कड़ाके की ठंड में भी अलाव जलवाने में हो रहा खेल

नगर निगम के अलाव रात दस बजे तक तोड़ देते हैं दम

बरेली. हाड़ कंपा देने वाली ठंड में शहर की सड़कों पर रात काटने की कल्पना भी सिहरन पैदा कर देती है। इन दिनों जब मिनिमम टेंप्रेचर 3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है और अधिकांश बरेलियंस अपने घरों में रजाई, कंबल की गर्मी में रात बिता रहे होते हैं तब शहर में सैकड़ों ऐसे लाचार, मजबूर और बेसहारा लोग भी हैं जो इसी बेदर्द रात को खुले में काटते हैं। ऐसी रात काटने में इनके लिए अलाव एक बड़ा सहारा होते हैं, पर अलाव के नाम पर नगर निगम की सुलगती चिंगारी से इनको कोई खास राहत नहीं मिल पाती है। इनकी परेशानी के नाम पर नगर निगम हर साल लाखों रुपया फूंकता है। यह रकम अलाव के लिए लकड़ी खरीदने से लेकर जलवाने तक की व्यवस्था करने में खर्च की जाती है। निगम की इस व्यवस्था से खुले में रात काटने वालों का कैसा भला हो रहा है यह दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के इस रिएलिटी चेक से साफ हो रहा है।

रेलवे जंक्शन 9:30

कोरोना काल में रेलवे जंक्शन से भले ही चंद स्पेशल ट्रेनों का ही संचालन हो रहा है, पर इनमें से अधिकांश ट्रेनें यहां से रात में ही गुजर रही हैं। इससे जंक्शन के बाहर कई टेंपो और रिक्शा वाले रात में मौजूद रहते हैं। इनके अलावा भी यहां कई बेसहारा लोग रात में मौजूद रहते हैं। इनके लिए यहां नगर निगम की ओर से लगाया गया अलाव रात दस बजे से पहले ही सिमट गया। अलाव की राख ताप रहे लोगों ने बताया कि निगम कर्मचारी यहां नाम मात्र की लकड़ी डाल जाते हैं।

चौकी चौराहा 10:30

चौकी चौराहा पुलिस चौकी के बाहर भी नगर निगम का अलाव जलता है। यहां भी रात में टेंपो, रिक्शा चालकों के साथ ही कई आने-जाने वाले ठंड से राहत पाने को अलाव तापते हैं। फ्राइडे नाइट 10.30 बजे तक यहां भी अलाव सिमटता हुआ दिखा। अलाव की तपिश कम होने से यहां कोई मौजूद भी नहीं दिखा।

अयूब खां चौराहा 10:50

अयूब खां चौराहा शहर का सेंटर प्वाइंट होने से यहां से पूरी रात लोगों का आना-जाना लगा रहता है। इससे यहां भी रिक्शा और टेंपो वाले मौजूद रहते हैं। इनके अलावा कई कमजोर मानसिक स्थिति वाले भी यहां जमे रहते हैं। यहां भी रात 10:50 बजे के करीब अलाव में बची-खुची आग ही दिखाई दी। ठंड से राहत पाने को कई लोग इस आग के सहारे बैठे दिखाई दिए। लोगों ने बताया कि निगम कर्मचारी दिखावा भर के लिए अलाव लगाते हैं।

पुराना रोडवेज 10:10

पुराना रोडवेज बस स्टैंड से रात में भी दिल्ली के लिए बसें जाती हैं। पैसेंजर्स की उम्मीद में बाहर से आने वाली बसें भी यहां से होकर गुजरती हैं। इसके चलते यहां रातभर लोग मौजूद रहते हैं। इनमें पैसेंजर्स के अलावा रिक्शा, टेंपो चालक और कई मजदूर वर्ग के लोग भी होते हैं। रात 10.10 बजे यहां पर भी निगम के अलाव में नाम मात्र की आग दिखाई दी। इसके सहारे बैठे पैसेंजर्स ने बताया कि नगर निगम अलाव के नाम पर खानापूरी कर रहा है।

कुतुबखाना 11:00

कुतुबखाना पर भी पूरी रात चहल पहल रहती है। यहां से थोड़ी ही दूरी पर जिला पंचायत वाली रोड पर पूरी रात फूल का कारोबार होता है। इसके अलावा सब्जी मंडी में भी रात में सब्जी कारोबारी आते-जाते रहते हैं। इससे यहां भी रात में रिक्शा चालक और दूसरे मजदूर पेशा लोग जमे रहते हैं। यहां पर अलाव पुलिस बूथ के बाहर लगता है। फ्राइडे नाइट यहां पर लगे अलाव में लकडि़यां भी दूसरी जगह से अधिक दिखी और आग भी। यहां पुलिस बूथ में भी लकडि़यां रखी हुई दिखी। यह पुलिस का असर ही माना जाएगा कि नगर निगम यहां के अलाव के लिए कुछ ज्यादा ही संजीदा दिखाई दिया।

ठिठुरते कटती है रात

जंक्शन पर अलाव की सबसे अधिक जरूरत रहती है, लेकिन यहां पर अलाव जलने के कुछ देर बाद ही खत्म हो जाता है। इससे पूरी रात ठिठुरते हुए काटनी पड़ती है।

शिव कुमार

अलाव के नाम पर नगर निगम सिर्फ खानापूरी कर रहा है। शाम को निगम कर्मचारी चार लकड़ी डाल जाते हैं। अलाव कम से कम आधी रात तक तो जलना ही चाहिए।

ओमपाल शर्मा

कोरोना के चलते शहर में इस बार रात में वैसे ही सन्नाटा पसर जा रहा है। इससे नगर निगम के अलाव भी सभी जगह नहीं जल रहे हैं। जहां जलते भी हैं तो वहां थोड़ी देर में ही यह खत्म हो जाते हैं।

अमरपाल सिंह

Posted By: Inextlive