-बरेली के कंथरिया गांव में रहते हैं 50 परिवार, रोजगार व कम खेती होने पर नियंत्रित कर लिए परिवार

-10 परिवारों में दो से अधिक बच्चे, बाकी ने अपनाया छोटा-परिवार, सुखी परिवार का मंत्र

बरेली : जितने संसाधन, उतना परिवार। व्यवस्था में संतुलन बनाए रखने के लिए कंथरिया गांव के लोगों ने यही मंत्र अपनाया। रोजगार के ज्यादा अवसर नहीं मिले, खेती के लिए जमीन के छोटे टुकड़े थे। ऐसे हालात से निपटने के लिए अधिकतर ने अपने परिवार सीमित कर लिए। 50 में करीब 40 परिवार सिर्फ दो बच्चों वाले हैं।

प्रदेश की बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए नया कानून लाने की चर्चा शुरू हुई तो इस गांव के लोग नजीर के तौर पर दिखे। जिला मुख्यालय से सात किमी दूर बिथरी चैनपुर ब्लाक के इस छोटे से गांव में ¨हदू आबादी है। ग्रामीण बताते हैं कि 70 साल के बुजुर्ग के भी दो संतानें हुई, 35 साल के युवा के भी दो ही बच्चे हैं।

छोटे परिवार के पीछे ग्रामीणों की सोच

गांव में रहने वाले अधिकतर लोग मजदूरी करते हैं। शिक्षित बहुत ज्यादा नहीं हैं, मगर आर्थिक चुनौतियों से पार पाने के लिए उन्होंने तय किया कि सीमित परिवार ही रखेंगे। ग्रामीण कहते हैं कि इसे हमने परंपरा के तौर पर शामिल कर लिया। जीवन-यापन के लिए शहर में मजदूरी करते हैं। कुछ लोगों के पास जमीन के दो-चार बीघे के टुकड़े हें, इन्हीं से परिवार के लिए अनाज मिल जाता है।

सिर्फ दो लोग सरकारी सेवा में

75 वर्षीय बुजुर्ग धर्मपाल सिंह बताते हैं कि हमारी पीढ़ी में चार-छह भाई, बहन होते थे। परिवार का पालन पोषण मुश्किल होने लगा तो हम लोगों ने दो बच्चों की परंपरा शुरू की। सरकार कानून बना रही है, इसकी जानकारी नहीं है। मगर, यदि ऐसा कानून आ रहा है तो अच्छी बात है। गांव में सिर्फ दो लोग सरकार सेवा में हैं। इन्हें मृतक आश्रित में नौकरी मिली थी।

10 परिवारों के दो से अधिक बच्चे

गांव में सिर्फ 10 परिवार हैं, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं। इनमें सात परिवार बुजुर्गों के शामिल हैं। तीन परिवार 40 से 50 वर्ष आयु वर्ग के लोगों के हैं।

- बड़ा परिवार चलाने में समस्या आती है, इसीलिए दो बच्चों का परिवार ही ठीक है। गांव में सीमित संसाधन हैं।

- नीटू पटेल, ग्रामीण

- बड़े परिवारों में शिक्षा दिलाने में परेशानी होती है। एक या दो बच्चों को ठीक से पढ़ा लेते हैं।

- नीरज पटेल, ग्रामीण

- मेहनत मजदूरी कर परिवार पालते हैं। बड़े परिवार से दिक्कत होती है, छोटा परिवार ही ठीक है।

- भगवानदास, ग्रामीण

- बड़े परिवार का खर्च चलाने के लिए आय भी बड़ी होनी चाहिए। महंगाई है, पढ़ाई पर भी खर्च होता है। ऐसे में सीमित परिवार ही ठीक है।

- बबिता देवी, ग्रामीण

कंधरिया गांव बलीपुर अहमदपुर ग्राम पंचायत का हिस्सा है। इस गांव में अधिकतर छोटे परिवार है। नई हो या पहले की पीढ़ी ज्यादातर लोगों के दो ही बच्चे हैं।

- धीरेंद्र प्रताप, प्रधान, बलीपुर अहमदपुर

-गांव के लोग समझदार हैं। संसाधनों के हिसाब से उनके परिवार सीमित हैं। छोटे परिवार की परिभाषा को उन्होंने बड़ी बारीकी से समझा है। अधिकतर परिवारों में दो बच्चे हैं।

- अजय वंश, पंचायत सचिव

Posted By: Inextlive