लाइफ लग्जरी फिर भी मांग रहे मजदूरों का हक
1.10-लाख से अधिक मजदूर हैं रजिस्टर्ड
2-हजार रुपए प्रतिमाह मिलता है अनमैरिड मजदूर को चिकित्सा लाभ 3-हजार रुपए प्रतिमाह मिलता है मैरिड मजदूर को चिकित्सा लाभ ========= इस वित्तीय वर्ष में मिला लाभ 50-मेधावियों को छात्रवृत्ति 75-लाभार्थियों को शादी योजना 650-लाभार्थियों को शिशु योजना का लाभ =============== केस:1 शहर के सीबीगंज निवासी एक युवक श्रम विभाग में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पहुंचा। श्रम प्रवर्तन अधिकारी ने पूछताछ की और पूछा कि जहां पर आपने काम किया है वहां पर बात करानी होगी। युवक से फोन नंबर लेकर अधिकारी ने बात की तो पता चला कि युवक मजदूर नहीं बल्कि बिजनेसमैन है। वह मजदूर बनकर मजदूरों का हक हड़पने आया था। =============== केस:2डोहरा रोड निवासी एक युवक मजदूरी का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए श्रम विभाग पहुंचा। श्रम प्रवर्तन अधिकारी ने उसके आवेदन पर दिए गए फोन नंबर पर कॉल करके पूछताछ की तो पता चला कि वह मजदूर नहीं बल्कि शॉप ओनर है। वह तो सिर्फ मजदूरों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने आया था। भेद खुला तो वह चुपचाप खिसक गया।
------------------ केस:3भुता निवासी एक युवक मजदूरी का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पहुंचा। वह अपनी कार ऑफिस से दूर खड़ी करके गया था। लेकिन जब उसको देखकर अधिकारियों ने पूछा कि क्या करते हो, आपने जहां मजदूरी का काम किया हैं वहां पर बात कराओ। बस फिर तो वह भागने लगा। पता चला कि उसने कहीं काम ही नहीं किया फर्जीबाड़ा कर रजिस्ट्रेशन कराने पहुंचा था।
-------------- केस:4 दुर्गा नगर निवासी एक युवक रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पहुंचा। रजिस्ट्रेशन कराने के दौरान जब उससे पूछा तो उसने बताया कि वह मजदूरी करता है। लेकिन जब उससे कहा कि जहां काम करते हो वहां बात कराओ तो पता चला कि वह खुद एक अच्छा बिजनेस करता है। बरेली: लग्जरी लाइफ जीने के बाद भी लोग धोखाधड़ी करके मजदूरों के हक पर डाका डालने से भी नहीं चूक रहे हैं। कुछ इसी तरह के मामले श्रम विभाग में भी पहुंचने लगे। लेकिन श्रम विभाग के अफसरों की जांच में ही उनका खेल खुल जा रहा है। जांच के दौरान कई ऐसे मामले सामने आए कि जो जिन लोगों ने कभी मजदूरी नहीं की और बिजनेस कर रहे हैं वह भी खुद को मजदूर बताकर रजिस्ट्रेशन कराने पहुंच रहे हैं। इनमें कई लोग मजदूरी करने का फर्जी सर्टिफिकेट तक ले आते हैं। हालंाकि पूछताछ के दौरान ही मामले में फंसता देख खिसक लेते हैं।कई तरह के मिलते हैं हितलाभ
श्रम विभाग में सरकार की तरफ से मजदूरों को हितलाभ देने के लिए शिशु लाभ, एक्सीडेंटल हितलाभ, शौचालय, श्रमिक के मेधावी बच्चों को छात्रवृत्ति और भवन निर्माण आदि के लिए लाभ दिया जाता है। इन्हीं योजनाओं का लाभ लेने के लिए कई लोग फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन करने की कोशिश में लगे रहते हैं, लेकिन पूछताछ करने पर हकीकत भी सामने आ जाती है। ऐसे पकड़ जाता है मामला रजिस्ट्रेशन कराने वाले को अपना आधार कार्ड, फोटो, जॉब कार्ड के साथ 50 रुपए रजिस्ट्रेशन फीस जमा करनी होती है। आवेदक ने पूर्व में जहां मजदूरी की है वहां के मालिक का फोन नंबर भी देना होता है। जिनके पास मनरेगा का जॉब कार्ड होता है उनका रजिस्ट्रेशन तो कर लिया जाता है लेकिन बाकी आवेदकों द्वारा दिए गए फोन नंबर पर पूछताछ में फर्जीबाड़े का खेल खुल जाता है। ऑफिस में मजदूर बनकर गुमराह करने वाले कई लोग आते हैं, लेकिन पूछताछ में ही पकड़ जाते हैं। इसके साथ ही जब किसी मजदूर को हितलाभ दिया जाता है तो उसकी जांच की जाती है उसके बाद ही उसे लाभ दिया जाता है। उसमें भी कोई फर्जीवाड़ा करता है तो पकड़ जाता है।महीप सिंह, श्रम प्रवर्तन अधिकारी