बरेली। शहर में पीडब्ल्यूडी, नगर निगम व जिला प्रशासन की अनदेखी से सड़को के गढ्डे जानलेवा तक साबित हो रहे हैं। थर्सडे ईवनिंग में गौटिया रोड की 300 बेड वाली लेन पर बीच सड़क का गड्ढा एक स्कूटी सवार के लिए जान का दुश्मन बन गया। इस सड़क से गुजरने के दौरान इनकी स्कूटी गढ्डे में जाने से डिसबैलेंस हो गई और वह रोड गिर गए। इस हादसे मे स्कूटी सवार अधेड़ के सिर में गंभीर चोट आई और वह मौके पर ही बेहोश हो गए। कुछ राहगीरों ने उनको उठाने का प्रयास किया, पर सिर से ब्लडिंग होने से वह भी घबरा गए। इन लोगों ने मदद के लिए एंबुलेंस सेवा 112 पर भी कॉल की, पर कॉल नहीं लगने से उन्होंने लोगों से मदद मांगी। इस पर एक कार सवार मदद को आगे आया तो लोगों ने किसी तरह बेहोश अधेड़ को डिवाइडर के उस पर खड़ी कार में रखा। इसके बाद भी यह लोग कार के साथ ही एक निजी हास्पीटल गए और उन्हें भर्ती कराया।

मोबाइल लॉक बना मुसीबत

मोबाइल अब इस कदर पर्सनल हो गया है कि अधिकांश लोग इसमें नंबर यह पैटर्न लॉक इंस्टॉल किए रहते हैं। हादसे के बाद जब लोगों ने स्कूटी सवार के जेब से मोबाइल निकाला तो वह लॉक मिला। लोगों ने उसे अनलॉक करने का प्रयास भी किया वह इसमें सफल नहीं हुए। मोबाइल अनलॉक होता तो लोग उनके किसी भी नंबर पर कॉल कर उनके परिजनों को सूचित कर सकते थे।

हेलमेट होता तो कम होती मुसीबत

इन दिनों सड़क सुरक्षा माह चल रहा है, लोग इसक लिए बिलकुल भी अवेयर नहीं हैं। ट्रैफिक पुलिस व परिवहन विभाग भी इसको लेकर अलर्ट नहीं है। इस हीलाहवाली के चलते ही लोग बिना हेलमेट के निकलने की हिम्मत जुटा पाते हैं।

गढ्डे में डिसबैलेंस होकर गिरे स्कूटी सवार भी बिना हेलमेट के ही निकले थे। हेलमेट होता तो इनके सिर में गंभीर चोट नहीं लगती और इनकी जान संकट में नहीं पड़ती।

Posted By: Inextlive