-संजय कम्युनिटी हॉल में चल रहे समारोह में हुआ मंचन

बरेली:

पं। राधेश्याम कथावाचक की जयंती पर चल रही सात दिवसीय स्मृति समारोह में फ्राइडे को अंगद-रावण संवाद का मंचन हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद रहे.कलाकारों का जीवंत मंचन देख दर्शक भी भाव विभोर हो गए।

अंगद को दूत बनाकर भेजा

रामेश्वरम सेतु निर्माण के उपरांत सभी का मत था, कि लंका पर चढ़ाई कर दी जाए परंतु राम ने कहा की अंतिम बार एक दूत भेजकर रावण को समझाने की कोशिश और की जाए। राजदूत के रूप मे युवराज अंगद को लंका भेजा जाता है। राम अंगद को समझाते हैं कि कुछ धर्म नीति, कुछ राजनीति कुछ बल भी दिखलाते आना बलवीर जहां तक सम्भव हो। सब रफा-दफा करते आना। अंगद जब लंका पहुंचते हैं तो द्वार पर उनकी भिड़ंत रावण के पुत्र राजकुमार से होती है। काफी बहस के बाद अंगद द्वारा राजकुमार का वध हो जाता है और जब इसका समाचार रावण के दरबार में पहुंचता है सभी राक्षस भयभीत होते हैं कि कहीं हनुमान लंका में दोबारा तो नहीं आ गया।

रावण ने दिया प्रलोभन

रावण अपने दीवान को आदेश देता है कि उसे सम्मान पूर्वक सभा में लाएं जब अंगद सभा में पहुंचते है तो रावण उनका परिचय पूछता है, अंगद बड़ी शालीनता से रावण के प्रश्न का जवाब देता है जब रावण को पता चलता है अंगद उनके मित्र वाली का पुत्र है तो उसे सेनापति बनने का प्रलोभन देता है, लेकिन अंगद उसे मना कर देता है। अंगद रावण को समझाने का प्रयास करता है कि माता सीता को प्रभु श्री राम को वापस कर दो इसी में तुम्हारी और तुम्हारी लंका की एवं समस्त राक्षस जाति की भलाई है। लेकिन हठधर्मी रावण यह मानने को बिल्कुल तैयार नहीं होता है। तब अंगद अपना पैर राज सभा में ही जमा देते हैं। अंगद का पैर उठाना तो दूर हिला भी नहीं सका। अंत में रावण अंगद का पैर उठाने आता है जैसे ही झुकता है अंगद अपना पैर हटा देते हैं और कहते हैं क्यों मेरे पैर पकड़ अपनी शान घटाता है क्यों नहीं पकड़ता रामचरण उसमें क्यों लज्जा खाता है। कार्यक्रम के दौरान डीएन शर्मा ने मंच के कुशल संचालन ने दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। अध्यक्ष घनश्याम शर्मा ने बताया कि सचिव कुलभूषण शर्मा, कार्यक्त्रम में मुख्य रूप से डॉ। विमल भारद्वाज, समयून खान, मोहित कुमार सिंह, आरती गुप्ता, दानिश जमाल, गौरव वर्मा, आशीष गुप्ता, विशाल गुप्ता, लता शर्मा, अंजू शर्मा आदि उपस्थित रहे।

Posted By: Inextlive