-सीएचसी भमोरा में प्रदेश की पहली गम्बूजिया फिश हैचरी का इनॉग्रेश्न

- तालाबों में मछली पालन करके किया जाएगा मलेरिया कंट्रोल

बरेली: जनपद में बढ़ते मलेरिया का प्रकोप को कंट्रोल करने के लिए जनपद बरेली ने एक पहल की है। मलेरिया और डेंगू के कंट्रोल के लिए गम्बूजिया मछली को हथियार बनाने की तैयारी स्वास्थ्य विभाग शुरू कर चुका है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भमोरा में सैटर्डे को प्रदेश की पहली गम्बूजिया फिश हैचरी का उद्घाटन कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.आरएन गिरी द्वारा किया गया। इस अवसर पर डिविजनल सर्विलांस अधिकारी अखिलेश्वर सिंह एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भमोरा का समस्त स्टाफ मौजूद रहा

सभी तालाबों में मछलियां

डॉ। गिरी ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधीक्षक डॉ। गौरव शर्मा के अथक प्रयासों से हैचरी का निर्माण कराया है। इसमें तकनीकी सहयोग फैमिली हेल्थ इंडिया संस्था के द्वारा किया गया है। हैचरी में गम्बूजिया नामक मछली का पालन करके मछलियों को जनपद के अन्य तालाबों में डाली जाएगी। गम्बूजिया मछली एंटी लार्वा का काम करती हैं। जहां भी यह मछली होती है, वहां मच्छरों को नहीं पनपने देती है। मच्छरों से बचने के लिए लोगों को यह मछली पालनी चाहिए।

वजन का 40 गुना खा सकती

जिला मलेरिया अधिकारी डीआर सिंह ने बताया की मलेरिया फैलाने वाले मादा एनाफलीज मच्छरों को फैलने से रोकने के लिए तालाबों के पानी में गम्बूजिया मछली छोड़ी जाएंगी। पानी पर अंडे देने वाले मच्छरों के लार्वा को ही मच्छर पैदा होने से पहले ही यह मछली चट कर जाएगी और मच्छरों की बढ़ती तादाद पर कुछ हद तक रोक लगेगी। एक गम्बूजिया मछली 24 घंटे में अपने वजन का 40 गुना लार्वा खा सकती है। गम्बूसिया मछली को ग्रो होने में 3 से 6 महीने का वक्त लगता है। एक मछली एक महीने में करीब 50 से 200 बच्चे दे सकती है। एक मछली करीब 4 से 5 साल जिंदा रह सकती है।

यह है मछली की खासियत

-औसतन एक से डेढ़ साल तक जीवित रहती हैं।

-एक मछली औसतन 60 बच्चों को जन्म देती हैं।

-यह मछली एंटी लार्वा का काम करती है।

-मच्छरों के लार्वा इस मछली का पंसदीदा भोजन है।

-यह मछली नाले के गंदे पानी में आसानी से जिंदा रह सकती है।

Posted By: Inextlive