व्यापारियों के टैक्स चोरी का माल खपाने में रेलवे कर्मचारी बनेे मददगार?
BAREILLY: रेलवे टैक्स चोरी का माल हजम करने के लिए व्यापारियों की भरपूर मदद कर रहा है। लिहाजा, आदेश के बाद भी वह कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट को प्लेटफॉर्म पर एंट्री करने से रोक रहा है, जिसका नतीजा यह है कि रेलवे कर्मचारियों और अधिकारियों से सेटिंग कर व्यापारी टैक्स चोरी का माल ट्रेनों से मंगा कर शहर में खपा रहे हैं। प्लेटफॉर्म पर एंट्री की नहीं दे रहा इजाजत
ट्रेनों से आ रहे टैक्स चोरी के माल पर रोक लगाने के लिए कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट के कमिश्नर से बरेली जोन के अधिकारियों को जंक्शन, रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म और आउटर पर जाकर पार्सल की चेकिंग करने के आदेश दिए हैं। ताकि, ट्रेन से माल उतर कर शहर में पहुंचने से पहले ही पकड़ में आ सके। मुख्यालय से परमिशन मिलने के बाद कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने जंक्शन के चीफ पार्सल सुपरवाइजर को इस बात से अवगत करा दिया है, लेकिन उन्होंने अपने स्तर पर कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों को प्लेटफॉर्म पर एंट्री करने से साफ मना कर दिया है।
डीआरएम ऑफिस से कोई जवाब नहींचीफ पार्सल सुपरवाइजर एएन झा ने नॉर्दर्न रेलवे मुरादाबाद डिवीजन को कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट की बातों से अवगत करा दिया है। ख्0 दिन से अधिक का समय बीत चुका है। अभी तक डीआरएम ऑफिस से इस संबंध में कोई जवाब नहीं आया है। लिहाजा, जवाब के इंतजार में ट्रेनों से आ रहे टैक्स चोरी का माल पकड़ पाने में कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट पूरी तरह से असमर्थ है। सिर्फ सर्कुलेटिंग एरिया से बाहर माल आने पर ही वह खुफिया सूत्रों से जानकारी मिलने पर कार्रवाई कर पाते है।
दो तरह से आता है माल व्यापारियों का माल दो तरह से आता है। एक तो एसएलआर कोच जो कि लीज पर होता है। जिसका साल भर का कांट्रैक्ट हो जाता है। एक लीज के कोच से ब्0 टन माल ढोने की परमिशन होती है। दूसरा सामान्य बुकिंग रेलवे करता है। जिसका चार्ज दूरी और सामान के वेट के आधार पर होता है। टैक्स बचाने के लिए व्यापारी रेलवे के अधिकारियों और कर्मचारियों से सेटिंग कर लेते हैं, और बेधड़क होकर दिल्ली, पंजाब, वाराणसी, इलाहाबाद सहित अन्य जगहों से माल मंगाते हैं। ट्रेन से लगेज उतरने के बाद सुभाषनगर थाना माल गोदाम होते हुए एक बार माल शहर के अंदर पहुंच जाता है, तो फिर उसे पकड़ पाना काफी मुश्किल हो जाता है। नहीं दिखा पाते हैं कागजज्यादातर माल ठेले और रिक्शा पर ही लद कर शहर में जाता है। कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट की टीम जब भी छापेमारी कर माल पकड़ती है, तो ठेले और रिक्शा चालक माल कहां से आ रहा है, कहां जा रहा है, खरीद-बिक्री की रसीद नहीं दिखा और बता पाते हैं। माल पकड़े जाने पर उसका कोई स्वामी भी कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट में नहीं आता है। क्योंकि, टैक्स चोरी का माल होने के कारण उन्हें कार्रवाई का डर रहता है। टैक्स चोरी का सबसे अधिक माल, ट्वॉयेज, ड्राई फ्रूट्स, गारमेंट्स के सामान होते हैं।
एक नजर दिल्ली-बरेली पैसेंजर्स। बरेली-वाराणसी एक्सप्रेस। अवध-आसाम एक्सप्रेस। बरेली-प्रयाग एक्सप्रेस। ऊना-हिमाचल एक्सप्रेस। नोट- इन ट्रेन के कोच लीज पर हैं. कार्रवाई का प्रावधान - 40 टन एक कोच लीज पर होता है। - 30 लाख रुपए लगेज की बुकिंग से रेलवे को हर महीने प्राप्त होता है। - 5 हजार रुपए पेनॉल्टी अधिक लगेज होने पर। - 6 गुना चार्ज एक्स्ट्रा लगेज पर। जंक्शन के प्लेटफार्म पर चेकिंग करने के निर्देश मिले हैं, लेकिन रेलवे इसके लिए तैयार नहीं है। जबकि, टैक्स चोरी के अधिकतर माल ट्रेन के माध्यम से ही शहर आते हैं, जो कि आए दिन जंक्शन से माल गोदाम रोड से शहर के अंदर जाते हुए पकड़े जाते हैं।दीनानाथ, ज्वॉइंट कमिश्नर, कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट
प्लेटफॉर्म पर आकर लगेज चेक करने के लिए कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट का लेटर मिला था। मैंने मुरादाबाद डिवीजन को लेटर भेज दिया है। अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। वहां से जैसा आदेश मिलेगा वैसा किया जाएगा। एएन झा, चीफ पार्सल सुपरवाइजर, जंक्शन