फर्श पर दो घंटे तक तड़पता रहा घायल युवक देखने तक नहीं आए धरती के भगवान गिड़गिड़ाते रहे परिजन पर

बरेली (ब्यूरो)। यों तो डॉक्टर्स को धरती का भगवान कहा जाता है। लेकिन कई बार ये ही डॉक्टर्स ऐसी शर्मनाक हरकतें कर अपने पेशे को बदनाम कर देते हैं। ऐसा ही एक मामला शनिवार को जिला अस्पताल में देखने को मिला। जहां इमरजेंसी के बाहर एक घायल युवक दर्द से कराहता रहा। लेकिन इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने उसे एडमिट नहीं किया। घायल को उसे बहेड़ी सीएचसी से रेफर किया गया था। घायल की पत्नी डॉक्टर से काफी मिन्नतें करती रही, लेकिन उनका दिल नहीं पसीजा।

मारपीट में हुआ था घायल
थाना बिथरी चैनपुर के गांव मलपुरिया निवासी 42 वर्षीय यूनुस पुत्र हाफिज सलीमुद्दीन का शुक्रवार को अपने चचेरे भाइयों से खेत की मेड़ पर खड़े यूकेलिप्टस के पेड़ों को लेकर मारपीट हो गई थी। इसमें यूनुस के सिर में चोट आई थी। पुलिस ने उसे सीएचसी बहेड़ी में उपचार के लिए भर्ती कराया था। वहां से डॉक्टर ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे बरेली जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया था।

एक्स-रे करने के बाद इमरजेंसी भेजा
घायल युनूस की पत्नी हसरत जहां ने बताया कि वह सुबह साढ़े दस बजे पति को लेकर जिला अस्पताल पहुंच गई थी। पहले पर्चा बनवाकर सिर का एक्स-रे कराया। पौने 12 बजे एक्स-रे होने के बाद डॉक्टर ने उसे इमरजेंसी में एडमिट कराने को कहा। आरोप है कि वह इमरजेंसी में लेकर पहुंची तो डॉक्टर ने उसे एडमिट करने से इनकार कर दिया। उसके अनुसार गंभीर रूप से घायल पति न तो खड़े हो पा रहे थे, न ही बैठ पा रहे थे। इसके बाद भी डॉक्टर्स ने उन्हें बेड पर भी नहीं लेटने दिया। कमजोरी की हालत में वह इमरजेंसी के बाहर जमीन पर गए।

पुलिस आने के बाद करेंगे भर्ती
घायल की पत्नी हसरत जहां ने रोते हुए आरोप लगाया कि उसने इमरजेंसी के डॉक्टरों से काफी मिन्नतें करते हुए पति को भर्ती करने के लिए कहा, लेकिन उनका दिल नहीं पसीजा। उनका कहना था कि मामला मारपीट का है। ऐसे मामले में एक पुलिसकर्मी साथ आता है, तब ही भर्ती किया जाता है। जब तक पुलिस नहीं आएगी। उसे भर्ती नहीं किया जाएगा।

नियम में हो चुका है बदलाव
पहले यह नियम था कि यदि कोई मारपीट में घायल होने के बाद अस्पताल जाता था तो उसे जब तक पुलिस साथ न हो, तब तक न तो उसे भर्ती किया जाता था, न ही उपचार दिया जाता था। इससे कई बार लोगों की जान पर बन आती थी। इस को देखते हुए कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए इसमें बदलाव कर दिया है। अब यदि कोई घायल अस्पताल जाता है तो सर्वप्रथम उसे उपचार दिया जाता है। उसके बाद पुलिस को मामले से अवगत करा दिया जाता है।

फैक्ट एंड फिगर
10:30 बजे परिजनों संग पहुंचा था घायल युवक
11:00 बजे पर्चा बनवाया
11:45 बजे एक्स-रे करने के बाद भेजा इमरजेंसी
02 घंटे तक इमरजेंसी के बाहर पड़ा रहा घायल युवक

वर्जन
यदि मारपीट में घायल होने के बाद कोई उपचार के लिए अस्पताल पहुंचता है तो सर्वप्रथम उसे भर्ती करने के बाद उपचार दिया जाता है। साथ ही पुलिस को भी सूचित किया जाता है। मैं आउट ऑफ स्टेशन हूं। मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। यदि जिला अस्पताल की इमरजेंसी में ऐसा मामला आया है तो उसकी जांच कराई जाएगी।
-डॉ। मेघ सिंह, सीएमएस

Posted By: Inextlive