25 लाख व्यक्ति अल्कोहल के सेवन से हार्टअटैक लीवर की खराबी सडक़ दुर्घटना आत्महत्या तथा कैंसर जैसे रोगों से जान गवंा देते हैं

बरेली(ब्यूरो)। जिला मद्यनिषेध एवं समाजोत्थान अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि मद्यपान एवं मादक द्रव्य व्यसन भारतीय समाज में पाये जाने वाली एक प्रमुख समस्या है। जिससे समाज का विघटन हो रहा है। यह समस्या समाज में आस-पास कहीं न कहीं देखने को मिल जाती है। आजकल समाज के सभी वर्गों के लोग मादक द्रव्यों के आदी होते जा रहेे है। जिससे उनका मानसिक व शारीरिक पतन होता जा रहा है।

वेस्टर्न कल्चर का प्रभाव
हमारी युवा पीड़ी पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होकर मद्यपान करना शिष्टाचार और आधुनिक जीवन शैली का प्रतीक मानते हैं। अपने इस शौक को पूरा करने के लिए अनेक प्रकार के अपराध करते हैं, वास्तव में इसे शैतान माना जा सकता है। विभिन्न प्रकार की समस्याओं की जड़ मद्यपान तथा मादक द्रव्य व्यसन ही है, जिसके कारण किसी भी देश में व्यक्ति विघटन, सामाजिक विघटन, पारिवारिक विघटन व आर्थिक विघटन देखने को मिलता है। उन्होंने बताया कि आंकड़े बताते हैं कि गरीब तबके के बीच शराब की खपत अधिक होती है। चूंकि शराब पर लगने वाला उत्पादन शुल्क अधिक होता है, इसलिए गरीबों को बेची जाने वाली शराब ज्यादातर वही होती है, जो अवैध तरीके से बनायी जाती है।

चिंताजनक है हाल
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों पर गौर करें तो लगभग 25 लाख व्यक्ति अल्कोहल के सेवन से हार्टअटैक, लीवर की खराबी, सडक़ दुर्घटना, आत्महत्या तथा कैंसर जैसे रोगों से जान गवंा देते है। जो वर्ष में होने वाली सामान्य मौतों का 3.8 प्रतिशत है। आजकल कोई भी उत्सव मदिरा के बिना पूरा नही माना जाता। इस कार्य में पुरूषों के साथ महिलाओं द्वारा भी मादक पदार्थों का सेवन शुरू कर दिया है। जिसकी संख्या लगभग 30 प्रतिशत के करीब है। इग्लैण्ड में शोधकर्ताओं के शोध के आघार पर निष्कर्ष निकाला है, कि व्यक्ति को मादक पदार्थों के सेवन से ज्यादा शराब तीन गुना हानिकारक है। किसी भी समाज अथवा देश का नशीला वातावरण उस समाज की शक्ति, साहस मानमर्यादा, राजनैतिक व नैतिकता के आगे प्रश्नचिन्ह लगाता है। हमारे देश मे भी हालात चिन्ताजनक है। पिछले दशक मे यहा मदिरा का कुल अधिकतम उत्पादन दस गुना बढ़ गया है। एक स्वच्छ समाज की स्थापना स्वस्थ व्यक्तियों से ही हो सकती है। स्वस्थ व्यक्ति से तात्पर्य न केवल व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य से है, बल्कि चर्तुमुखी विकास से है। युवा पीड़ी को चाहिए कि वे इस मृग मरिचिका में न भटकें। हम सभी का यह कर्तव्य व दायित्व है कि अपने देश को उन्नति के शिखर पर ले जाने के लिए अपने देश की जनता को मादक द्रव्य पदार्थो के दुष्परिणामों से अवगत करायें। नशा मुक्त समाज की स्थापना के लिए हमें अपनी भूमिका निर्धारित करनी होगी तथा जन-जन तक जागृति विकसित करनी होगी
तभी हम एक नशा मुक्त समाज की स्थापना में सफल हो सकते है।

Posted By: Inextlive