोषधि, पंचपल्लव, अष्टगंध, कमल का पुष्प, गन्ना, हल्दी की गांठ, धनिया, गुड़, वस्त्र, कुमकुम, पुष्पमाला ़़ऋतुफल, कर्पूर, नारियल, इलाइची, चांदी का वर्क, दक्षिणा कलश, पांच बड़े दीपक, 21 छोटे दीपक, रूई की बत्तियां, धूप पात्र, ताँबे या स्टील का लोटा और प्लेट इत्यादि।

व्यावसायिक स्थल पर पूजन

व्यावसायिक स्थल पर पूजा करने में तुला, कलम, नए वही खाते, दवात, आदि का पूजन करें एवं देहली विनायक पूजन प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर ''ऊं देहली-विनायकाय नम:'' मंत्र से पूजन करने के बाद कलम पूजन वही खाते पूजन, तिजोरी में श्री कुबेर पूजन आदि अवश्य करें। अंत में तराजू एवं मशीन, कम्प्यूटर आदि का पूजन अवश्य करें।

कैसे करें पूजा

चौकी, उस पर बिछाने के लिए लाल-पीले वस्त्र, बैठने के लिए आसन बिछाना चाहिए। लक्ष्मीचरण एवं श्रीयंत्र-लक्ष्मी-गणेश उत्कीर्ण सिक्का को भी थाली में पूजन के लिए रख लेना चाहिए। लाल कम्बल या ऊन के आसन को बिछाकर पूर्वाभिमुख, पश्चिमाभिमुख या उत्तराभिमुख बैठें। जल से भरा हुआ पात्र, घंटी, धपू, तेल का दीपक रखें। जबकि खुद के दायीं तरफ घी का दीपक, सुवासित जल से भरा शंख किसी थाली या पात्र में रखें। अपने सामने एक थाली में पूजन सामग्री यथा, रोली, मौली, पुष्प, अक्षत, घिसा हुआ चन्दन, आदि अलग-अलग कटोरी या दोनों में रखना चाहिए। शुद्ध जल एवं गंगाजल या अपने क्षेत्र की पवित्र नदियों का जल भी अलग-अलग पात्र में रख लें। शुद्ध जल एवं गंगाजल के पात्र में प्रोक्षण के लिए पान या पुष्प भी रख लें। पूर्णपात्र सहित कलश भी समीप रख लें। समीप ही नैवेद्य एवं ऋतुफल आदि रख लें। लाल चन्दन को तथा दूध-दही को तांबे के पात्र मे न रखें।

8 नवम्बर को अन्न कूट-गोवर्धन पूजा

दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है, वेदों में इस दिन इन्द्र, अग्नि, देवताओं की पूजा का विधान है। इस दिन गोवर्धन की आकृति लेटे हुए पुरूष के रूप में बनाए जाती है। इनकी नाभी के स्थान पर एक कटोरी या मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है। अन्नकूट मे चन्द्र-दर्शन अशुभ माना जाता है यदि प्रतिपदा में द्वितीया हो तो अन्नकूट अमावस को मनाया जाता है। इस दिन प्रात: तेल मलकर स्नान करना चाहिए, इस दिन संध्या के समय दैत्यराज बलि का पूजन भी किया जाता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा और मशीनों एवं उपकरणों का दोपहर के समय पूजन किया जाता है।

गोवर्धन पूजा मुहूर्त: प्रात: 06:37 बजे से 07:58 बजे तक शुभ चौघडि़या में अपराह्न 12:03 बजे से 02:46 बजे तक लाभ।

Posted By: Inextlive