- जिले में अगस्त में मिले खतरनाक पीएफ के 435 मरीज, छह माह में थे 90

- पिछले साल से आधी भी नहीं हुई स्क्रीनिंग, तेजी से बढ़ रहा पीएफ का आंकड़ा

बरेली : जिले में कोरोना के संक्रमण के साथ ही मलेरिया भी तेजी से पैर पसारता जा रहा है.मौजूदा माह में मलेरिया के खतरनाक पैरासाइट प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (पीएफ) ने जोर पकड़ा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की इंतजाम नाकाफी दिखाई दे रहे हैं। जिले में पिछले साल के मुकाबले आधी भी स्क्त्रीनिंग नहीं हुई है। जांच ही नहीं होने से लगातार मलेरिया लोगों को चपेट में ले रहा है।

मलेरिया के प्रति अपना जिला पिछले दो साल से काफी संवेदनशील रहा है। वर्ष 2018 में तो जिले में तेजी से मलेरिया फैला और कई लोगों की मौत भी हो गई। अगले ही साल स्वास्थ्य विभाग ने मौतों को तो नियंत्रित कर लिया लेकिन मरीजों की संख्या को कम करने में सफल नहीं हो पाए। इस बार शुरू से ही कोरोना महामारी का कहर रहा। स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह उसके नियंत्रण को लग गया। मलेरिया पर ध्यान नहीं दिया गया। इसके चलते अब मलेरिया का जिले में प्रभाव तेज हो गया है।

अगस्त में फाल्सीपेरम के मिले 435 मरीज

जिले में साल के शुरू से ही मलेरिया के मरीज मिलने शुरू हो गए थे। इनमें प्लाज्मोडियम वाईवेक्स (पीवी) के मरीजों की संख्या अधिक थी। जनवरी से जुलाई तक छह माह में पीएफ के मात्र 90 और पीवी के 2460 मरीज मिले थे। अगस्त में यह आंकड़ा काफी बढ़ गया है। एक माह में खतरनाक पीएफ के 435 और पीवी के 879 मरीज मिले हैं। मलेरिया का यह आंकड़ा चिंताजनक है।

जिले में मलेरिया की जांच को भी स्क्त्रीनिंग लगातार चल रही है। जहां भी केस पाए जा रहे हैं, उन्हें तत्काल दवा दी जा रही है। अब तक मलेरिया के मरीजों की संख्या पिछले साल की तुलना में कम है।

डॉ। विनीत शुक्ला, सीएमओ

Posted By: Inextlive