- फॉल्सीफेरम के पेशेंट्स बढ़ने पर हेल्थ डिपार्टमेंट शुरू करने जा रहा कवायद

- फीवर के चलते क्वारंटाइन होने के डर से लोग नहीं करा रहे जांच

बरेली : कोरोना का संकट गहराने के बाद बरेलियंस में खौफ अभी तक बरकरार है लेकिन अब यह खौफ बरेलियंस के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए भी कि कोरोना काल में मलेरिया की जांचे कम होने पर लोग सामान्य फीवर को भी कोरोना से जोड़ दे रहे हैं जिससे ठीक प्रकार से इलाज न होने पर उनकी जान भी जा सकती है। इस कारण अब हेल्थ डिपार्टमेंट ने कोरोना की जांच कराने आने वाले पेशेंट्स की मलेरिया की भी जांच करने की कार्य योजना बनाई है। इसी सप्ताह से ही प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी।

क्यों पड़ी जरूरत

हेल्थ अफसरों के अनुसार कोरोना के लक्षण में फीवर और कोल्ड की दिक्कत शामिल हैं वहीं मलेरिया ग्रसित पेशेंट्स भी फीवर भी गिरफ्त में आते हैं। ऐसे में फीवर आने पर पेशेंट्स कोरोना का टेस्ट तो करा रहे हैं लेकिन मलेरिया की ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।

अनजाने में जान का रिस्क

हेल्थ अफसरों ने जो कोरोना के साथ ही मलेरिया की जांच कराने की योजना बनाई हैं इससे साफ है कि अगर पेशेंट्स मलेरिया पीवी या पीएफ से ग्रसित हैं ऐसे में मलेरिया की जांच न होने पर उसे मलेरिया का इलाज नहीं मिल सकेगा जिससे अनजाने में मरीज की जान भी जा सकती है।

अगस्त में फाल्सीपेरम के 435 मरीज जिले में साल के शुरू से ही मलेरिया के मरीज मिलने शुरू हो गए थे। इनमें प्लाज्मोडियम वाईवेक्स यानि पीवी के मरीजों की संख्या अधिक थी। जनवरी से जुलाई तक छह माह में पीएफ के मात्र 90 और पीवी के 2460 मरीज मिले थे। अगस्त में यह आंकड़ा काफी बढ़ गया है। एक माह में खतरनाक पीएफ के 435 और पीवी के 879 मरीज मिले हैं। मलेरिया का यह आंकड़ा चिंताजनक है।

कोरोना के डर के चलते लोग फीवर आने पर सिर्फ कोरोना की जांच करा रहे हैं, लेकिन अब उनकी मलेरिया की जांच भी कराई जाएगी। जिसकी कवायद जल्द शुरू कर दी जाएगी। जिले में मलेरिया का प्रकोप अधिक रहता है। इसलिए विभागीय अधिकारियों को जांच करने के लिए आदेश दे दिया गया है।

डॉ। विनीत कुमार शुक्ला, सीएमओ।

Posted By: Inextlive