Bareilly: अगर आप रोडवेज की बसों से सफर कर रहे हैं तो जरा संभल कर चलें. हो सकता है बस तेज रफ्तार से चल रही हो और उसकी स्टेयरिंग जाम हो जाए या कमानी टूट जाए. ऐसा भी हो सकता है बीच रास्ते में बस खराब हो जाए और आप बेबस होकर रोडवेज की बसों को कोसते रहें. ऐसा इसलिए है कि बरेली डिपो से संचालित होने वाली कई बसों ने अपनी मियाद पूरी कर ली है लेकिन फिर भी इन बसों का संचालन हो रहा है. रोडवेज के ड्राइवर्स भी कई बार विभाग से बसों में गड़बडिय़ों की शिकायतें कर चुके हैं.


स्टेयरिंग होती है जामरोड पर फार्राटे भर रही कई बसों की मियाद खत्म हो चुकी है। विभाग के पास ऐसी कई बसें है जो नियम के मुताबिक निर्धारित सीमा से अधिक चल चुकी हैं। बसों की स्थिति इतनी दयनीय हो चुका है कि, ड्राइवर भी डर -डर कर बसों का संचालन कर रहे है। हर रोज सैकड़ों पैसेेंजर को लेकर रोड पर चल रही ये खटारा बसें कई बार दुर्घटना को भी दावत दे चुकी हैं, इसके बाद भी विभाग खामोश है और हाथ पर हाथ धरे बैठा है। बसों की स्थिति दयनीय
नियमत: एक बस की मियाद 6 साल या 8 लाख किलोमीटर की होती है। मगर सूत्रों की माने तो बरेली रोड विभाग के पास ऐसी कई बसें है। जो 6 साल से अधिक समय से चल रही है। सिर्फ बरेली डिपो की बात करे तो टोटल 141 बसें है। इनमें फिलहाल 18 बसें खराब होकर गैराज की शोभा बढ़ा रही हैं।पंप खराब, टूटी रहती है कमानी


रोडवेज बसों की हालत इस कदर खराब हो चुकी है कि आए दिन बस की कमानी टूटने के साथ स्टेयरिंग पंप खराब हो जाता है। इस खराबी से अक्सर रास्ते में ही बसे जवाब दे देती हैं। बरेली डिपो के जूनियर फोरमेन मोहम्मद सूफ ने बताया कि बसों में सबसे    ज्यादा प्रॉब्लम कमानी के टूटने और पंप का खराब होना होता है। इसके साथ ही बस के बॉडी में भी प्रॉब्लम आती रहती है। ऐसी बसों से जर्नी करना खतरनाक भी हो सकता है। मैकेनिक की कमीरोडवेज विभाग के पास मैकेनिक की भी कमी हुई है। 1990 से नई भर्ती नहीं होने के वजह से मैकेनिकों की भारी कमी हुई है। फिलहाल बरेली बस डिपो के गैराज में मात्र 70 मैकेनिक हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए प्राइवेट मैकेनिकों का सहारा भी लेना पड़ रहा है।पांच साल में 130 बसेंबरेली डिपो में नई बसें हर साल आती हैं। इसके बावजूद परिवहन निगम द्वारा कंडम हो चुकी बसों को रोड पर दौड़ाया जा रहा है। रोडवेज विभाग द्वारा 2007 से लेकर 2011 तक बरेली डिपो में 130 नई बसें आ चुकी हैं।2003 की बस यूपी 25 जी 98592005 की बसयूपी 25 टी 5433यूपी 25 टी 5451यूपी 25 टी 5592यूपी 25 टी 5643यूपी 25 एजी - 0210नोट - नियमत: ये बसे कंडम होने के बाद भी रोड पर चल रही है।क्या है नियम

