-पढ़ाई के लिए की नौकरी, बहनों को भी पढ़ाया

-होमगार्ड के बेटे ने किया कॉलेज टॉप

BAREILLY

इरादे गर बुलंद हो तो चाहे डगर कितनी भी मुश्किल हो राही मंजिल तक पहुंच जाता है। यह पंक्तियां हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा में कामयाबी हासिल करने वाले स्टूडेंट्स पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। स्टूडेंट्स ने बुलंद इरादों से मंजिल काे पाया है।

पढ़ाई के लिए की नौकरी

श्री गुरुनानक रिक्खी सिंह ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज की व्यावसायिक वर्ग की छात्रा शिवानी महेश्वरी की पढ़ाई में पिता लक्ष्मी नारायण की आर्थिक तंगी बाधा बनी। पैसों की कमी के चलते उसे पढ़ाई नहीं छोड़नी पड़ी, इसलिए एक प्राइवेट कंपनी में अकाउंटेंट की नौकरी की। इससे मिलने वाले वेतन से उसने खुद पढ़ाई की और भाई-बहनों को भी पढ़ाया। उसने 80.5 प्रतिशत अंक हासिल किए। इसी कॉलेज की पीसीएम ग्रुप में सरिता कुमारी ने बाजी मारी। उसके पिता रामसरन पेशे से माली थे। इसके चलते उसे पढ़ाई में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पैसों की कमी के चलते वह कोचिंग नहीं जा सकी। उसकी बड़ी बहनों ने उसका सहयोग दिया। उसे घर में कोचिंग दी, जिसके चलते उसने सफलता का परचम लहराया। उसने 90.6 फीसदी अंक प्राप्त किए। वहीं रानी लक्ष्मी बाई सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में हाईस्कूल के स्टूडेंट प्रियांशु मिश्रा ने कॉलेज टॉप किया।

खली पिता की कमी

जयनारायण सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के स्टूडेंट मानवेन्द्र जौहरी के पिता प्रणेश जौहरी की 2012 में दोनों किडनी फेल होने के कारण मौत हो गई थी। इसके बाद उसे पढ़ाई पर संकट के बादल मंडराने लगे। दादा की पेंशन के भरोसे पढ़ाई चलती रही। उसने 90.3 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। स्टूडेंट ने अपनी कामयाबी का श्रेय टीचर गोविंद दीक्षित को ि1दया है।

सताता है सुरक्ष्ा का डर

छात्राओं को अपनी सुरक्षा का डर सताता है। इंटर की परीक्षा में जिले में दूसरा स्थान हासिल करने वाली रेनू गंगवार ने बताया दो साल पहले उनके पड़ोस के गांव सहोदरनागल में एक छात्रा का मर्डर हो गया था। इससे वह काफी डर गई, उन्होंने पढ़ाई छोड़ने का मन बनाया, लेकिन पिता भारतवीर गंगवार ने समझाया। छात्राओं का कहना है कि सरकार को छेड़छाड़ की घटना पर रोक लगाने के लिए और कठोर नियम बनाने चाहिए।

Posted By: Inextlive