ऑपरेशन सद्भावना के तहत कश्मीरी स्टूडेंट्स का सिलेक्शन किया गया. स्टूडेंट्स को आर्मी पब्लिक स्कूल में मुफ्त एजुकेशन दी जाएगी.

बरेली (ब्यूरो)। धरती का स्वर्ग कश्मीर। धीरे-धीरे वहां हालात बेहतर होने लगे हैं। डेवलपमेंट हो रहा है तो वहीं एजुकेशन को लेकर भी पॉजिटिव रिस्पांस मिल रहा है। भारत सरकार और भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के स्टूडेंट्स का करियर संवारने की पहल की है। 29 कश्मीरी स्टूडेंट्स को आर्मी पब्लिक स्कूल पिथौरागढ़ में इंटरमीडिएट तक मुफ्त शिक्षा दी जाएगी। वेडनेसडे को उत्तर भारत एरिया (यूबी एरिया) हेड क्वार्टर में स्टूडेंट्स का वेलकम किया गया। उन्हें फ्यूचर के लिए शुभकामनाएं दी गई।

सेना और सरकार उठाएगी खर्च
यूबी एरिया हेड क्वार्टर के जीओसी अति विशिष्ट सेवा मेडल लेफ्टिनेंट जनरल सुरेंद्र सिंह महल ने कहा कि भारत सरकार और सेना की ओर से ऑपरेशन सद्भावना चलाया गया। जिसके तहत कश्मीरी स्टूडेंट्स को वालंटियर के रूप में जम्मू-कश्मीर से चयनित किया गया है। स्टूडेंट्स के रहने, खाने और एजुकेशन का खर्चा भारतीय सेना और भारत सरकार उठाएगी। यह कदम अपनी तरह का पहला है जो सेना द्वारा कश्मीर के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए उठाया गया है। यह कदम न केवल शांति का संदेश देगा बल्कि बच्चों को जीवन में आगे आने और चुनौतियों से पार पाकर महान नागरिक बनने मेें मदद करेगा।

घर जैसा मिलेगा माहौल
लेफ्टिनेंट जनरल सुरेंद्र ङ्क्षसह महल ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को प्रतिष्ठित एपीएस पिथौरागढ़ के लिए चुना गया है। जिससे ये बच्चे अनुशासन और बेहतर शिक्षा के बल पर भविष्य में बेहतर जीवन यापन कर सकें। स्टूडेंट्स को घर जैसा माहौल मिलेगा। स्टूडेंट्स के लिए एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटी बढ़ाने का मौका है। जहां देशभर से आए हुए बच्चों के साथ पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। बच्चों को टीचर, स्पोट्र्स मैन, साइंटिस्ट बनने में मदद की जाएगी। उन्होंने आगे बताया कि जम्मू कश्मीर के स्टूडेंट्स और युवाओं को मेन स्ट्रीम से जोडऩे के लिए ऐसे आयोजन आगे भी किए जाते रहेंगे।

तकनीकी एजुकेशन का भी मौका
ऑपरेशन सद्भावना में बच्चों की बुनियादी शिक्षा मुहैया कराने की ही नहीं बल्कि इससे आगे की तैयारी भी है। इंटरमीडिएट तक एजुकेशन पूरी करने के बाद अगर कोई स्टूडेंट तकनीकि या व्यावसायिक एजुकेशन जैसे इंजीनियर, वकालत, मेडिकल या फैशन इंस्टीट्यूट में दाखिला लेना चाहेगा तो भारतीय सेना मदद करेगी। हालांकि इसके लिए संबंधित संस्थान की प्रवेश प्रक्रिया को पूरा करना होगा।


फैक्ट्स

29 स्टूडेंट्स का हुआ सिलेक्शन 26 मेल स्टूडेंट्स 3 फीमेल स्टूडेंट्स


स्टूडेट्स बोले- अच्छी पहल
वहां पहले एक दिन स्कूल जाते दूसरे दिन छुट्टी रहती। इंटरनेट सेवा भी बाधित रहती। गरीबों का इलाज करने के लिए मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं। - मलिया फारुख

हालात तेजी से सुधर रहे हैं। वहां के लोगों में काफी टैलेंट है। उन्हें आगे आने का मौका नहीं मिल पाता। सेना और सरकार ने अच्छी पहल की है।
- बिसमा जान

देश के दुश्मनों के नापाक मंसूबे कभी कामयाब नहीं हो सकते। एजुकेशन पूरी करने के बाद आर्मी अफसर बनकर देश की सेवा करनी है।
- फईम इस्लाम

वहां रेगुलर एजुकेशन नहीं मिल पा रही थी। अब बेहतर स्टेज मिला है। मुझे हिस्ट्री की किताबें पढ़ाना अच्छा लगता है। हिस्ट्री का लेक्चरर बनना चाहता हूं।
- मुजफ्फर रसूल

Posted By: Inextlive