-डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, डब्ल्यूटीआई, कानपुर प्राणी उद्यान के चिकित्सक, वन विभाग टीम ने संयुक्त रूप से शुरू किया अभियान

बरेली : जंगल में तब्दील हो चुकी फतेहगंज पश्चिमी स्थित बंद रबर फैक्ट्री में बुधवार को ऑपरेशन टाइगर शुरू किया गया। पिछले महीने लगाए गए एक कैमरे में बाघिन की तस्वीर मिलने के बाद वेडनसडे से वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई), व‌र्ल्ड वाइल्ड फाउंडेशन (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ), वन विभाग और कानपुर प्राणी उद्यान के चिकित्सक की टीम उसे ट्रेंक्युलाइज करने के जुट गई है।

सुरक्षित पकड़ना चैलेंज

वेडनसडे को फैक्ट्री परिसर में पहुंची टीम ने सबसे पहले रास्तों पर सात सेंसर कैमरे, दो जगहों पर पिंजड़ा लगाया गया है। टीम का मानना है कि हजारों वर्ग मीटर में फैली बंद फैक्ट्री में बाघिन को ढूंढ़ना आसान नहीं है। इसके साथ ही उसे आबादी की ओर जाने से रोकने के साथ, उसे सुरक्षित रखना भी चुनौती है। कैमरे में मिली फोटो, फैक्ट्री परिसर में मिले पंजों के निशान के आधार पर टीम इस बाघिन को पूरी तरह से स्वस्थ्य, अच्छी कद काठी का मान रही है। पंजे के निशान के आधार पर टीम उसे बाघिन मान रही है।

छह पिंजड़े, 25 कैमरे और लगाए जाएंगे

बाघिन को पकड़ने के लिए दो पिंजड़े लग हैं। बिजनौर, पीलीभीत से छह और पिंजड़े मंगाकर अलग स्थानों पर लगाए जाएंगे। 25 कैमरे और मंगवाए गए हैं, जोकि हर दिशा में लगाए जाएंगे।

कैमरों से लाइव लोकेशन

गुरुवार को 25 नए कैमरे लगेंगे, उनमें से पांच ऑनलाइन होंगे। जोकि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम के लैपटाप पर हर वक्त लाइव होंगे। अन्य कैमरों की रिकॉर्डिग दो दिन बाद देखी जाएगी। कैमरे वाले स्थान पर टीम रोजाना नहीं जाएगी क्योंकि मनुष्य की आवाजाही को सूंघकर बाघिन सतर्क हो जाएगी।

रात में घूमेगी टीम

बाघ रात में शिकार के लिए निकलते हैं। इसलिए वन विभाग की टीम रात में कांबिंग करेगी। पड़ोसी गांव अगरास को लेकर खास एहतियात बरती जा रही है। टीम के सदस्य फैक्ट्री परिसर से लेकर वहां तक रोजाना गश्त करेंगे। इस बीच बाघिन की रेकी भी होगी।

वर्ष 1999 से बंद है फैक्ट्री

एशिया की अव्वल कही जाने वाली रबड़ फैक्ट्री 15 जुलाई 1999 से बंद पड़ी है। 1270 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली फैक्ट्री में अब जंगल बन गया है। इमारतें जर्जर हो चुकी हैं।

रबर फैक्ट्री के जंगल में बाघिन होने की पुष्टि हुई है। उसे पकड़ने के लिए आपरेशन शुरू कर दिया गया है। लोकेशन पता की जा रही है। उसे सुरक्षित तरीके से पकड़ने में थोड़ा समय लग सकता है।

ललित कुमार, मुख्य वन संरक्षक।

Posted By: Inextlive