आईवीआरआई की कांफ्रेंस में एक्सप‌र्ट्स ने रखी राय, कहा-हाथ मिलाने की बजाए करें नमस्कार

- चैलेंज एंड थ्रेट्स ऑफ माइक्रोब्स टू एनिमल एंड ह्यूमन्स विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस का आगाज

बरेली : चीन में लोग सांप-बिच्छू और जानवरों का खाते हैं। ये सरीसृप प्रजातियां अक्सर कई बीमारियों को अपने अंदर समेटे रहती हैं और जब बिना किसी एहतियात के इंसान इनको खाता है तो उसके भी बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है। कोरोना वायरस भी इसी का नतीजा है। ये बातें भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआई) में पहुंचे राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के निदेशक और इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट के अध्यक्ष प्रो। बीएल शेरवाल ने बताई। वह यहां थर्सडे से शुरू हुए दो दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस के शुभारंभ समारोह में शामिल होने आए थे।

सतर्कता ही बचाव का तरीका

प्रो। बीएल शेरवाल ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए केवल सतर्कता को ही एकमात्र जरिया बताया। कहा कि अभी इसके इलाज के तरीकों पर शोध किया जा रहा है। इसलिए इंसान को ऐसी किसी भी बीमारी से बचने के लिए सुरक्षित कदम उठाने चाहिए।

हाथ मिलाने के बजाय नमस्कार करें

प्रो। बीएल शेरवाल ने बताया कि इंसानों में ज्यादातर बीमारियां हवा या फिर हाथ मिलाने से आती हैं। इसलिए लोगों को हाथ मिलाने की बजाय अब हाथ जोड़कर अभिवादन करने की पुरानी परंपरा शुरू करनी चाहिए। खांसते या छींकते समय मुंह पर हाथ रखने की बजाय रुमाल रखें।

तीन कुलपतियों ने किया शुभारंभ

'चैलेंजेस एंड थ्रेट्स ऑफ माइक्रोब्स टू एनिमल एंड ह्यूमन' विषय पर आयोजित इस कांफ्रेंस में देशभर से कई बड़े वैज्ञानिकों ने शिरकत की। कार्यक्रम का शुभारंभ लाला लाजपत राय पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति डॉ। गुरदयाल सिंह, आइवीआरआई के निदेशक प्रो। राजकुमार सिंह, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डा। रामेश्वर सिंह, केंद्र सरकार के एनिमल हसबैंड्री विभाग के सलाहकार प्रो। पीके उप्पल ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया।

दही, और छाछ लीजिए

आइवीआरआइ में शुरू हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस में संस्थान के निदेशक प्रो। राजकुमार सिंह ने मधुमेह, कैंसर जैसी कई बीमारियों से लड़ने वाले शरीर के अंदर मौजूद बैक्टीरिया की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ये बैक्टीरिया कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता रखते हैं। इसलिए शरीर में इन बैक्टीरिया का ज्यादा से ज्यादा होना लाभदायक होता है। इसे प्री बायोटिक कहते हैं। यह दही, छाछ से इंसान के शरीर में विकसित हो सकता है।

कुत्ते व सुअर के लिए प्री बायोटिक

आईवीआरआई के डायरेक्टर प्रो। राजकुमार सिंह ने बताया कि पहली बार आईवीआरआई ने पशुओं में भी कई बीमारियों से लड़ने वाले बैक्टीरिया विकसित करने के लिए शोध शुरू किया है। कुत्ते और सुअर के लिए संस्थान के ही डॉ। एलसी चौधरी और डॉ। एके वर्मा ने प्री बायोटिक तैयार कर लिया है। बाकी पशुओं के लिए भी जल्द तैयार कर लिया जाएगा।

Posted By: Inextlive