-कोरोना की रोकथाम के लिए सरकारी व प्राइवेट दफ्तरों और फैक्ट्रियों में बनाई गई हैं हेल्पडेस्क

बरेली : कोरोना से बचाव और संक्रमण की रफ्तार पर ब्रेक लगाने के लिए सभी सरकारी, प्राइवेट दफ्तरों, फैक्ट्रियों, थानों व अन्य जगहों पर हेल्पडेस्क बनाई गई हैं। अब तक जिले में 1000 से ज्यादा हेल्प डेस्क बनाई जा चुकी हैं। इसके बावजूद कोरोना की रफ्तार पर ब्रेक नहीं लग पा रहा है। इसकी वजह यह है कि कई हेल्पडेस्क तो सिर्फ खानापूर्ति करने के लिए बनाई गई हैं। न तो यहां कर्मचारियों की तैनाती की जाती है और न ही यहां पर हेल्पडेस्क से जुड़े इंतजाम होते हैं। 1 दिन पहले ही एडीएम ने मीरगंज में लापरवाही पकड़ी थी।

कलेक्ट्रेट का भी ठीक नहीं हाल

सबसे पहले बात करें तो कलेक्ट्रेट में जिलाधिकारी से लेकर प्रशासन के जुड़े अधिकारियों के दफ्तर हैं। इन्हीं अधिकारियों की देखरेख में हेल्प डेस्क तैयार की गई हैं लेकिन कलेक्ट्रेट की हेल्प डेस्क का हाल कुछ ज्यादा अच्छा नहीं है, तो अन्य जगह की अच्छी की उम्मीद करना बेईमानी ही होगा। कलेक्ट्रेट में दो हेल्पडेस्क बनाई गई हैं। पहली एंट्री गेट के बाद साइड में बरामदे में बनाई गई है और दूसरी हेल्पडेस्क रिकॉर्ड रूम के पास बनाई गई। पहली हेल्पडेस्क की बात करें तो यहां पर रोजाना कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है लेकिन यह कर्मचारी हेल्पडेस्क पर तो मौजूद रहते हैं लेकिन गेट से एंट्री करने वाले हेल्प डेस्क पर न जाकर सीधे अंदर अन्य दफ्तरों में एंट्री कर जाते हैं। ऐसे में न तो उनका टेंप्रेचर चेक होता है और न ही हैंड सेनेटाइज होते हैं। कभी कभार गेट पर तैनात होमगार्ड लोगों को रोक कर चेक कर लेते हैं लेकिन कलेक्ट्रेट में आने वाले सभी लोगों की चेकिंग नहीं हो पाती है। इसके अलावा कई लोग कलेक्ट्रेट में गाडि़यों से आते हैं और सीधे अंदर चले जाते हैं और दफ्तरों में विजिट करते हैं। हालांकि रिकॉर्ड रूम में बनी हेल्पडेस्क में रिकॉर्ड लेने आने वाले के टेंपरेचर की भी जांच होती और उनके हैंड भी सेनेटाइज कराए जाते हैं। ऐसे में लापरवाही भारी पड़ सकती है क्यूंकि कलेक्ट्रेट में बने कंट्रोल रूम के कई कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। एक कर्मचारी का बेटा भी संक्रमित हो चुका है।

एसएसपी ऑफिस में एंट्री गेट पर नहीं कोई इंतजाम

उसके बाद बात करें तो एसएसपी ऑफिस में भी रोजाना सैकड़ों लोगों की भीड़ पहुंच रही है। एसएसपी ऑफिस परिसर में कई पुलिसकर्मी संक्रमित भी हो चुके हैं। यहां मेन एंट्री गेट पर कोई भी हेल्प डेस्क नहीं बनाई गई है, जिससे अंदर आने वालों के ना तो हैंड सेनेटाइज होते है और ना उनका टेंप्रेचर चेक किया जाता है और लोग सीधे एसएससी दफ्तर में बने अन्य ऑफिस में चले जाते हैं। हालांकि यहां एसएसपी के मेन ऑफिस में कोराना से बचाव की सारी व्यवस्थाएं की गई हैं। इसके लिए यहां पर आने वाली पब्लिक के प्रार्थना पत्र को स्कैन किया जाता है। पब्लिक की माइक और सीसीटीवी कैमरे के जरिए टीवी स्क्रीन पर देखकर सुनवाई की जाती है और फरियादियों के हैंड सैनेटाइज किए जाते हैं। इसी तरीके से सभी थानों में हेल्पडेस्क बनाई गई हैं लेकिन कई थानों में यह सिर्फ खानापूर्ति करने के लिए बनाई गई हैं। कई थानों में तो बिना चेक कराए ही लोग अंदर चले जाते हैं और कई बार तो हेल्पलेस पर स्टाफ भी मौजूद नहीं होता है।

सभी दफ्तरों में है जरूरी

अनलॉक में दफ्तरों, फैक्ट्री व अन्य स्थानों को खोलने की छूट दी गई थी, इस छूट के साथ शर्त रखी गई थी कि सभी जगह हेल्प डेस्क बनाई जाएगी। हेल्पडेस्क पर कर्मचारियों की तैनाती की जाएगी। यहां पर थर्मामीटर ऑक्सीमीटर और सेनेटाइजर की व्यवस्था की जाएगी। इसी के तहत सभी जगह हेल्पडेस्क बनाई गई। शुरुआत में तो यहां पर चेकिंग भी हुई लेकिन उसके बाद हेल्पडेस्क पर कर्मचारी ही गायब होने लगे। सिटी एरिया में तो कई बार अधिकारियों के निरीक्षण के चलते व्यवस्थाएं सही रहती हैं, लेकिन शहर के आउटर एरिया में कोई इंतजाम नहीं होते हैं। फैक्ट्रियों में भी हेल्पडेस्क बनाई गई है लेकिन यहां आज तक किसी ने चेक नहीं करके देखा कि यहां पर नियमों का पालन हो रहा है या नहीं। इसी तरह से प्राइवेट दफ्तरों में भी हेल्प डेस्क बनाने का नियम है लेकिन कई ऐसे दफ्तर हैं जहां यह बनाई ही नहीं गई है और न ही यहां कोई चेक करने वाला पहुंचा है।

करीब 1000 हेल्प डेस्क की संख्या

बैंक। 450

इंडस्ट्री । 175

नर्सिंग होम । 150

पुलिस । 35

अन्य । 50

Posted By: Inextlive