-भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के पाठ्यक्रम को रुहेलखंड विश्वविद्यालय ने किया लागू

बरेली : महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कृषि महाविद्यालयों के पाठ्यक्रम में बदलाव कर दिया गया है। अब बीएससी की तर्ज पर एमएससी (कृषि) में भी सेमेस्टर सिस्टम से पढ़ाई होगी। छात्रों को प्रत्येक विषयों में पास होने के लिए कम से कम 50 फीसद अंक लाना अनिवार्य होगा। उन्हें धान के साथ-साथ अब गेहूं की फसल पैदा करने की तकनीक भी सिखायी जाएगी। आइसीएआर के निर्देश के बाद विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ। सुनीता पांडेय ने बदला हुए सिलेबस सभी कृषि महाविद्यालयों के प्राचार्यों को भेजकर और विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.द्वद्भश्चह्मह्व.ड्डष्.द्बठ्ठ पर अपलोड कर दिया गया है। इसी सत्र से इस पाठ्यक्रम से पढ़ाई शुरू कराने के लिए कहा है।

बदलाव की मिली मंजूरी

रुहेलखंड विश्वविद्यालय के अधीन करीब 14 महाविद्यालय संचालित हैं। इनमें बरेली के गन्ना उत्पादक महाविद्यालय और चौधरी हरनाम सिंह महाविद्यालय भुता का नाम भी शामिल है। शिक्षकों के मुताबिक आइसीएआर की पांचवी डीन कमेटी की बैठक में कृषि के पाठ्यक्रम में बदलाव को मंजूरी मिल चुकी है। अब उसे यहां लागू किया जाने के निर्देश दिए गए हैं।

अब 20 अंक इंटरनल के मिलेंगे

चौधरी हरनाम सिंह महाविद्यालय भुता के कृषि विभाग के हेड डॉ। विनोद कुमार ने बताया कि अभी तक बीएससी के प्रत्येक विषय में 35 फीसद और एमएससी में 48 फीसद अंक जरूरी थे। अब 50 फीसद लाना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा पहले 30 अंक का प्रैक्टिकल और 70 अंक की थ्योरी थी। इसमें बदलाव करते हुए 30 अंक का प्रैक्टिकल, 50 अंक थ्योरी और 20 अंक इंटरनल (प्रोजेक्ट आधारित) के दिए जाएंगे।

गेहूं की खेती भी करना सीखेंगे छात्र

पाठ्यक्रम में फिजिकल क्रॉप प्रोडक्शन को भी संशोधित किया गया है। पहले छात्र धान की फसल की बुआइ करना सीखते थे। अब गेहूं की फसल के उत्पादन की तकनीक भी सीखेंगे। इसके अलावा कीट विज्ञान में पोल्ट्री, मधुमक्की पालन और रेशम कीट विषय को भी अलग-अलग किया गया है।

Posted By: Inextlive