- फॉल्ट ट्रेस होने से मरम्मत में होगी आसानी

- जून 2016 तक है काम पूरा करने का लक्ष्य

BAREILLY: इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट पूरी तरह से हाइटेक होने की ओर एक कदम और आगे बढ़ा चुका है। डिपार्टमेंट का पूरा नेटवर्क ग्लोबल इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) पर होगा। इसके जरिए अंडर ग्राउंड लाइन में आने वाले फॉल्ट का सही लोकेशन का आसानी से पता चल सकेगा। यही नहीं सब स्टेशन, लाइन, पोल, ट्रांसफार्मर और कंज्यूमर्स की पूरी डिटेल ऑनलाइन अवेलबल होगी। अधिकारियों का कहना है कि मीटर रीडिंग में अब तक होने वाली प्रॉब्लम्स से भी लोगों को छुटकारा मिलेगी। इन सारी व्यवस्थाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए डिपार्टमेंट ने कवायद शुरू कर दी है। इस काम की जिम्मेदारी दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी को सौंपी गई है।

फॉल्ट हो सकेगी ट्रेस

शहर की जर्जर लाइनों को डेड कर डिपार्टमेंट अंडर ग्राउंड केबल बिछाने का काम करेगा। ऐसे में फॉल्ट आने पर सबसे बड़ी समस्या उसे ट्रेस करने की होगी। ऐस में डिपार्टमेंट केबल फॉल्ट लोकेटर मशीन का इस्तेमाल करेगा। जो सर्वर से कनेक्ट होगा। यदि अंडर ग्राउंड केबल में कोई फॉल्ट आता है तो, लोकेटर मशीन उसे ट्रेस करने का काम करेगी। मशीन के माध्यम से सर्वर रूम में बैठे कर्मचारी किस स्थान पर खराबी आई है इस बारे में जान सकेंगे।

आसान होगी मीटर रीडिंग

कंज्यूमर्स के लिए सबसे बड़ी समस्या मीटर रीडिंग में होने वाली गड़बडि़यों को लेकर है। लेकिन डिपार्टमेंट रीडिंग को लेकर भी काफी अलर्ट हो चुका है। जीआईएस के तहत सभी कनेक्शन सर्वर रूम से कनेक्ट होंगे। सर्वर रूम में नियुक्त कर्मचारी ही मीटर रीडिंग का काम मंथ के लास्ट में करेंगे। उसके बाद रीडिंग की स्लीप कंज्यूमर को सौंप दी जाएगी। इलेक्ट्रिक मीटर में मॉडम फिक्स किए जाएंगे। जिनकी कास्ट करीब 12,000 होगी। जिसका सारा खर्च इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट ही वहन करेगा।

सिम करेगी मदद

डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने बताया कि मीटर में एक विशेष प्रकार की सिम होगी। सिम का नंबर सर्वर रूम में लगे कम्प्यूटर में फीड रहेगा। मीटर में लगी यह सिम ही मीटर रीडिंग के काम में मदद करेगी। फिलहाल कंज्यूमर्स के घर-घर जाकर मीटर रीडिंग की जाती है। इस काम में वक्त तो लगता ही है रीडिंग में तमाम तरह की खामियां बने रहने की संभावना रहती है।

डिस्ट्रिब्यूशन ट्रांसफार्मर मीटर करेगा

डिस्ट्रिब्यूशन ट्रांसफार्मर मीटर भी डिपार्टमेंट के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने में एक अहम कड़ी साबित हो सकती है। इस मीटर का काम ट्रांसफार्मर पर पड़ने वाले लोड के बारे में पता करना होगा। यदि कंज्यूमर द्वारा लिए गए लोड से अधिक बिजली कंज्यूम होती है तो यह डिपार्टमेंट को इंडिकेट करना शुरू कर देगा। जिससे विभाग तुरंत अलर्ट हो जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि, यह मीटर शहर में लगे 1257 ट्रांसफार्मर वाले प्वॉइंट पर लगाए जाने हैं। जो सर्वर रूम से कनेक्ट होंगे।

प्राइवेट कंपनी को सौंपी गई जिम्मेदारी

अधिकारियों की मानें तो यह व्यवस्था 'पुर्नगठित त्वरित उर्जा विकास और सुधार' कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है। इस टेक्नोलॉजी को 30 हजार आबादी वाले सभी नगर, उपनगर, तहसीलों में शुरू किए जाने की योजना गवर्नमेंट की है। यह व्यवस्था मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, लखनऊ के सभी जोन में किए जा रहे हैं। 350 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की लक्ष्य जून 2016 है।

बॉक्स

- अंडर ग्राउंड केबल में आए फॉल्ट को ट्रैस करेगी केबल फॉल्ट लोकेटर मशीन।

- मीटर में लगा सिम जिसका नंबर सर्वर में होगा फीड, जो रीडिंग की देगा जानकारी।

- ट्रांसफार्मर प्वॉइंट पर होगा डिस्ट्रिब्यूशन ट्रांसफार्मर मीटर। कंज्यूमर्स द्वारा कंज्यूम होने वाली बिजली की देगी जानकारी।

इस व्यवस्था के बाद रेजिडेंट्स और डिपार्टमेंट को बहुत हद तक राहत मिलेगी। केईआई नाम की प्राइवेट कंपनी को इस काम की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अंडर ग्राउंड केबल में आने वाले फॉल्ट को ट्रेस करन के साथ ही और भी कई सारी सहूलियत इस सिस्टम के शुरू होने से मिलने लगेगी।

वीके शर्मा, चीफ इंजीनियर, इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट

Posted By: Inextlive