- मिड अपर आर्म सर्किल टेप से चिह्नित किए जाएंगे जिले में कुपोषित बच्चे

- रंगों के जरिए हर कोई पहचान सकता है बच्चों में कुपोषण लेवल

BAREILLY:

बच्चा दुबला पतला है। एज और हाइट के हिसाब से वेट भी कम है। ऐसे में, बच्चे के कुपोषित होने की संभावना हो सकती है। लेकिन यह जानने के लिए अब आपको टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। आंगनबाड़ी केंद्र जाकर और एमयूएसी टेप से बच्चे की सेहत नाप सकते हैं। डिस्ट्रिक्ट में कुपोषण मिटाने के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट टेप को हथियार के तौर पर यूज करने जा रहा है। वजह यह भी है कि टेप यूनिसेफ प्रमाणित है।

क्या है एमयूएसी

एमयूएसी यानि मिड अपर आर्म सर्किल रेट भ् वर्ष तक के बच्चों में कुपोषण नापने का बेहतरीन माध्यम है। बच्चों की बांयी भुजा पर बांधकर नापा जाता है। अभी तक फ् हजार एमयूएसी टेप मंगाए गए हैं। वहीं, फटने, टूटने अथवा खोने पर ऑर्डर पर भी मंगाए जाएंगे। एमयूएसी टेप सभी ख्8भ्7 आंगनबाड़ी केंद्रों पर सुपरवाइजर को दिए जाएंगे। जिले में कुपोषण की दर आंकने के उद्देश्य से चलाए गए अभियान में गंभीर कुपोषण म्भ्00 और अल्प कुपोषण 80 हजार बच्चे ि1मले हैं।

क्ख् सेमी से कम यानि कुपोषण

हरा, पीला और लाल रंगों में विभाजित टेप में प्रत्येक रंग के मायने हैं। प्वाइंट क्ख् से ऊपर हरा रंग स्वस्थ, क्ख् से क्0 पीला रंग अल्प कुपोषित और क्0 से कम गंभीर रूप से कुपोषित यानि खतरे का सिग्नल है। सुपरवाइजर्स इन्हीं प्वाइंट्स के आधार पर कुपोषण की पहचान करेंगे। अल्पकुपोषित बच्चों के माता पिता को सुपरवाइजर हेल्दी डाइट देने के लिए जागरूक करेंगे। वहीं, यदि कोई बच्चा अति कुपोषित लेवल पर होगा तो उन बच्चों के ट्रीटमेंट के लिए उन्हें तत्काल पोषण पुष्टाहार एवं पुनर्वास केंद्र पर भर्ती किया जाएगा।

भारी समस्या का हल्का सोलूशन

कुपोषण तीन चरणों 'वेट, हाइट और टेप' में नापा जाता है। शहर में केवल वेट के जरिए ही कुपोषण लेवल परखा जाता है। वेइंग मशीन का वजन काफी होने से घर घर पहुंचकर कुपोषण नापना कठिन था। भारी मशीन को उठाकर ले जाने में सुपरवाइजर भी आनाकानी करते थे। वहीं, कुपोषण की रिपोर्ट भी देने में लापरवाही बरत रहे थे। जबकि फीते के जरिए कुपोषण परखना इतना आसान है कि कोई भी खुद से बच्चों में कुपोषण का लेवल परख ले।

एक्युरेट और ट्रांसपेरेंसी

वजन से बच्चे को कुपोषित बताने पर पेरेंट्स भी सच नहीं मानते थे। एमयूएसी टेप में लाल रंग अतिकुपोषण यानि खतरे का लेवल बताता है। जिससे पेरेंट्स को जागरूक करने में आसानी होगी। इसके माध्यम से अल्पशिक्षित अथवा अनपढ़ भी बच्चों में कुपोषण लेवल रंग को देखकर जान सकते हैं। साथ ही वेइंग मशीन से कुपोषण ट्रैक करना संभव नहीं था। वेइंग मशीन के साथ ही टेप और हाइट की नाप से कुपोषण को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है।

इलेक्ट्रॉनिक वेट मशीन का हाेगा इस्तेमाल

कुपोषण से निजात पाने के लिए इलेक्ट्रानिक पर्स वेइंग मशीन अपनाया जाएगा। आंगनबाडी सुपरवाइजर्स आसानी से पर्स में वेइंग मशीन से हर घर पहुंचकर बच्चों का वजन का माप कर सकते हैं। अधिकारियों के मुताबिक पर्स वेइंग मशीन से प्रत्येक बच्चे का माप लेने में आसानी होगी।

वेइंग मशीन से कुपोषण का लेवल परखना काफी कठिन था। एमयूएसी टेप के जरिए आसानी से घर घर पहुंचकर बच्चों में स्वास्थ्य परीक्षण करने में आसानी होगी। इससे एक्यूरेट फीगर सामने आएगी।

राजेश कुमार, डीपीओ

Posted By: Inextlive