-कोराना के चलते ठप हो गया टूर एंड ट्रेवल्स का कारोबार

-करोडों की लागत की बसें खड़े-खड़े हो गई बेकार

बरेली: कोई बस खरीदे तो बताना पढ़कर चौंक गए न, लेकिन आपको बता दें यह हकीकत है। बुकिंग न मिलने के चलते टूर एंड ट्रैवल्स से जुड़े कारोबारी अब बसें बेचने को मजबूर हैं। कोराना काल इन कारोबारियों के लिए अब तक जीवन का सबसे बुरा और कठिन दौर साबित हुआ है। कारोबार पूरी तरह ठप होने से यह कारोबारी और मार्च से ही आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। इनकी आर्थिक स्थिति हर दिन और ज्यादा खराब हो रही है। इस कारोबार से अपनी आजीविका चलाने वाले सैकड़ों लोग भी फांकाकशी की स्थिति से गुजर रहे हैं।

कंडम हो रही बसें

टूर एंड ट्रेवल्स से जुड़े कारोबारियों पर कोराना काल में दोहरी मार पड़ रही है। इस काल में उनका कारोबार ठप होने से जहां उनकी कमाई बंद हो गई, वहीं उनकी लाखों की छोटी-बड़ी बसें और अन्य व्हीकल्स भी खड़े-खड़े खराब हो रहे हैं। मार्च से लेकर अब तक खड़े इन व्हीकल्स के कई पा‌र्ट्स बेकार हो चुके हैं। अपनी कमाई के इन साधनों को ऐसी बदहाली व बर्बादी से कारोबारी बहुत परेशान हैं।

ऑनरोड में एक से डेढ़ लाख खर्च

कारोबारियों का कहना है कि उन्हें अपनी एक बस को ऑनरोड लाने में ही एक से डेढ़ लाख रुपया खर्च करना पड़ेगा। लंबे समय से खड़ी इन बसों के सभी रबर पा‌र्ट्स बेकार हो गए हैं। इसके अलावा अधिकांश बसें की बैटरी भी खराब हो चुकी हैं। साथ ही इंश्योरेंस भी ओवर हो चुके हैं। एक बस का इंश्योरेंस रिन्यू कराने में ही उन्हें 75 हजार रुपया खर्च करना पड़ेगा। इसके अलावा बेकार हो चुके पा‌र्ट्स और मैंटिनेंस में भी हजारों खर्च होगा। इस तरह उन्हें अपनी एक बस को ही चलाने में एक से डेढ़ लाख रुपया खर्च करना पड़ जाएगा।

स्टाफ भी संकट में

डिस्ट्रिक्ट के टूर एंड ट्रेवल्स कारोबारी आल यूपी टूरिस्ट बस आपरेटर एसोसिएशन से जुड़े हैं। इस एसोसिएशन के यहां 52 मेंबर्स हैं। इन कारोबारियों के कारोबार से इनके अलावा 300 से अधिक लोग जुड़े हुए थे। इनमें इनके ऑफिसेस का स्टाफ और इनके व्हीकल्स के ड्राइवर, क्लीनर, हेल्पर आदि शामिल थे। कोरोना काल में कारोबार ठप होने के बाद भी कारोबारियों ने कुछ समय तक अपने स्टाफ की आर्थिक मदद की, पर धीरे-धीरे वह भी मदद में असमर्थ हो गए। इससे उनका अधिकांश स्टाफ बेरोजगार हो गया।

स्कूल-कालेजेज बंद होने से परेशानी

डिस्ट्रिक्ट के टूर एंड ट्रेवल्स कारोबारियों की अधिकांश बसें

स्कूल व कालेजेज से अटैच हैं। इस कोरोना काल में स्कूल बंद होने से भी उनकी यह बसें खड़ी हो गई। इससे उनका कमाई का बड़ी जरिया भी खत्म हो गया। तब से ही यह कारोबारी स्कूल खुलने का इतंजार कर रहे हैं, पर उनका यह इंतजार भी लंबा खिंचता ही जा रहा है।

ट्रेंड बदलने से भी सिमट रहा है कारोबार

कारोबारियों का कहना है कि पहले मैरिज सीजन से उन्हें अच्छी इनकम हो जाती थी, पर अब इस इनकम में भी लगातार गिरावट आ रही है। इसका मुख्य कारण है वेडिंग ट्रेंड में बदलाव आना। अब मैरिज के लिए दुल्हन पक्ष दूल्हे पक्ष के यहां चला जाता है। इसमें उनकी फैमिली के ही लोग शामिल होते हैं। इसी तरह अब दूल्हा व दूल्हन पक्ष मैरिज के लिए अपने या दूसरे सिटी के किसी रिजार्ट में जा रहे हैं। इससे मैरिज सीजन में उनके यहां बुकिंग की संख्या में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।

दो महीने ही मिली टैक्स छूट

कोरोना काल में हमारा कारोबार पूरी तरह चरमरा गया है। उनकी कमाई भी ठप हो गई और सरकार से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली। उन्हें मात्र दो महीने ही टैक्स में छूट मिली। सरकार को उनकी स्थिति पर विचार करना चाहिए।

मोहित यादव, कारोबारी

अपने स्टेट में ट्रैवल एजेंसी वालों को टैक्स में कोई बड़ी राहत नहीं मिली। यूके, राजस्थान जैसे स्टेट में 6 महीने तक उन्हें टैक्स में छूट मिली। इससे उन्हें थोड़ी तो राहत मिली ही होगी।

पवन शर्मा, कारोबारी

हर स्टेट की अलग गाइड लाइन

कोरोना काल में कोविड-19 की गाइड लाइन लागू होने के बाद भी उनके कारोबार के लिए हर स्टेट में अलग-अलग गाइड लाइन लागू की गई। इससे उनके लिए अपनी बसों को दूसरे स्टेट में भेजना मुमकिन नहीं हुआ। इसके अलावा सरकार ने भी उकने हितों की अनदेखी की।

राकेश कालरा

अध्यक्ष, स्कूल व टूरिस्ट बस आपरेटर एसोसिएशन

फैक्ट फाइल

52 मेंबर हैं बस आपरेटर एसोसिएशन से जुड़े

300 से अधिक लोगों को मिला था रोजगार

1.5 लाख तक खर्च करना पड़ेगा एक बस को ऑन रोड लाने में

Posted By: Inextlive