सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग इकट्ठा करने की कवायद बनी मजाक

-स्वच्छ भारत मिशन के बजट से शहर में लगाए लाखों के डस्टबिन

बरेली। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शहर में गीला व सूखा कूड़ा कलेक्ट करने की कवायद अब औंधे मुंह गिरी है। नगर निगम का सिस्टम इसको लेकर कितना सजग है, यह शहर में जगह-जगह लगे डस्टबिन बयां कर रहे हैं। सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग इकट्ठा करने के लिए नगर निगम ने स्वच्छ भारत मिशन के बजट से लाखों के डस्टबिन खरीदे और शहर में जगह-जगह लगवाए भी। इन डस्टबिन के यूज के लिए लोगों को जागरूक करने को नगर निगम ने प्रचार प्रसार भी किया। इसमें भी लाखों का बजट खर्च किया गया। इसके बाद भी शहर में न तो लोगों ने इन डस्टबिन का सही उपयोग किया और न ही नगर निगम ने इन डस्टबिन की सफाई और इनके रखरखाव की सुध ली।

डस्टबिन खोल रहे निगम की पोल

शहर में लगाए गए नीले व हरे रंग के डस्टबिन की बदहाली से नगर निगम की अनदेखी की भी पोल खुल रही है। यह डस्टबिन अब कहीं कूड़े से भरे रहते हैं तो कहीं यह उखड़े पड़े हैं। कहीं इनमें से एक गायब है तो कहीं यह टूटे पड़े हैं। कहीं से यह गायब भी हो चुके हैं। संडे को जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इनकी पड़ताल की तो यह डस्टबिन सिविल लाइन जैसे पॉश एरिया में यह बदहाल दिखे। इससे यह साफ हो गया है कि नगर निगम को इन डस्टबिन को लगाने की तो चिंता थी, पर इनके रखरखाव से उसे कोई वास्ता नहीं है।

रैंकिंग में लुढ़कने की हकीकत भी बयां कर रहे हैं डस्टबिन

स्वच्छता को लेकर नगर निगम के प्रयासों की हकीकत इस बार के स्वच्छता रैंकिंग से साफ हुई। स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 की रैंकिंग में नगर निगम बीते वर्ष के 117 वें पायदान से लुढ़ककर 149 वें पायदान पर पहुंच गया। सर्वेक्षण में गीला कूड़ा व सूखा कूड़ा कलेक्शन और इसके निस्तारण की व्यवस्था को भी आंका गया था। शहर में इसी के लिए लगाए गए डस्टबिन की बदहाली से रैंकिंग में पिछड़ने की वजह भी साफ हो रही है।

Posted By: Inextlive