विदेशी मेहमानों की आमद को 'दस्तरखान' सजाएगा वन विभाग
-2 फरवरी में होगा माइग्रेटल बर्ड्स वॉचिंग डे का आयोजन
- अभियान चलाकर पक्षियों को बचाने के लिए किया जाएगा अवेयर बरेली : हर साल ठंड और गर्मियों में विदेशी पक्षियों का जमावड़ा रहता है। लेकिन पिछले कुछ सालों से इन पक्षियों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। इन पक्षियों का रुझान बढ़ाने के लिए वन विभाग 2 फरवरी को माइग्रेटल बर्ड्स वॉचिंग डे आयोजन करने जा रहा है जिसकी तैयारियों में वन विभाग अभी से लग गया है। कार्यक्रम की कार्य योजना तैयार कर ली गई है। इन पक्षियों की होती है आमद हर साल ठंड के मौसम में आस्ट्रेलियंस फिंच, प्लोवर और ब्लू एंड ग्रीन तोते, साइबेरियन क्रेंस, अमूर फॉल्कन, ग्रेटर फ्लेमिंगो, डिमोईसेले क्रेन समेत करीब दो दर्जन विदेशी पक्षियों की आमद हर साल होती है। यहां रहता है जमावड़ाडिस्ट्रिक्ट में अखा, ऊंचा गांव और शहर में कैंट समेत करीब पांच स्थानों पर प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा रहता है। इन स्थानों पर वॉच टॉवर बनाने की योजना है।
क्यों घटी आमददिल्ली एनसीआर से लेकर पूरे देश में एयर क्वालिटी इंडेक्स का ग्राफ बढ़ रहा है जिससे आबो-हवा जहरीली हो रही है। इसके साथ ही पेड़ों के कटान और झील, तालाबों के पटने के कारण भी प्रवासी पक्षियों का यहां से मोह भंग हो रहा है। जानकारों की मानें तो कुछ साल पहले तक बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी यहां आते थे, लेकिन अब इनकी संख्या में खासी कमी आई है।
बनेंगे वॉच टॉवर, बताया जाएगा इतिहास फरवरी में वन विभाग की ओर से शहर में कई स्थानों पर वॉच टॉवर बनाए जाएंगे जहां से बरेलियंस विदेशी मेहमानों की आसमान में अठखेलियां देख सकेंगे। वही इन पक्षियों के लिए कई जगह पर दाना पानी भी रखा जाएगा, इसी प्रकार विभागीय कार्यालय में शिविर लगाकर लोगों को पक्षियों को सहेजने और उनके बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। वहीं स्कूल-कॉलेजेज में स्टूडेंट्स को भी अवेयर किया जाएगा। ग्रीनरी बढ़ाओ, विदेशी मेहमानों को बुलाओ कार्यक्रम के दौरान विभागीय अफसरों की ओर से लोगों को अपने घरों के आसपास पौधरोपण करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। पेड़ों का कटान होने से पॉल्युशन का ग्राफ बढ़ रहा है। जिससे पक्षियों का आमद कम हो रही है। ऐसे प्रयासों से ही आबो-हवा के साथ विदेशी मेहमानों की आमद में भी सुधार होगा।फरवरी में माइग्रेटल बर्ड्स वॉचिंग डे मनाया जाएगा, जिसके लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है। पिछले कुछ सालों में इन पक्षियों की आमद कम हुई है। ऐसे प्रयासों से इसमें सुधार हो सकता है।
भरत लाल, डीएफओ।