कुल शरीफ के साथ हुआ उर्स-ए-रजवी का समापन शहर की सडक़ों पर रही अकीदतमंदों की भीड़


बरेली (ब्यूरा)। आला हजरत इमाम अहमद रजा खां फाजिले बरेलवी के 104वें उर्स-ए-रजवी के कुल के मौके पर देश विदेश से लाखों अकीदतमंदों ने अपने मोहसिन को खिराज-ए-अकीदत पेश की। रजा के दीवाने घंटों तक इस्लामिया मैदान में जमे रहे। मैदान खचाखच भरने के बाद आसपास सभी घरों की छतों, दीवारों व गलियों में काफी भीड़ रही। इस्लामिया इंटर कॉलेज के कंपाउंड में भी हर जगह रजा के चाहने वाले नजर आए। 104वें उर्से रजवी के आखिरी दिन शुक्रवार को आला हजरत फाजिले बरेलवी के कुल शरीफ की रस्म लाखों के मजमे में अदा की गई। शुक्रवार दोपहर 2.38 बजे हुए कुल से पहले सज्जादानशीं समेत तमाम उलेमा ने दुनिया भर के मुसलमानों के नाम खास पैगाम जारी किया। कुल शरीफ के बाद तीन रोजा उर्स का समापन हो गया। कुल के बाद इस्लामियां मैदान में सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने नमाज-ए-जुमा अदा कराई। इससे पहले दुनिया भर में अमन-ओ-सुकून और खुशहाली की दुआ की।

तिलावत से हुआ आगाज
उर्स-ए-रजवी के सभी कार्यक्रम दरगाह प्रमुख हजरत मौलाना सुब्हान रजा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती, सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) की सदारत एवं सय्यद आसिफ मियां और उर्स प्रभारी राशिद अली खान की देखरेख में हुए। मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि शुक्रवार की महफिल का आगाज कारी अलीम रजा (साउथ अफ्रीका) ने कुरान की तिलावत से किया। इसके बाद उलेमा की तकरीर का सिलसिला शुरू हुआ। मुफ्ती गुलफाम रामपुरी व मौलाना जाहिद रजा ने सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां का पैगाम जायरीन तक पहुंचाते हुए कहा कि मुसलमान अपने च्च्चे व बच्च्चयों का खास ख्याल रखने व उनको दुनियावी तालीम के साथ दीनी तालीम दिलाने पर खास जोर दिया, जिससे च्च्चे भला बुरा समझ सकें।

मिशन आज भी जारी
सुन्नियत का मिशन आला हजरत के दादा मुफ्ती रजर अली खान ने जो शुरू किया जो आज भी जारी है। आला हजरत व उनके बाद मुफ्ती-ए-आजम और ताजुशशरिया के विसाल के बाद जो खला पैदा हुआ, जिसकी कमी कभी पूरी नहीं की जा सकती। मुफ्ती सलीम नूरी ने सभी से मसलक-ए-आला हजरत पर सख्ती से कायम रहने और इल्म हासिल करने पर जोर दिया। मौलाना नासिर सुब्हानी ने फरमाया तो वहां पर मौजूद जायरीन सुब्हान अल्लाह करने लगे। इश्क-ए-नबी दिलों में बिठाता चला गया, अहमद रजा नबी से मिलाता चला गया, जिसने जहां पुकारा, कहा कुछ सुनाओ तुम, उसको रजा की नात सुनाता चला गया।

इन्होंने फरमाए खिताब
इसके बाद लंदन से आए अल्लामा अजहरुल कादरी ने जायरीन को अखलाक एवं किरदार बेहतर करने और आला हजरत के पैगाम को आम करने को कहा। मौलाना नोमान अख्तर व मौलाना हाशिम रजा ने कहा कि अंग्रेजों का मिशन था, लड़ाओ और राज्य करो। जब हकपरस्तों की आवाज दबाई जा रही थी, उस वक्त में उलेमा की बड़ी जमात ने देश की खातिर कुर्बानियां देकर मुल्क को आजाद कराने में अहम किरदार निभाया।
मुफ्ती इमरान हनफी ने आला हजरत को भारत रत्न कहा और हुकूमत से भारत रत्न देने की मांग की। इस दौरान मुफ्ती सय्यद कफील हाशमी, कश्मीर के मौलाना फारूक, मौलाना जिकरुल्लाह, मौलाना सुल्तान अशरफ, मुफ्ती शमशुद्दीन, मौलाना शमसुद्दीन हक (बांग्लादेश) ने भी खिताब किया। नात-ओ-मनकबत दरगाह प्रमुख के पोते सुल्तान मियां, दिलकश राचवी, मौलाना फाइक उल जमाली, आसिम नूरी, मुस्तफा रजा आदि ने पढ़ी। इस दौरान राशिद अली खान, मौलाना जाहिद रजा, शाहिद खान, हाजी जावेद खान, नासिर कुरैशी व अजमल नूरी, परवेज नूरी, औरंगजेब नूरी, ताहिर अल्वी, मंजूर रजा, आसिफ रजा, शान रजा, मुजाहिद रजा, खलील कादरी, सय्यद फैजान अली आदि ने व्यवस्था संभाली।

Posted By: Inextlive