- कोरोना को लेकर युवा बरत रहे सावधानियां

- मार्केट में बिक रहे मॉस्क संक्रमण रोकने में नाकाफी

बरेली : कोरोना को लेकर पूरे देश में हाई अलर्ट है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसको लेकर हेल्थ डिपार्टमेंट को एडवाइजरी भी जारी कर दी है। कोरोना वायरस को लेकर बरेलियंस भी अलर्ट हैं। घरों से बाहर निकलने से पहले मुंह पर मॉस्क लगाकर निकल रहे हैं। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जो मॉस्क बाजार में बिक रहे हैं उनकी क्वालिटी ठीक न होने के कारण वह संक्रमण रोकने में नाकाफी है।

इन मॉस्क की है जरुरत

पर्यावरणविद् डॉ। आलोक खरे ने बताया कि अभी मार्केट में जो मॉस्क बिक रहे हैं वह सिंगल लेयर के हैं ऐसे में हवा पास होकर शरीर में प्रवेश कर जाती है वहीं इस प्रकार के वायरस के प्रकोप से बचाव के लिए एन-95 मॉस्क की जरूरत है। यह तीन लेयर वाला मॉस्क होता है इसकी लास्ट लेयर दूषित हवा को फिल्टर कर देती है।

सभी की रिपोर्ट निगेटिव

डिस्ट्रिक्ट में अब तक 47 संदिग्ध लोगों के ब्लड सैंपल लेकर जांच को भेजे जा चुके हैं, जिनकी रिपोर्ट भी स्वास्थ्य विभाग को मिल चुकी है। सभी की रिपोर्ट निगेटिव आने से डिपार्टमेंट ने राहत की सांस ली। हालांकि खतरा अभी टला नहीं है।

स्टूडेंट्स को कर रहे अवेयर

शहर के अधिकांश स्कूलों में बच्चे मॉस्क लगाकर आ जा रहे हैं। वहीं प्रेयर के दौरान बच्चों को कोरोना से बचाव के लिए अवेयर भी किया जा रहा है। पेरेंट्स बच्चों को मॉस्क लगाकर बाहर निकलने दे रहे हैं।

कहीं भारी न पड़ जाए यह प्रेम

विंटर सीजन में हर साल बड़ी संख्या में नेपाली लोग फेरी लगाकर गर्म कपड़े बेचने बरेली आते हैं। इस दौरान इनका और इनके रिश्तेदारों का दोनों देशों के बीच आना-जाना लगा रहता है। इस बार इन लागों के जरिए कोराना वायरस ट्रांसफर होने का खतरा बढ़ गया है। हेल्थ डिपार्टमेंट इसको लेकर आंखें मूंदे हुए है।

नवंबर से फरवरी तक रहते हैं नेपालीज

विंटर सीजन के तीन महीनों में बेहतर कमाई की आस लिए नेपाल के अलग-अलग क्षेत्रों से 200 से अधिक नेपालीज बरेली आते हैं। यह लोग लुधियाना, शिमला आदि शहरों से वूलन व सेंथेटिक ब्लेंकेट सहित अन्य गर्म कपड़े मंगाकर यहां फेरी लगाकर बेचते हैं। इसके लिए पूरे शहर का पैदल ही भ्रमण करते हैं। इनका यह कारोबार शहर में नवंबर से फरवरी तक चलता है। शहर में डेलापीर, तुलाशेरपुर आदि जगहों पर इनका ठिकाना रहता है। इस दौरान इनकम की रकम को अपने घर तक पहुंचाने के लिए यह लोग नेपाल आते-जाते रहते हैं। इसी दौरान नेपाल से इनके रिलेटिव भी यहां ट्रीटमेंट या अन्य काम के लिए आते और जाते रहते हैं। इस साल भी यह लोग शहर में अभी तक घूमकर अपना कारोबार कर रहे हैं।

अनदेखी कहीं पड़ न जाए भारी

बरेली बड़ा मेडिकल हब बन चुका है। यहां के छोटे-बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल्स में बरेलियंस के अलावा बड़ी संख्या में उत्तराखंड और नेपाल से पेशेंट्स इलाज को पहुंचते हैं। इन दिनों जब कोरोना वायरस का खतरा लगातार बढ़ रहा है तो वहां के मरीजों के जरिए यह वायरस यहां तक पहुंचने की आशंका बनी हुई है। इसको लेकर शहर में अभी तक न तो आईएमए ने कोई सतर्कता दिखाई है और न ही हेल्थ डिपार्टमेंट ही इसको लेकर अलर्ट हुआ है। जिम्मेदार लोगों की यह हीलाहवाली कहीं बरेलियंस को भारी भी पड़ सकती है। इसको लेकर खुद ही अलर्ट रहने की जरूरत है।

कोरोना वायरस को लेकर हाई अलर्ट जारी है। ओपीडी में आने वाले मरीजों पर सर्विलांस टीम नजर रख रही है। किसी में भी वायरस से संबंधित लक्षण दिखने पर आईसोलेशन वार्ड में सैंपल लिया जा रहा है।

डा। रंजन गौतम, नोडल ऑफिसर, कोरोना वायरस

अभी जो मॉस्क मार्केट में बिक रहे हैं, वह प्रदूषण का प्रकोप रोकने में भी नाकाम हैं, कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए एन-95 क्वालिटी के मॉस्क होने चाहिए।

डॉ। आलोक खरे, पर्यावरणविद्।

Posted By: Inextlive