नियमत: बस का संचालन आठ लाख किलोमीटर या 6 साल चलने के बाद। विभाग का यह दायित्व बनता हैे कि, बस की निलामी कर दी जाए, लेकिन विभाग नियम को ताक पर रखते हुए। रोड पर कई कंडम बसों का संचालन करवा रहा है। Transport Minister ने कसी लगामयूपी के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह ने इललीगल तरीके से चलने वाली गाडिय़ों को रोकने में लापरवाही व शिथिलता बरतने वाले अफसरों को सचेत करते हुए कड़े निर्देश दिए हैं। आई नेक्स्ट से बातचीत में उन्होंने कहा कि अफसर अवैध डग्गामारी रोकेें या फिर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि बस स्टेशनों के आस-पास से अवैध वाहन संचालन को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए। उन्होंने कहा कि अवैध संचालन से न सिर्फ रेवेन्यू का बड़े पैमाने पर लॉस हो रहा है बल्कि पैसेंजर्स की जान माल का भी खतरा भी बना रहा है। उन्होंने अधिकारियों के साथ मीटिंग करके कहा कि सिर्फ स्पेशल आपरेशन चला कर ही नहीं बल्कि लगातार इस पर कार्रवाई की जाए।
एक नई बस की सीमा 6 साल या 8 लाख किलोमीटर की होती है। बरेली डिपो में सभी बसों का संचालन सही से हो रहा है। बस में पैसेंजर को परेशानी न हो इसका ध्यान रखा जाता है।-नीरज अग्रवाल, एआरएम प्रशासन, रोडवेज विभागजल्द ही परिवहन के बेड़े में 1600 नई बसें शामिल की जाएंगी। इसके लिए टेंडर प्रॉसेस शुरू हो चुका है। बसों का यह बेड़ा दो बार में एक हजार और छह सौ करके शामिल किया जाएगा। पुरानी बसों में पैसेंजर्स की प्रॉब्लम को देखते हुए यह डिसीजन सरकार ने लिया है। साथ ही अनुबंधित बसों को बढ़ाने के लिए भी प्रयास शुरू कर दिया गया है। पुरानी गाडिय़ों की रनिंग कास्ट भी ज्यादा आ रही है। यह बसें सड़क पर कब आ जाएंगी यह कहना थोड़ा मुश्किल है।-बीएस भुल्लर, प्रमुख सचिव, ट्रांसपोर्टपुरानी बस का स्टेयरिंग पंप खराब हो चुका है, जिससे बसों को बैक व टर्न करने में परेशानी होती है। कभी भी खतरा हो सकता है। -प्रदीप कुमार, ड्राइवरफर्रुखाबाद से चौथी स्टेयरिंग में बस लेकर बरेली लाया हूं। बसों की स्थिति दयनीय हो चुकी है। अगर पुरानी बसों को बंद नहीं किया गया तो बड़ा हादसा हो सकता है।-जहांगीर, ड्राइवरमैं ड्राइविंग का काम 1989 से कर रहा हूं। पुरानी बसों की निलामी कर देनी चाहिए। मगर कुछ बसें ऐसी है। जो आवश्यकता से अधिक चल चुकी है। -लियाकत, ड्राइवर
बस की कमानी टूटने से बस पलट भी सकती है। वहीं स्टेयरिंग पंप खराब होने के वजह से स्टेयरिंग जाम हो जाता है। जिस वजह से बहुत परेशानी होती है। -छोटेलाल, ड्राइवरबसों में ज्यादातर प्रॉब्लम कमानी टूटने और बस की बॉडी खराब होने की होती है। इस समय फिलहाल बरेली डिपो गैराज में 18 बसें है। जिनका रिपेयरिंग चल रहा है। -मोहम्मद सफी, जूनियर फोरमेन, बरेली डिपोरोडवेज विभाग को चाहिए कि, खटारा हो चुके बसों को निलाम कर दे। अगर कोई बड़ा हादसा होता है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। अधिकारियों द्वारा इस तरह से रोड पर खटारा बसों को संचालन करवाना गलत है। आलाधिकारियों को ध्यान देना चाहिए वरना प्रॉब्लम होगी।-शशिकांत सिन्हा, पैसेंजरइन्हीं सब खराबियों की वजह से रोडवेज बसों का कई बार एक्सिडेंट हो चुका है। इसके बावजूद विभाग को समझ में नहीं आ रहा है। अब क्या किया जाए कही आने जाने के लिए बस का सहारा लेना की पड़ता है।-शिवम, पैसेंजरआए दिन हो रहे दुर्घटनाओं के बाद भी विभाग सबक नहीं ले रहा है। पैसेंजर्स की जान जोखिम में डाल कर खराब हो चुके बसों का संचालन बंद हो जाना चाहिए।-प्रवीण शर्मा, पैसेंजररोडवेज विभाग को चाहिए कि ड्राइवर पर खराब हो चुके बसों को चलाने के लिए दबाव न बनाए। इससे कोई बडा हादसा भी हो सकता है। मगर अधिकारियों को इससे क्या फर्क पडऩे वाला। -इंद्रजीत, पैसेंजर

Report by: Prashant Kumar Singh

Posted By: Inextlive